पटना ब्‍यूरो। बिहार की स्टार्ट-अप इकाइयों को स्केल-अप फंडिंग प्रदान करने के उद्देश्य से स्टार्ट-अप बिहार ने सिडबी के साथ हाथ मिलाया है। इसके लिए 150 करोड़ रुपये के बिहार स्टार्ट-अप स्केल-अप फाईनेंसिंग फंड की स्थापना संबंधी समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया गया। इसमें सिडबी का अंशदान 100 करोड़ रुपये एवं स्टार्ट-अप बिहार का अंशदान 50 करोड़ रुपये होगा। उप मुख्यमंत्री-सह-उद्योग मंत्री सम्राट चौधरी एवं उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव संदीप पौण्डरीक की उपस्थिति में समझौता पत्र पर स्टार्ट-अप बिहार की और से उद्योग निदेशक पंकज दीक्षित तथा सिडबी की ओर जेनरल मैनेजर अरिजीत दत्त ने हस्ताक्षर किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री-सह-उद्योग मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार देश के विकासशील राज्यों में से एक है। प्रतिकूल परिस्थितियों में बिहार दृढ़ संकल्प के साथ एक मजबूत राज्य बनकर उभरा है। उद्योग विभाग द्वारा स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। स्टार्ट-अप नीति, 2022 के तहत स्क्रीनिंग, मूल्यांकन, पिचिंग और फंडिंग के लिये चयन प्रक्रिया 45 दिनों के अंदर पूरा कर लिया जाता है जो प्रशंसनीय है। अपर मुख्य सचिव संदीप पौण्डरीक ने इस अवसर कहा कि बिहार स्टार्ट-अप नीति के अन्तर्गत लाभुकों को दस लाख रूपये तक सीड फंड की राशि देने का प्रावधान है। यह राशि ब्याज मुक्त ऋण के रूप में दी जाती है, जिसे 10 वर्षों के उपरान्त लौटाना होता है। साथ ही महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये महिला उद्यमियों को निर्धारित सीमा से 5 प्रतिशत अतिरिक्त फंडिग का लाभ दिया जाता है। योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा दिव्यांग उद्यमियों को 15 प्रतिशत अतिरिक्त फंडिंग का लाभ दिया जाता है। उन्होंने कहा कि बिहार में पंजीकृत स्टार्ट-अप यदि एंजेल इन्वेस्टर अथवा सेबी रजिस्टर्ड निवेशकों से निवेश लेने में सफल होते हैं तो उन्हें 2 प्रतिशत की प्रोत्साहन राशि तथा निवेशित राशि का अधिकतम 50 लाख रूपये तक का मैचिंग फण्ड दिया जाता है। सिडवी के साथ समझौता हो जाने से बिहार का स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम और मजबूत होगा। मौके पर उद्योग निदेशक पंकज दीक्षित ने जानकारी दी कि बिहार स्टार्ट-अप नीति के अन्तर्गत कुल 585 स्टार्ट-अप्स को चयनित किया जा चुका है, और इन्हें सीड फण्ड के रूप में 58.50 करोड़ की राशि स्वीकृत की जा चुकी है। विभाग द्वारा 31 करोड़ 38 लाख रूपये इन स्टार्ट-अप्स को सीड फंड (ऋण राशि) के रूप में वितरित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि बिहार के लगभग सभी जिलों से स्टार्ट-अप का चयन किया गया है। ये स्टार्ट-अप आर्टिफिसियल इंटेलिजेन्स, सूचना प्रौद्योगिकी, ड्रोन टेक्नोलॉजी, ब्लॉकचेन, लेखन एवं पत्रकारिता, कृषि, कृषि-तकनीक, खाद्य प्रसंस्करण, शिक्षा-तकनीकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं।उद्योग निदेशक ने बताया कि नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये चन्द्रगुप्त प्रबंध संस्थान, पटना के द्वारा स्टार्ट-अप बिहार के सहयोग से पी0जी0डी0एम0 पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। स्टार्ट-अप बिहार द्वारा विद्यार्थियों एवं युवाओं के बीच उद्यमिता एवं स्टार्ट-अप के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये राज्य भर में विभिन्न महाविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, तकनीकी संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रम यथा- स्टार्ट-अप ऑउटरीच कार्यक्रम, आईडियाथॉन, हैकथॉन आदि का आयोजन किया जाता है। राज्य भर में विभिन्न महाविद्यालयो, अभियंत्रण महाविद्यालयों, संस्थानों एवं तकनीकी संस्थानों में 43 स्टार्ट-अप सेल का स्थापना की जा चुकी है तथा 7 नये स्टार्ट-अप सेल का गठन प्रक्रियाधीन है।
इस अवसर पर सिडबी के जेनरल मैनेजर अरिजीत दत्त ने जानकारी दी कि सिडबी 1995 से विभिन्न एम0एस0एम0ई0 केंद्रित वेंचर कैपिटल फंड्स के कोष में योगदान देकर फंड ऑफ फंड्स संचालन कर रहा है। सिडबी ने पिछले कुछ वर्षों में फंड ऑफ फंड्स संचालन करने में दक्षता हासिल की है। सिडबी द्वारा सिडबी भारत एस्पिरेशन फंड, और एस्पायर फंड, स्टार्ट-अप ऑफ गवेर्मेंट ऑफ इण्डिया फंड, यू0पी0 स्टार्ट-अप फंड तथा ओड़िशा स्टार्ट-अप ग्रोथ फंड जैसे फंड ऑफ फंड्स का संचालन किया जाता है।
समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर कार्यक्रम में तकनीकी विकास निदेशालय के निदेशक विशाल राज, हस्तकरघा एवं रेशम निदेशालय के निदेशक विवेक रंजन मैत्रेय, उद्योग विभाग के विशेष सचिव दिलीप कुमार एवं संयुक्त सचिव योगेश कुमार सागर, सहायक उद्योग निदेशक ज्योति कुमारी आदि मौजूद रहे।