पटना (ब्यूरो) | एक कहावत है चिराग तले अंधेरा। इसका उदाहरण जानना हो तो प्रदेश मे नियम का पालन कराने वाले विभागों का जायजा ले सकते हैं। प्रदेश की राजधानी पटना के कई सरकारी कार्यालयों की गाडिय़ां वैलिडिटी और प्रदूषण सर्टिफिकेट की जांच में पास नहीं हो पाएंगी। पटना में कई ऐसी सरकारी गाडिय़ां है जो नियमों का सीधा सीधा उल्लंघन करते हुए दिखती हैं। कई गाडिय़ों के बीमा का पता नहीं तो कई प्रदूषण सर्टिफिकेट जांच के दायरे में हैं। हो सकता है इन गाडिय़ों पर चल रहे अधिकारियों को प्रदूषण और बीमा का पता न हो लेकिन संबंधित विभाग को तो पता ही होगा। फिर भी ऐसी लापरवाही शर्मसार करती है।
शहर में एम परिवहन एप से जुड़े लोग भी ऐसे गाडिय़ों की जानकारी लेकर दबी जुबान में प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल कर रहे हैं। कई गाडिय़ों के शिकायत मिलने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने भी ऑफलाइन से लेकर ऑनलाइन तक जांच की। पढि़ए विस्तृत रिपोर्ट

एसडीएम पटना सदर की गाड़ी
बीमा और प्रदूषण सर्टिफिकेट की जांच के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम सबसे पहले एसडीएम पटना सदर कार्यालय पहुंची। जहां एम परिवहन एप के माध्यम से एसडीएम पटना की स्कॉर्पियो की जांच की तो पता चला कि टैक्स नहीं जमा करने के चलते साहब की गाड़ी ब्लैक लिस्टेड है। इतना ही नहीं 6 दिसंबर 2017 से इंश्योरेंस भी फेल है। प्रदूषण सर्टिफिकेट 14 नवंबर 2020 तक ही वैध था बावजूद इस गाड़ी से सरकारी काम काज जारी है।
नवाचार पदाधिकारी की गाड़ी
इसके बाद हमारी टीम डीएम ऑफिस स्थित नवाचार पदाधिकारी की गाड़ी की जांच की तो पता चला कि 18 मार्च 2020 को गाड़ी की प्रदूषण सर्टिफिकेट की वैलिडिटी खत्म हो गई है और अधिकारी पिछले 20 माह से बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट के ही गाड़ी का यूज कर रहे हैं।

एडीएम सप्लाई की गाड़ी
एम परिवहन एप के माध्यम से जिला प्रशासन के बड़े अफसर में से एक एडीएम सप्लाई की गाड़ी की जब जांच की गई तो पता चला कि 18 मार्च 2021 तक ही बीमा मान्य था। पिछले सात माह से बिना बीमा के ही साहब अपनी गाड़ी की सवारी कर रहे हैं। ऐसे में अगर कोई अनहोनी हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।

एडिशनल एसडीएम की गाड़ी
इसके बाद हमारी टीम एडिशनल एसडीएम के वाहन की जांच करने पहुंची। क्षेत्रिय कार्यालय वैशाली से रजिस्टर्ड गाड़ी में प्रदूषण सर्टिफिकट 29 अप्रैल 2020 तक ही मान्य था। उसके बाद इस गाड़ी की प्रदूषण जांच नहीं कराई गई है जो कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत अपराध है। ऐसे में इस गाड़ी पर कार्रवाई कौन करेगा।

दुर्घटना होने पर कौन होगा जिम्मेवार
सरकारी गाडिय़ों के फिटनेस को लेकर जब शहर के कुछ वाहन चालकों से बात की गई तो कई चालकों ने कहा कि नियम बनाने वाले अधिकारियों की गाडिय़ों में ही जब प्रदूषण और बीमा फेल रहेगा तो फिर आम पब्लिक के उपर नियम कैसे चलेगा? इन अधिकारियों के गाडिय़ों से अगर कोई अनहोनी हो जाए तो सामने वाले को क्लेम भी मिलना मुश्किल होगा। मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के तहत बीना बीमा और प्रदूषण सर्टिफिकेट के गाड़ी चलाना कानून अपराध है। मगर राज्य सरकार के एसडीएम, एडिशनल एसडीएम, नवाचार पदाधिकारी, एडीएम सप्लाई की गाडिय़ों पर महा अभियान में भी कार्रवाई नहीं हो रही है। और ये बिना रोक टोक के सड़कों पर चल रहे हैं।


विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई
पब्लिक के काम में व्यस्त रहने के चलते अगर अधिकारियों को बीमा और प्रदूषण फेल होने पर पता नहीं चलता है तो परिवहन विभाग भी इसकी सूचना इन अधिकारियो को नहीं देती। परिवहन विभाग के अधिकारियों से रिपोर्टर द्वारा पूछने पर पत्र लिखकर सूचना देने की बात कही गई है।


नियम सबके लिए बराबर है। चाहे वह अधिकारियों की गाड़ी ही क्यों न हो। ऐसे सभी अधिकारियों को चिह्नित कर विभाग की ओर से पत्र भेजा जाएगा। जिनका बीमा और प्रदूषण फेल है। जल्द ही बीमा और प्रदूषण अपडेट हो जाएगा।
-प्रकाश, डीटीओ, पटना