पटना (ब्यूरो)। बिहार के सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों से पढ़ाई करने का सैकड़ों छात्रों का सपना टूट गया है। राज्य के एकमात्र पटना के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज की मान्यता रद कर दी गई है। आयुष मंत्रालय के नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है। इसके पहले वर्ष 2005-06 से बंद पड़े बेगूसराय आयुर्वेद कॉलेज और 2003-04 से बंद पड़े दरभंगा के राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान में एडमिशन की तैयारी चल रही थी, लेकिन एनसीआईएसएम ने बेगूसराय और दरभंगा में भी एडमिशन की अनुमति नहीं दी है। इससे अब पूरे बिहार में आयुर्वेद की पढ़ाई पूरी तरह निजी कॉलेजों पर निर्भर हो गई है।

यूजी और पीजी दोनों की पढ़ाई बंद

राजधानी पटना के आयुर्वेद कॉलेज में पीजी में 85 और यूजी में 125 सीटों पर नामांकन होता था। इस साल इस सत्र में इसकी अनुमति नहीं मिली है। बेगूसराय में वर्ष 2005-06 से आयुर्वेद की पढ़ाई बंद थी। इस सत्र से इसे शुरू किया जाना था। यहां यूजी की 38 सीटों पर नामांकन होना था। इस पर भी रोक लग गई। दरभंगा आयुर्वेद कॉलेज में यूजी की 60 सीटों पर नामांकन की तैयारी इस साल चल रही थी। यहां वर्ष 2003-04 से पढ़ाई बंद है। अब इस कॉलेज में भी नामांकन की अनुमति नहीं दी गई है।

एक अरब से बनना था कॉलेज का नया भवन

दरभंगा आयुर्वेद कॉलेज में 19 साल बाद आयुर्वेद की पढ़ाई शुरू होने की आस जगी थी। यहां नया भवन बनाने के लिए सरकार ने एक अरब रुपये मंजूर किए थे। इसके लिए टेंडर भी हुआ था जिसे रद कर दिया गया। इसके अलावा कॉलेज में दूसरे स्थानों से शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों को लाया गया था, ताकि इसकी कमी पूरी हो सके। राजकीय आयुर्वेद अस्पताल में नए ओपीडी और इमरजेंसी की शुरुआत की गई थी। कई बार निरीक्षण भी हुआ था। पिछले करीब एक साल से यहां एडमिशन की तैयारी चल रही थी। अब इस पूरी कवायद पर पानी फिर गया है।


एनसीआईएसएम ने ये कमियां गिनाईं

एनसीआईएसएम ने शिक्षकों की कमी व आधारभूत संरचना का अभाव समेत कई कमियां बताकर बेगूसराय व दरभंगा में नए सिरे नामाकन की अनुमति नहीं दी है। वहीं पटना आयुर्वेद कॉलेज में शर्तों के अनुसार नामांकन हो रहा था, जिसे इस बार बंद कर दिया गया। इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन के मेडिकल एसेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड के प्रेसिडेंट डॉ। रघुराम भाटिया यू ने इससे संबंधित पत्र जारी किया है। गुरुवार को इससे संबंधित एनसीआईएसएम का पत्र आयुर्वेदिक कॉलेजों को मिल गया है। अब स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के स्तर से अंडरटेङ्क्षकग देने पर ही मान्यता बच सकती है।

पटना आयुर्वेद कॉलेज में ये कमियां पटना के कदमकुआं स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज में यूजी स्तर पर 84.78 प्रतिशत और स्नातकोत्तर 52.57 प्रतिशत शिक्षक उपलब्ध हैं। स्नातक पाठ्यक्रम में सिर्फ क्रिया शरीर व अगद तंत्र में शिक्षकों की कमी है।
कॉलेज में शिक्षकों की कमी
सशर्त मान्यता बरकरार रखने के लिए आवश्यक मानकों के आकलन को एनसीआईएसएम की टीम ने 4 व 5 अगस्त को राजकीय आयुर्वेद कॉलेज का निरीक्षण किया था। इस दौरान ही शिक्षकों की कमी का मामला उठा था लेकिन पदाधिकारियों ने इसके निराकरण की कोई पहल नहीं की।