पटना (ब्यूरो)। राजधानी पटना में पटाखे जलाने पर नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने बैन किया था। इसके अनुपालन के लिए बिहार स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से कड़े निर्देश भी जारी किए गए थे। लेकिन दिवाली से पहले पटाखे खूब बिके और जमकर जलाए भी गए। दिवाली के दौरान पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 225 था जो कि सामान्य से चार गुणा से भी अधिक रहा। पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से दिवाली के दौरान हवा की गुणवत्ता के सभी प्रकार के मानकों का डाटा इकट्ठा किया गया। इस आधार पर यह स्पष्ट होता है कि बैन का कोई असर नहीं रहा। प्रशासन, पुलिस और आम लोगों ने बैन के निर्देश को बिल्कुल नहीं माना। पटना और आस-पास आधी रात के बाद भी पटाखे जलाए गए।

मानक से कई गुणा अधिक प्रदूषण
पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से जारी पीएम 2.5 के आंकड़े हर मानिटरिंग स्टेशन पर मानक से काफी अधिक पाए गए। इसमें सबसे अधिक बीआईटी मेसरा, फुलवारी शरीफ के पास यह 792, इको पार्क के पास 668 और एसके मेमोरियल हॉल, गांधी मैदान के पास 552 पाया गया। जबकि मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से कम होना चाहिए । इसी प्रकार, पीएम 10 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से कम होना चाहिए। जबकि दिवाली की रात यह तारामंडल के पास 1134, एसके मेमोरियल हाल, गांधी मैदान के पास 924, इको पार्क के पास 976 और गवर्नमेंट हाई स्कूल, पटना सिटी में 913 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकार्ड किया गया।


रात से सुबह तक प्रदूषण की धुंध में रहा पटना
दिवाली की रात पटनाइट्स ने जमकर पटाखें जलाए और गुरुवार की शाम से लेकर आधी रात के बाद भी यह सिलसिला चलता रहा। जबकि बिहार स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने एनजीटी के निर्देश पर पटना समेत गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में किसी भी प्रकार के पटाखे छोडऩे पर बैन लगाया गया था। वहीं, रियल टाइम डाटा के आधार पर एयर क्वालिटी मानक से चार गुणा से अधिक खराब और पांच गुणा अधिक शोर दर्ज किया गया। रात आठ बजे के बाद से हवा की गुणवत्ता और शोर का स्तर तेजी से बिगडऩे लगा। लोगों ने पटाखे छोड़कर बैन को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। इसके कारण एक्यूआई, पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर बिगड़ा रहा। दिवाली की रात से सुबह तक पटना प्रदूषण की धुंध में लिपटा रहा।

कंकड़बाग में सबसे ज्यादा शोर
प्रदूषण का हाल ऐसा रहा कि लगातार छूटते पटाखों की वजह से सतह से लेकर 40 से 50 मीटर तक प्रदूषण की एक मोटी परत जम गई। इसमें समनपुरा, बोरिंग रोड, कंकड़बाग और फुलवारी शरीफ के इलाकों में एयर क्वालिटी की स्थिति बेहद खराब हो गई। शोर के मामले में सबसे ज्यादा खराब स्थिति कंकड़बाग स्थित जेडएसआई कैंपस में रही। जहां यह अधिकतम 116.4 डेसीबल रिकार्ड किया गया जबकि तारामंडल में 102.5, बोरिंग रोड में 88.1 और परिवेश भवन, पाटलिपुत्र इंडस्ट्रियल एरिया में 81.3 रहा। इसी प्रकार, अपेक्षाकृत बड़े कण वाले प्रदूषित तत्वों का स्तर तारामंडल में सबसे खराब रहा। जो कि 1134 माइक्रोग्राम, इको पार्क में 976 और गर्वनमेंट हाई स्कूल पटना सिटी में 913 रिकार्ड किया गया।

रंगीन पटाखे का दिखा रंग
हवा में प्रदूषण का विशेष असर रंगीन पटाखे के छूटने से हुई। क्योंकि ऐसे पटाखों में प्रदूषण फैलाने वाले सामाग्री का ज्यादा प्रयोग होता है। जिसमें फुलझड़ी, अनार, राकेट सहित कई पटाखों से निकलने वाला धुआं, शीशा, कैडमियम, आर्सेनिक सहित कई अन्य भारी तत्वों का मिश्रण हवा में प्रदूषण बनकर पसर गया। इसके अलावा चटाईबम से एक्यूआई बिगडऩे के साथ ही जमकर ध्वनि प्रदूषण भी हुआ।

बैन पर बोले एक्सपर्ट
पटना में इससे पहले भी पटाखों के जलाने को लेकर रोक और अलर्ट की घोषणा होती रही है। वर्ष 2018 में पटना में केवल ग्रीन पटाखों की बिक्री और उसके यूज की अनुमति थी। लेकिन तब ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले आम पटाखें ही बिके। सीड़ की सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर अंकिता ज्योति ने बताया कि वर्ष 2018 में एक सर्वे पटना सिटी में कराया गया था। इसमें पता चला कि लोगों को ग्रीन पटाखों के बारे में अवेयरनेस ही नहीं है। इसी प्रकार, इस बार बिहार स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से पटना के 48 जगहों पर नुक्कड- नाटक के जरिये जागरूकता अभियान चलाया गया था। अंकिता ने कहा कि बेहतर होता कि यह अभियान कम से कम एक माह पहले से चलाया जाता और प्रशासन भी पूरी जिम्मेदारी के साथ इसका अनुपालन कराती।

दिवाली की रात
साउंड पाल्यूशन (अधिकतम)
बोरिंग रोड - 88.1
बेल्ट्रान भवन शास्त्री नगर 79.1
परिवेश भवन, पाटलिपुत्र 81.3
जेडएसआई, कंकड़बाग 116.4
तारामंडल 102.5
सभी आंकडे डेसीबल में

पीएम 2.5
एसके मेमोरियल हॉल गांधी मैदान - 552
इको पार्क 668
गर्वनमेंट हाई स्कूल, पटना सिटी 642
बीआईटी मेसरा फुलवारी शरीफ 792
डीआरएम कैंपस दानापुर 302
सभी आंकडे माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर

पीएम 10 (अधिकतम)
तारामंडल 1134
एसके मेमोरियल हॉल 924
इको पार्क 976
गर्वमेंट हाई स्कूल पटना सिटी 913
बीआईटी मेसरा 832
डीआरएम ऑफिस दानापुर 585

बैन जरूर था लेकिन यह प्रभावी नहीं रहा। इसके लिए दोष केवल प्रशासन को नहीं दिया जा सकता। आम लोगों के भी यह संकल्प होना चाहिए कि वे पटाखें नहीं छोड़ेंगे। तभी दिवाली के प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता था।
- अंकिता ज्योति सीनियर प्रोग्राम आफिसर सीड
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