पटना(ब्यूरो)। माता मनसा देवी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती सोमवार को 65 वर्ष बाद अपनी जन्मभूमि व जिले के कलुआही प्रखंड के हरिपुर बख्शीटोल पहुंचेंगे। यह उनका पैतृक गांव है। यहां उनके ठहरने के लिए मंदिर से एक किलोमीटर दूर शंकराचार्य धाम बनाया गया है। मंगलवार व बुधवार को शंकराचार्य का प्रवचन होगा। बुधवार को ही माता मनसा देवी मंदिर के गर्भगृह में मनसा देवी की मुख्य प्रतिमा के साथ 37 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होगी तथा मंदिर का उद्घाटन समारोह होगा।

16 साल की आयु में लिया था सन्यास

पिता लालबंसी झा व माता गीता देवी के पुत्र शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती (घर का नाम नीलांबर झा) के दो भाई सुखदेव झा, श्रीदेव झा और एक बहन शशि कला अब इस दुनिया में नहीं हैं। शंकराचार्य भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कलुआही मध्य विद्यालय में हुई थी। गांव के लोहा उच्च विद्यालय से 10वीं उत्तीर्ण होकर वे अध्यात्म की ओर बढ़ गए थे। 16 वर्ष की उम्र में गृह त्याग दिया था। मैट्रिक के बाद उनकी आगे की पढ़ाई अन्य प्रदेशों में हुई। पिछले वर्ष शंकराचार्य जिले के बेनीपट्टी के उच्चैठ भगवती मंदिर पहुंचे थे, लेकिन संन्यास लेने के बाद अपने पैतृक गांव अब तक नहीं आए हैं।

बचपन से ही संस्कृत में करते थे पाठ

शंकराचार्य के सहपाठी प्रताप झा और भूप नारायण झा ने बताया कि वे बचपन से ही संस्कृत के श्लोकों का पाठ करते थे। नवनिर्मित मनसा देवी मंदिर से सटे ङ्क्षपडी स्वरूप विषहरा (माता मनसा देवी) की पूजा सदियों से चली आ रही है। शंकराचार्य बचपन में इस जगह घंटों साधना करते थे। शंकराचार्य के सभी भतीजे बाहर रहते हैं।

माता मनसा देवी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष निभा प्रकाश ने बताया कि शंकराचार्य बरौनी से सड़क मार्ग से समस्तीपुर, दरभंगा होकर मधुबनी जिले के बिस्फी प्रखंड के औंसी होते हुए रहिका प्रखंड के कपिलेश्वर स्थान पर पहुंचेंगे। यहां स्वागत के बाद अपने गांव बख्शीटोल पहुंचेंगे। मनसा देवी मंदिर का निर्माण शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट ने करीब दो करोड़ रुपये की लागत से कराया है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए 16 मई से नौ दिवसीय भागवत कथा और शतचंडी यज्ञ चल रहा है। इसमें मिथिला के अलावा ओडिशा के करीब दो दर्जन पंडित भाग ले रहे हैं। प्रतिदिन सूरत के कथावाचक पंडित सतीश झा प्रवचन दे रहे हैं।