PATNA: सरकारी निर्माण कार्यों के लिए अब केंद्र व राज्य सरकार के कार्यविभागों को बालू का संकट नहीं झेलना पड़ेगा। इसके लिए खान एवं भूतत्व विभाग ने सभी कार्यविभागों को बालूघाट उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया है। विभाग के प्रस्ताव के अनुसार सरकारी कार्य विभाग अपने जरूरत का बालू अपने घाटों से निकाल सकेंगे। इसके लिए उन्हें खान एवं भूतत्व विभाग को केवल बालू की कीमत और बिहार राज्य खनन निगम को बतौर कमीशन पांच प्रतिशत की राशि देनी होगी।

दरअसल, सरकारी निर्माणकार्यों में बालू माफिया की सक्रियता और उनपर निर्भरता को समाप्त करने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। खान एवं भूतत्व विभाग ने पथ निर्माण, भवन निर्माण, ग्रामीण कार्य, सभी सरकारी बिजली कंपनियों समेत अन्य कार्यविभागों को अपने उपयोग के लिए विभिन्न जिलों में पीले व सफेद बालू के लिए 25 हेक्टेयर से कम रकबे वाले बालू घाटों के चयन का ऑफर दिया है। इस फैसले के पीछे की मुख्य वजह यह है कि बालू बंदोबस्तधारियों की मनमर्जी के खिलाफ जब-जब सरकार कोई कार्रवाई करती है, तबतब राज्य में बालू संकट उत्पन्न हो जाता है। इसके चलते सरकारी परियोजना को भी अनावश्यक विलंब का सामना करना पड़ता है।

-नहीं होगी निर्माण कार्य में देरी

विभाग को उम्मीद है कि इस व्यवस्था से बालू के कारोबार से माफिया तत्वों को बाहर निकाला जा सकता है और अब बालू व पत्थर संकट का हवाला देकर सरकारी निर्माण कार्यों को रोका नहीं जा सकता। विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कार्यविभाग भी उसी व्यवस्था के तहत घाटों से बालू का उठाव करेंगे जिस व्यवस्था के तहत बंदोबस्तधारी करते हैं। उन्हें भी ई-चालान के माध्यम से बालू का उठाव करना होगा। साथ ही बालू की ढुलाई करने वाले वाहनों पर जीपीएस लगाना होगा। खान एवं भूतत्व विभाग ने अपने इस प्रस्ताव के साथ अपने उप निदेशक को इसका नोडल पदाधिकारी भी नियुक्त कर दिया है।