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PATNA : सीतामढ़ी जिले के रीगा प्रखंड अंतर्गत मसेहिया गांव में क्7 जुलाई को तालाब खुदाई के दौरान भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति निकली। ये दुर्लभ मूर्ति काले ग्रेनाइट पत्थर की है। विशेषज्ञों ने इसे भगवान विष्णु की मूर्ति होने की पुष्टि की है। बिहार रिसर्च सोसाइटी के शोध सहायक डॉ। शिवकुमार मिश्र ने बताया कि यह मूर्ति क्ख्वीं और क्फ्वीं शताब्दी के बीच की है।

ग्रामीणों की उमड़ी भीड़

मसेहिया गांव में रोड निर्माण के लिए जेसीबी मशीन से तालाब किनारे ठेकेदार मिट्टी कटवा रहे थे, लगभग क्0 फीट गड्ढे में खुदाई के दौरान अचानक आवाज आई। तो सभी चौंक गए, देखते ही देखते ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। ग्रामीणों ने कुदाल से मिट्टी को हटाया तो काले रंग की मूर्ति निकली, जो जेसीबी से खंडित हो गई थी.ग्रामीण रामशरण अग्रवाल बताते हैं कि मूर्ति निकलने वाले स्थान पर मुस्लिम बस्ती है। ग्रामीणों के अनुसार मूर्ति को तत्काल मठ पहुंचाया गया। मूर्ति के दोनों हाथ खंडित हो चुके हैं और बाएं हाथ में चक्र और दाएं में गदा है। मूर्ति के निचले भाग में बांए सरस्वती और दाएं लक्ष्मी हैं। शिला पट्टिका को सुंदर तरीके से अलंकृत किया गया है।

राजाओं का था शासन

मूर्ति के पीछे कटाव होने पर विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की मूर्ति क्ख्वीं और क्फ्वीं शताब्दी में बनती थी। इस काल की कई मूर्तियां मिथिला के विभिन्न स्थानों से मिल रही हैं। मूर्ति देखते ही पता चलता है कि मिथिला में कर्नाटक वंशीय राजाओं का शासन था, जो कला के प्रेमी हुआ करते थे, इस वंश के राजाओं की राजधानी सिमराव गढ़ थी, जो यहां से काफी नजदीक है।

सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं

मूर्ति की देख-रेख कर कर रहे पंडित कृष्णमुरारी मिश्र बताते हैं कि माह गुजरने के बाद भी सरकारी स्तर से कोई सुरक्षा नहीं मिली है। कच्ची दीवार से बने बिना छत के छोटे कमरे के ऊपर पन्नी डाल कर पानी और धूप से बचाव की जाती है। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले मूर्ति को देखने स्थानीय विधायक अमित कुमार पहुंचे थे लेकिन उन्होंने भी कोई प्रयास नहीं किया।

ब्रह्मस्थान में बने मंदिर

जहां से मूर्ति मिली है वहां से फ्00 गज पश्चिम भगवान शिव, राम और हनुमान की मंदिर है। ग्रामीण इसी स्थान पर विष्णु की भव्य मंदिर बनाने की सोच रहे हैं।

हाल में मिथिलांचल में मिट्टी खुदाई के दौरान कई दुर्लभ मूर्तियां मिली है। ये बिहार के कला इतिहास पर अनुसंधान करने वालों के लिए महत्वपूर्ण है। इन दुर्लभ मूर्तियों का वैज्ञानिक विधि से संरक्षण होनी चाहिए।

-शिव कुमार मिश्र, शोध सहायक, बिहार रिसर्च सोसाइटी

इसकी कोई जानकारी नहीं है। तत्काल चेक करवाता हूं, अगर मूर्ति निकली है तो पटना संग्रहालय में रखी जाएगी।

- चैतन्य प्रसाद, प्रधान सचिव, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार