पटना ब्यूरो।हर कंज्यूमर ने अपने -अपने तर्क दिये। साथ ही कुछ ऐसे सुझाव भी दिये जो बिजली कंपनियों को घाटा होने से बचाए और इसका बोध आम कंज्यूमर पर न पडे। आयोग की ओर से सुनवाई के लिए सदस्य अरुण कुमार सिन्हा और परशुराम सिंह यादव उपस्थित रहे। आयोग के दोनों सदस्यों से सभी कंज्यूमर और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों की बात को सुना और कई सुझाव की महत्वपूर्ण बिंदुओं को स्वीकार भी किया गया। सुनवाई के अंत में नार्थ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी और साउथ बिहार कंपनियों के प्रतिनिधियों ने उठाए गए प्रश्नों का जबाव दिया।
तीन प्रतिशत वृद्धि का है प्रस्ताव
साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के जीएम रेवेन्यू ने कहा कि कंपनी की ओर से तीन प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है। उन्होंने कंपनी के पक्ष में तर्क दिया कि वर्ष 2019-20 में कोई वृद्धि नहीं की गई, 20-21 में केवल दस पैसा, 21-22 में एक प्रतिशत से कम वृद्धि और अब 23-24 में मात्र तीन प्रतिशत वृद्धि की मांग है।
फिक्स चार्ज पर हंगामा
बिजली की दरों पर जन सुनवाई के दौरान उस वक्त हंगामे की स्थिति हो गई जब सामाजिक कार्यकत्र्ता नंद किशोर राय ने एक मामला उठाया। उन्होंने आयोग के समक्ष यह कहा कि पुराने कंज्यूमर को फिक्स चार्ज देना पड़ता था। लेकिन प्री पेड मीटर में जो कंज्यूमर आ चुके हैं, उसमें यह स्पष्ट प्रावधान है कि पूर्व की भांति फिक्स चार्ज या सिक्योरिटी मनी नहीं वसूलना है। लेकिन धड़ल्ले से बिजली कंपनियां ऐसा कर रही है। उन्होंने बिजली कंपनियों पर आरोप लगाया कि यह मनमाना रवैया है। इसलिए जो भी कंज्यूमर के साथ ऐसा हो रहा है, उन सभी को संबंधित बिजली कंपनियों को अविलंब यह शुल्क वापस करना चाहिए।
रेट प्रतिस्पर्धी होना ही चाहिए
जन सुनवाई के दौरान बिहार चैम्बर आफ कामर्स एंड इंडस्टीज के एनर्जी सब कमेटी के चेयरमैन एकेपी सिन्हा ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य झारखंड में डीवीसी कमांड एरिया में बिजली की दरें बिहार से बहुत कम है। ऐसे में यहां की इंडस्ट्री के लिए लागत खर्च बहुत अधिक है। सप्लाई क्वालिटी, डिमांड चार्ज और दूसरे मानकों पर भी असंतोष है। इस मौके पर डॉ। संजय कुमार, अरूण कुमार और बिहार गैस मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन की ओर से ओपी सिंह ने अपनी बात रखी। ओपी सिंह ने कहा कि गैस उत्पादन में 85 प्रतिशत खर्च केवल बिजली का है। लेकिन इसकी क्वालिटी सर्विस नहीं है।
सभी प्रमंडल में हो सुनावाई
ग्राम स्वराज संघ बलहा के अध्यक्ष संतोष कुमार ने मांग रखा कि बिहार में करीब दो करोड़ बिजली कंज्यूमर है और उनकी शिकायतों का सुनने का पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहा है.जन सुनवाई पटना, मुजफ्फर समेत पांच जगहों पर आयोजन किया जाता है। इसलिए कम से कम बिहार के सभी नौ प्रमंडल मुख्यालय में इसका आयोजन किया जाना चाहिए। इससे पहले उन्होंने कंज्यूमर के हित में प्रतिवर्ष बिजली की दरों को बढ़ाए जाने का विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि बिजली की मानक सुविधाएं देने में कंपनियां विफल है। अंत में उन्होंने कहा कि बिजली की दरें प्रतिवर्ष बढाने की मांग गलत है।
ये प्रमुख मुद्दे उठाए गए
1. बिजली कंपनियों का ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस आम कंज्यूमर क्यों उठाए।
2. जो कंज्यूमर पहले से पुराने मीटर यूज कर रहे थे और अब प्री पेड में आ गए, उनसे फिक्स चार्ज क्यों वसूला जा रहा.
3. कंपनियों अपना डिस्ट्रीब्यूशन लॉस दस प्रतिशत से कम और ट्रांसमिशन लॉस 1.5 प्रतिशत से कम रखे।
4. बिहार में बिजली की दरें झारखंड, उड़ीसा जैसे राज्यों से प्रतिस्पद्र्धात्मक हो, महंगी न हो।
5. डिमांड चार्ज का यूज वास्तविक यूजेज के आधार पर ही तय हो.6. कंपनियां विद्युत अधिनियम और स्टैंडर्ड परफारमेंस का पालन करे ताकि कंज्यूमर को बेहतर इलेक्ट्रिसिटी सर्विसेज मिले.
7. प्री पेड कंज्यूमर को रिचार्ज की सूचना तुरंत मिलती है लेकिन जब वह चार्ज करते है तुरंत सुचना नहीं दी जाती है। चार्ज भी देर से होता है.
8. सुनवाई के लिए केवल पटना नहीं, बल्कि सभी नौ प्रमंडल में कंज्यूमर को मौका दिया जाए। वर्तमान में केवल पटना समेत पंाच जगहों पर ही हो रही सुनवाई
9.एचटी कंज्यूमर बोले, जब निर्बाध बिजली नहीं तो ऊंची दरों का कोई मतलब नहीं। पावर फैक्टर को कंपनियां इम्प्रूव करे।
10. कोल्ड स्टोरेज को एग्रीकल्चर टैरिफ कैटेगरी में डाला जाए और कंज्यूमर को इसका लाभ दिया जाए। साल भर यह चालू नहीं रहता फिर भी फिक्स चार्ज लेना गलत है।
11. इंडस्ट्री सेक्टर में लोड शेडिग़ हो तो इसके लिए कंपनियों से जुर्माना वसूला जाना चाहिए।
12. प्री पेड की गलत बिलिंग के लिए त्वरित समाधान दिया जाए.