- साक्ष्य इकट्ठा करने में की गई है देरी, पुलिस पर खड़ा किए जा रहे सवाल

PATNA : राजबल्लभ प्रकरण में घटना की सूचना मिलने के बाद ही पुलिस एक्टिव हो गई होती और पहला काम साक्ष्य संकलन का किया होता तो एफएसएल की रिपोर्ट में डिटरजेंट की महक का उल्लेख नहीं होता। पुलिस की इस एक चूक ने पूरे मामले में नया मोड़ ला दिया है। ऐसे में पीडि़त छात्रा को न्याय दिला पाना थोड़ा मुश्किल जान पड़ रहा है।

नमूना लेने गए तो हुआ पथराव

आशंका है कि नमूनों को उसी दिन डिटरजेंट से धुल दिया गया था जब पहली बार पुलिस राजबल्लभ के आवास व घटना स्थल बैरंग लौट गई। एफएसएल टीम के साथ साक्ष्य लेने पहुंची पुलिस पर गांव वालों ने हल्ला बोल दिया था। पुलिस उस दिन लौट आई लेकिन दूसरे दिन गई और पांच नमूना जांच के लिए साथ लाई। गांव वालों को फ्म् घंटा से भी अधिक का समय मिल गया जो साक्ष्य धुलने के लिए काफी था।

- एक नजर हाई प्रोफाइल घटना पर

म् फरवरी -क्भ् वर्षीय नाबालिग से दुष्कर्म

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क्ब् फरवरी -फारेंसिक टीम आयी, विरोध के कारण बैरंग लौटी

क्म् फरवरी -फारेंसिक टीम ने की जांच लिया नमूना

ख्म् फरवरी - फारेंसिक टीम ने की दोबारा जांच पड़ताल

क्फ् मई - फोरेंसिक रिपोर्ट महिला थाना के साथ अधिकारियों को भेजी गई जिसमें स्पर्म नहीं मिला

पीडि़ता को न्याय दिलाने के लिए न्यायालय में दाखिल चार्जशीट में अधिक से अधिक साक्ष्य लगाए गए हैं। तीन सौ से अधिक पेज की इस रिपोर्ट में कहीं से कोई कमी नहीं छोड़ी गई है।

- शालिन, डीआईजी सेंट्रल