क्कन्ञ्जहृन्: राजद के बिहार बंद के दौरान गुरुवार को राजधानी में लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा। सड़कों से वाहन नदारद होने की वजह से लोगों को आने जाने में दिक्कत हुई। घंटों इंतजार के बाद भी कोई वाहन नहीं मिल रहे थे। ज्यादा परेशानी ट्रेन पकड़कर बाहर से आने वाले लोगों को हुई। दिल्ली से पटना आए जुम्मन ने बताया कि मां की तबियत खराब है। मुजफ्फरपुर जाना है। कोई वाहन नहीं मिल रहा है। वह परिवार के साथ पटना जंक्शन पर करबिगहिया की तरफ हनुमान मंदिर के पास मुजफ्फरपुर जाने के लिए काफी परेशान दिखे। यही स्थिति अन्य लोगों के साथ भी थी।

सड़क पर निकलने की सोच कांप गए लोग

आंदोलन की आग से डरकर लोग सड़क पर निकलने में कांप जा रहे थे। इमरजेंसी में जो निकले उन्हें कई दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। पटना सहित प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों में स्कूल-कॉलेज हंगामे की आशंका को लेकर पहले ही बंद कर दिए गए थे। बाजार और कार्यालय खोलने की कोशिश भी नाकाम हुई, क्योंकि बंद समर्थकों ने जबरन ताला लगवा दिया। सड़कों पर टायर जलाकर यातायात रोका गया। ट्रेन की पटरियों पर भी जाम लगाकर रेल मार्ग बाधित किया गया।

भटकते रहे लोग

स्कूल-कॉलेज और कोचिंग में जाकर पढ़ाई करने वाले छात्र, अस्पताल जाने वाले, निजी और सरकारी ऑफिस में काम करने वाले लोगों को बंद के दौरान वाहनों के लिए भटकना पड़ा।

ऑटो वाले वसूल रहे थे अधिक किराया

मल्टी लेवल पार्किंग, जीपीओ के पास ऑटो न के बराबर दिखे। यदि किसी को ऑटो वाले मिल भी रहे थे तो वह सामान्य किराया से 5 से 10 रुपए अधिक की मांग कर रहे थे। इसके अलावा यात्रियों से एडवांस में किराया लिया जा रहा था। रास्ते में बंद समर्थक सवारियों को उतरने पर विवश करते तो किराए भी रिफंड नहीं किए जा रहे थे। इससे चालक और यात्री के बीच नोकझोंक भी होता रहा।