-कुछ मामले मिले और आगे और ऐसे केसेज मिलने का है अंदेशा

PATNA: कोरोना के मामले बिहार में नियंत्रित स्थिति में हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकडे़ बताते हैं कि बीते तीन-चार दिनों से प्रदेश और राजधानी पटना में कुल संक्रमित मामले में से 90 प्रतिशत से अधिक ठीक हो चुके हैं। तो वहीं, देश के अन्य हिस्सों की भांति पटना में भी रि इन्फेक्शन के मामले मिल रहे हैं। एनएमसीएच और एम्स पटना में ऐसे केसेज मिल चुके हैं। यादि ठीक हो चुके यदि फिर से इन्फेक्टेड मिल रहे हैं। जबकि डॉक्टर ऐसा बताते हैं कि जिन्हें कोरोना हो चुका है उन्हें सामान्य स्थिति में कोरोना कम से कम छह माह तक नहीं होना चाहिए।

15 दिन बाद फिर इनफेक्शन

पटना में री इ-फेक्शन का पहला केस एम्स पटना में मिला। यहां सात अगस्त को गायघाट के 50 वर्षीय निवासी धनंजय मेहता को एम्स पटना में सात अगस्त को एडमिट किया गया था। उनका कोरोना का पूरा इलाज चला। इसके बाद 27 अगस्त को वे स्वस्थ्य हो गए। लेकिन इसके बाद एक बार फिर से उन्हें इन्फेक्शन हो गया। नोडल ऑफिसर डॉ संजीव कुमार ने बताया कि उन्हें दोबारा से चेस्ट इन्फेक्शन हो गया। इसके बाद स्थिति बिगड़ने लगी और मौत हो गई। ऐसे ही और मामले भी है।

विशेष सतर्कता रखें

आखिर री इन्फेक्शन फिर से कैसे हो जाता है। इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि जिन्हें इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा है उन्हें इस मामले में विशेष सावधानी बरतने की जरुरत है। एम्स पटना के नोडल ऑफिसर डॉ संजीव कुमार ने बताया कि ऐसे संभावित पेशेंट को सलाह दी जाती है कि हॉस्पिटल से घर लौटने के बाद भी कम से कम सात दिनों के और होम क्वारंटीन रहे। विशेष सतर्कता रखें। कोरोना के सभी नियमों जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क ढंग से लगाना और सेनेटाइजर का प्रयोग प्रमुख रूप से प्रयोग करते रहे।

एंटीबॉडी कम होने से असर

डॉ संजीव कुमार ने बताया कि री इन्फेक्शन होने का कारण शरीर में एंटी बॉडी डेवलप नहीं होना है। इसलिए यदि एंटीबॉडी की संख्या बॉडी में कम हो तो इसकी जांच करानी चाहिए। वहीं, एनएमसीएच के नोडल ऑफिसर डॉ अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि जो उम्रदराज पेशेंट हैं या जिन्हें कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से ग्रस्त हों, जैसे डायबिटिज, लीवर इन्फेक्शन और कैंसर आदि । ऐसे लोगों में री इन्फेक्शन का खतरा अधिक होता है।

सेकेंड वेव से अलर्ट

दुनिया भर में कई देशों में कोरोना के सेकेंड वेभ को लेकर भी चिंता बढ़ गई है। भारत में दिल्ली इसका एक बड़ा उदाहरण है। बिहार में भी रिकवरी रेट के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद सेकेंड वेभ का खतरा हो सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से भी डॉक्टरों को इसके लिए तैयार रहने को कहा गया है। आईएमए बिहार के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉ अजय कुमार ने कहा कि यह तो वैश्विक स्तर पर खतरा है और निश्चित रुप से हमसभी लोगों को कोविड-19 के अनुपालन में सभी प्रीकॉशन का कड़ाई से पालन करना चाहिए।