-लोजपा दो फाड़, पारस खेमा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी चिराग पासवान को हटाया

-पारस ने सूरजभान को बनाया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष

PATNA: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में दो फाड़ हो गया है। इसी के साथ पार्टी पर कब्जे को लेकर पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान खेमे में लड़ाई तेज हो गई। यूं कहें कि मान-मनव्वल का दौर खत्म हो गया और चाचा-भतीजे के बीच पार्टी पर वचसर््व को लेकर सियासी दांव-पेंच अब आर-पार की लड़ाई में बदल गई है। लोजपा संसदीय दल के नए नेता पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आपात बैठक दिल्ली में अपने आवास पर बुलाई और चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी हटा दिया।

सुलह की गुंजाइश खत्म

लोजपा में छिड़ी लड़ाई में सुलह की गुंजाइश अब खत्म हो गई है। एक दिन पहले बातचीत के लिए पशुपति कुमार पारस के आवास पर गए चिराग पासवान ने मंगलवार को पारस सहित पांच सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया। उससे पहले पारस ने चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर पूर्व सांसद सूरज भान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। सूरजभान को ही कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर नए अध्यक्ष का चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई है। यह बैठक पांच दिनों के अंदर होगी। पारस बुधवार को पटना आ रहे हैं। इधर चिराग ने कहा कि पार्टी मां के समान है। मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। एक-दूसरे के खिलाफ कार्रवाई के लिए दोनों ने अलग-अलग बैठकें कीं। पारस ने अपने आवास पर बैठक बुलाई। उधर चिराग ने वर्चुअल बैठक के जरिए पार्टी के पारस सहित उनके खेमे के पांचों सांसदों को पार्टी से बाहर करने का फरमान जारी किया।

नहीं आए मीडिया के सामने

पारस खेमा ने पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सूरज सिंह उर्फ सूरज भान सिंह को लोजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी दी। इस फैसले के तत्काल बाद चिराग पासवान ने पलटवार करते हुए देर शाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक की और बागी पांचों सांसद (पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, प्रिंस राज और चंदन सिंह) को पार्टी से निकाल दिया। बैठक के बाद चिराग तो मीडिया के सामने नहीं आए, लेकिन एक ट्वीट कर पार्टी को मां बताते हुए इसके साथ धोखा करने वालों पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट के साथ 29 मार्च को चाचा पारस को लिखा एक पुराना पत्र भी टैग किया। इसमें रामविलास पासवान के निधन के बाद पारस के बदले हुए तेवर की चर्चा है।

प्रधान महासचिव ने दी जानकारी

चिराग के करीबी और पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक ने बैठक में लिए गए फैसले के बारे में मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बागी सांसदों की पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता भी खत्म कर दी गई है। बैठक में सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में अगले साल उत्तर प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का भी फैसला लिया गया।

एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत पर कार्रवाई

पारस ने बताया कि लोजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाने का फैसला लिया गया। फैसला इसलिए लिया गया कि पार्टी के संविधान के तहत 'एक व्यक्ति, एक पद' का प्रावधान है। संविधान के आलोक में चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया गया। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सूरज भान सिंह ही चुनाव अधिकारी रहेंगे। उन्हें अधिकृत किया गया कि 5 दिन के अंदर राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुला राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संपन्न कराएं।

पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं।

-चिराग पासवान