पटना ब्‍यूरो। ईश्वरीय प्रकाश से पूर्ण जाग्रत महान संत रविदास एक ऐसे महात्मा थे जिन्होंने जगत को यह बताया कि नर और नारायण चंदन और पानी की भांति अंतर्लिप्त हैं। दोनों सूक्ष्म रूप में एक ही हैं। समग्र संसार क्या निखिल ब्रह्माण्ड, उसी एक परमात्मा का ही विस्तार है। उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि ब्रह्म-तत्व को प्राप्त करना हर उस व्यक्ति के लिए संभव है, जो मन-प्राण से प्रभु का हो जाता है। इसके लिए किसी कुलीन वंश में उत्पन्न होना आवश्यक नहीं है।
यह बातें शनिवार को, पटेल नगर स्थित डी ए वी स्कूल में, प्रबुद्ध हिन्दू समाज, के तत्त्वावधान में आयोजित संत रविदास एवं स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती का उद्घाटन करते हुए, संस्था के मुख्य संरक्षक डॉ। अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि संत रविदास भारत के अन्य ऋषियों की भांति एक महान कवि भी थे और उन्होंने अनेक हृदय-ग्राही पदों का सृजन किया। उनके 40 पद गुरूग्रंथ साहिब में भी संकलित हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती को स्मरण करते हुए, डा सुलभ ने कहा कि आधुनिक भारत में भारतीय वांगमय के सबसे प्रखर व्याख्याता थे स्वामी जी उन्होंने वेदों का गहन अध्ययन हीं नही किया, अपितु उसकी सरल व्याख्या प्रस्तुत कर भारत के उस महान ज्ञान को संसार के लिए सुलभ किया, जिसमें जगत के सभी प्रश्नों के उत्तर और सभी समस्याओं का निदान है। मौके पर पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डा संजय पासवान प्रो जनार्दन सिंह,प्रो दीपक शर्मा, प्रो परमांशु जी, कवि शंकर शरण मधुकर, अरुण कुमार राय सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।