पटना ब्यूरो। विद्या व बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी माता सरस्वती की पूजा बुधवार को माघ शुक्ल पंचमी के साथ रेवती नक्षत्र एवं शुभ योग के सुयोग में होगी। यह पर्व विद्या, बुद्धि, ज्ञान, संगीत व कला की अधिष्ठात्री देवी मां बागेश्वरी को समर्पित है। बसंत पंचमी के दिन रवियोग का भी शुभ संयोग रहेगा। इसे लेकर पटना के विभिन्न स्कूल कॉलेजों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा तैयारी की जा रही है। जगह-जगह सरस्वती मूर्ति स्थापित की गई है।
माघ शुक्ल पंचमी को मां शारदे के साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, नवग्रह, पुस्तक-लेखनी और वाद्य यंत्र की भी पूजा होगी। पूजा के बाद श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाएंगे।
शिशुओं का होगा अक्षरारंभ
आचार्य राकेश झा ने बताया कि बसंत पंचमी में सरस्वती पूजा के बाद शिशुओं का पारंपरिक विधि से अक्षरारंभ संस्कार होगा। आज से ही उनका विद्या अध्ययन भी शुरू होगा। विद्यार्थियों, साधकों, भक्तों व ज्ञान की चाह रखने वाले उपासकों को सिद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्त होते है ढ्ढ ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन मंत्र दीक्षा, नवजात शिशुओं का अक्षरारंभ, नए रिश्ते का आरंभ, विद्यारंभ व नए कला की शुरुआत करना शुभ माना गया है।
शिव-पार्वती का हुआ था तिलकोत्सव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बसंत पंचमी के पूरे दिन दोषरहित श्रेष्ठ योग रहता है तथा इस दिन अबूझ मुहूर्त के होने से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। बसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव व माता पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था और उनके विवाह की रस्में शुरू हुई थी। इसीलिए इस दिन हिन्दुओं के सभी शुभ कार्य गृह प्रवेश, नौकरी व व्यापार का आरंभ, भूमि पूजन, वाहन व आभूषण की खरीदारी के लिए उत्तम होता है। इस दिन मां शारदे के अलावा कामदेव की भी पूजा होती है। इसीलिए इस विवाह के लिए यह दिन शुभ होता है.
ज्ञान व शुभता के लिए पीतांबर धारण
पंडित झा के अनुसार प्रभु श्रीकृष्ण ने भी पीतांबर धारण करके सरस्वती माता का पूजन माघ शुक्ल पंचमी को किये थे। पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है जो ज्ञान, धन व शुभता के कर्क माने जाते है.इस ग्रह के प्रभाव से धनागमन, सुख व समृद्धि की प्राप्त होती है। पीला रंग शुद्धता, सादगी, निर्मलता व सात्विकता का प्रतीक है। यह रंग हमारे स्नायु तंत्र को संतुलित, मस्तिष्क को सक्रिय एवं मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में मददगार साबित होता है। पीला रंग जोश, ऊर्जा, उत्साह, ख़ुशी तथा सकारात्मकता का प्रवाह करता है। केसरिया या पीला रंग सूर्यदेव, मंगल और देवगुरु बृहस्पति ग्रहों का कारक है तथा उन्हें प्रबुद्ध बनाता है। इसीलिए इस दिन श्रद्धालु पीले रंग के वस्त्र धारण करते है।
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि- प्रात: 06.28 बजे से शाम 05.52 बजे तक
लाभ व अमृत मुहूर्त प्रात: 06.28 बजे से सुबह 09.15 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त सुबह 10.40 बजे से दोपहर 12.04 बजे तक
अभिजित मुहूर्त 11.41 बजे से दोपहर 12.26 बजे तक
चर मुहूर्त शाम 02.52 बजे से 04.17 बजे तक
राशि के अनुसार मां सरस्वती की पूजा
मेष- सिंदूर, लाल फूल, गुलाबी अबीर अर्पण करें।
वृष - हरे रंग की कलम, पीला फूल चढ़ाएं।
मिथुन- श्वेत रंग की कलम, अपराजिता पुष्प, नारियल अर्पण करें।
कर्क - लाल कलम, इत्र, अभ्रक चढ़ाएं।
सिंह- पीले रंग की कलम, लाल फूल, अभ्रक अर्पित करें।
कन्या- गुड़, अबीर, इत्र अर्पण तथा पुस्तक का दान करें।
तुला- नीला कलम, पंचामृत, गुलाबी अबीर, इत्र चढ़ाएं.
वृश्चिक- सफेद रेशमी वस्त्र, ऋतुफल, गंगाजल अर्पित करें।
धनु- श्वेत चंदन, अबीर, पीला फूल चढ़ाएं।
मकर- अरबा चावल, दही, पुष्प माला, शहद अर्पण करें।
कुंभ- खीर, पीला अबीर, इत्र चढ़ाएं.
मीन- सफेद वस्त्र, पीला फूल, घी अर्पित करें.