-मृत कोरोना संक्रमितों के रिलेटिव से भी वसूली करते हैं पीएमसीएच के स्टाफ

-अंतिम दर्शन के लिए दिए 500 रुपए और विधवा होने से बच गई कविता

PATNA: बिहार के सबसे बड़े हॉस्पिटल पीएमसीएच में संडे को कोरोना से भी खतरनाक संक्रमण दिखा। लेकिन कविता अपनी साहस और जिद की वजह से विधवा होने से बच गई। पेशेंट चुन्नू कुमार की पत्नी कविता देवी को जब पति की मौत की सूचना दी गई तो वह सन्न रह गई। समझ नहीं पाई कि क्या करें। शव घर ले जाने की अनुमति नहीं मिलने पर एंबुलेंस से बांसघाट ले गई। वहां अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई। लेकिन इलेक्ट्रिक मशीन पर शव रखने से पहले कविता अंतिम बार पति का चेहरा देखना चाहती थी। इसके लिए उनसे पांच सौ रुपए की डिमांड की गई। रुपए देने के बाद डेडबॉडी से प्लास्टिक हटाया गया। कविता को दूर से ही चेहरा दिखाया गया, पति का शव नहीं होने पर उन्होंने अंतिम संस्कार कराने से इनकार कर दिया।

पूर्णिया के युवक का था शव

बाद में पता चला कि जिसका शव सौंपा गया था वह पूर्णिया के 45 वर्षीय दूसरे युवक था। कविता ने बताया कि पैक शव देखकर ही लग रहा था कि यह मेरे पति नहीं हैं। कपड़े और कदकाठी कुछ भी नहीं मिल रहा था। बार-बार चेहरा दिखाने की जिद कर रही थी लेकिन हॉस्पिटल के स्टाफ सुन नहीं रहे थे।

मृतकों के रिलेटिव से वसूली

इस घटना से स्पष्ट है कि पीएमसीएच में जिन कोरोना संक्रमितों की मौत हो जाती है, उनके रिलेटिव से भी स्टाफ वसूली कर लेते हैं। चुन्नू के रिलेटिव से बेड दिलाने के लिए दो सौ, वार्ड में वीडियो मंगाकर हाल जानने के लिए डेढ़ सौ, ट्रॉली से एंबुलेंस तक शव लाने वाले 300, एंबुलेंस चालक 50 रुपए, अंतिम दर्शन के लिए मुंह दिखाने के पांच सौ और घाट पर अंतिम संस्कार के लिए दो हजार रुपए लिए गए थे। यह वसूली हर पेशेंट्य या उनके रिलेटिव से की जाती है। जिसे रोक पाने में पीएमसीएच प्रशासन विफल है।