पति का साहस और देशभक्ति
अपने पतियों के लिए शौर्य पदक लेने वाली ऐसी महिलाओं की आंखों पर एक चमक थी, जिसमें झलक रहा था कि उनके पति का साहस और देशभक्ति। हालांकि सरकारी रवैये से ये थोड़े असंतोष भी हैं, पर इसका असर इनकी आंखों में नहीं दिखता। ऑल इंडिया पुलिस गैलेंट्री मेडल अवार्डीज एसोसिएशन की ओर से इन्हें सम्मानित किया गया। दिलेर जवानों की पत्नियों ने सम्मानित होने के दौरान वह आपबीती सुनाई, जो उन्हें उस स्पॉट पर जाकर पता चला था, जहां उनके पतियों ने अंतिम सांस ली थी।

पोस्टिंग के 59वें दिन ही हो गई हत्या
चतरा के कुंदा में उन्हें ऑफिसर इंचार्ज बनाकर भेजा गया था, पर सर्विस रिवॉल्वर तक इश्यू नहीं किया गया था। एक बार वे बड़ी बेटी की बीमारी में आए थे और चले गए, पोस्टिंग के 59वें दिन एमसीसी वालों ने उन्हें गोली मार दी। उन दिनों गांव में कोई मेला लगा था। खबर आई कि एमसीसी के लोग दो गांव वालों को मारने आएं हैं। सूचना मिलते ही ये गांव के मेले में पहुंच गए और एमसीसी के दो लोगों को पकड़ लिया। पैदल ही दोनों को थाना ले जा रहे थे, तभी दूसरे घेरे ने उन पर गोली चला दी। यह घटना 12 अक्टूबर 1992 की है।
इला मिश्रा पटना

उन्हें कैंसर था, पर मुझे नहीं बताया गया था
यह घटना 23 सितंबर 2001 की है। बीएसएफ वालों ने फोन करके सूचना दी कि तबीयत खराब है, जल्दी आएं। वहां पहुंची, तो देख वे अपनी यूनिट में अकेले थे। उनकी यूनिट आगे निकल चुकी थी, जबकि उनकी तबीयत खराब थी और उन्हें देखने वाला भी कोई नहीं था। वे कश्मीर 162 बटालियन में थे। डॉक्टरों ने बाद में बताया कि उन्हें लीवर कैंसर है, जो कई सालों से था। इसकी सूचना फैमिली मेंबर तो दूर, पत्नी तक को नहीं दी गई थी।
रामावती देवी
पति : स्वर्गीय राज किशोर दूबे, सिवान

चोर को पकड़ लिया, पर खुद चले गए
जमालपुर रेलवे वर्कशॉप में उनकी पोस्टिंग आरपीएफ की ओर से हुई थी। उन्हें सूचना मिली कि वर्कशॉप से भारी मात्रा में सामानों की चोरी हो रही है। उन्होंने जब इसकी तफ्तीश की, तो पता चला कि इसमें कई गैंग काम कर रहे हैं। उन्होंने खुद अपनी जान पर खेलकर वर्कशॉप से सामान ले जा रहे चोरों को रंगे हाथ पकडऩे की कोशिश की, सफल भी हुए। इस क्रम में अपराधियों ने उन्हें अपनी गोली का निशाना बना लिया। 22 मार्च 2004 की घटना आंखों से अब तक नहीं मिटी है. 
इला राय
पति : स्वर्गीय विनय कुमार राय
गाजीपुर, यूपी

श्रीनगर की घाटी में उन्होंने ली अंतिम सांस
उनकी लगातार पोस्टिंग श्रीनगर बॉर्डर पर ही हो रही थी। बॉर्डर पर काम करते हुए उन्होंने लंबा वक्त गुजारा था। इसी बीच, बीएसएफ कैंप में एक सूचना आई कि इस एरिया में उग्रवादी देखा गया है। देखते-देखते सारे जवान तैयार हो गए। कांस्टेबल के रूप में ये भी उस टीम में शामिल हुए। दोनों तरफ से जमकर गोलीबारी हुई। उग्रवादियों को तो मार गिराया गया। पर इस मुठभेड़ में इन्हें भी गोली लगी और उनकी मौत हो गयी। 1993 में श्रीनगर की घाटी में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
चंपा देवी
पति : स्वर्गीय वृभुनाथ सिंह, बक्सर

सबकी जान बचा दिए, पर अपनी नहीं
सीआईएसएफ से विशाखापत्तनम के एक गैस गोदाम में उनकी पोस्टिंग लगी थी। वे लगातर कई दिनों से गैस के रिसने की बात बता रहे थे, लेकिन किसी ने भी उन पर ध्यान नहीं दिया। सीनियर व जूनियर सभी इग्नोर करते रहे। एक दिन प्लांट में आग लग गई। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। उन्होंने हर किसी को उस प्लांट से सेफ निकाला, पर खुद वापस नहीं आ पाए। बाहर निकलने की कोशिश कर ही रहे थे कि छत गिर गई और लोहे का छड़ सिर में घुस गया। अस्पताल जाने के क्रम में ही उनकी मौत हो गई। यह घटना 14 सितंबर 1997 की है।
सुमित्रा देवी
पति : स्वर्गीय विरेंद्र कुमार सिंह सब इंस्पेक्टर

जुटे देशभर के 'वीर'
होटल मौर्या में संडे को ऑल इंडिया पुलिस गैलेंट्री मेडल अवार्डीज एसोसिएशन की ओर से शहीद परिवार के कल्याणार्थ शौर्य सभा का आयोजन किया गया। इसमें बिहार, झारखंड, यूपी, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बंगाल, दिल्ली, पंजाब के सौ राष्ट्रपति पुलिस पदक विजेताओं ने हिस्सा लिया। इस मौके पर बंगाल के पूर्व पुलिस महानिदेशक रजत मजूमदार, पंजाब के पूर्व महानिरीक्षक सरदार एसएस भूलर, बिहार के पुलिस महानिरीक्षक सुनील कुमार, पुलिस महानिरीक्षक आलोक राज सहित कई सीनियर पुलिस ऑफिसर मौजूद थे।