पटना ब्यूरो। शहर में हर दिन रोड एक्सिडेंट हो रहे हैं। साफ-सुथरी तथा लंबी-चौड़ी सड़कों पर भी दुर्घटनाओं का होना अब आम हो गया है। आंकड़ों के अनुसार 73 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं साफ-स्वच्छ मौसम में होती हैं, जबकि खराब मौसम जैसे बारिश और कोहरे में ये दुर्घटनाएं क्रमश: 9.5 प्रतिशत और 5.8 प्रतिशत होती हैं। इन सभी दुर्घटनाओं की केवल एक वजह है और वो है तेज गति से वाहन चलाना। इन दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कई तकनीकें और तरीके विकसित कर लिए हैं जिनके द्वारा तेज गति से वाहन चलाने पर रोक लगायी जा सकती है तथा दुर्घटनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके बावजूद पटना के सिक्सस लेन रोड आर ब्लॉक-दीघा अटल पथ पर मनमानी गति से चल रहे वाहनों पर लगाम नहीं लग पा रहा है। जबकि स्पीड पर लगाम कसने को सड़क के दोनों छोर आर ब्लाक व दीघा में स्पीड रडार गन लगाया गया है। फिर भी इसमें कमी नहीं आ रही है। पढ़े रिपोर्ट

जान गंवाने या फाइन का भी डर नहीं
स्पीड गन से वाहनों की गति आंकने के बाद मानक का उल्लंघन करने वाले वाहन चालक पर मोटी राशि का जुर्माना का प्रावधान है। अटल पथ पर दुर्घटना के बढ़ रहे मामलों ने पथ निर्माण विभाग को भी परेशान कर दिया है। वहीं तेज गति से वाहन चलाने वाले बेखौफ होकर वाहन दौड़ा रहे हैं। इसमें ज्यादातर युवा हैं जो बेखौफ अपनी बाइक उड़ा रहे हैं या स्टंट करते हैं।

80 की स्पीड तक चलने लायक है सड़क
पथ निर्माण विभाग के संबंधित अभियंता का कहना है कि सड़क के निर्माण की तकनीक में किसी तरह की दोष नहीं है। तकनीक के हिसाब से अगर वाहन की स्पीड 80 तक पहुंचती तो भी स्थिति नियंत्रण में रह सकती है पर यह देखा जा रहा कि वाहन की गति सौ से ऊपर पहुंच रही है। ऐसे में दुर्घटना को रोक पाने में परेशानी है। जबकि अधिकतम गति सीमा 40 की है जिसका बोर्ड भी लगा हुआ पर इसे नजरअंदाज किया जा रहा।

उल्टी दिशा से तेज चलने वालों पर पुलिस की नजर
एनएचएआई के तय मानक के हिसाब से प्रत्येक दो किमी पर एक रोड कट का प्रावधान है। सड़क सुरक्षा को ध्यान में रख इससे भी बेहतर मानक को इस सड़क के निर्माण में केंद्र में रखा गया है। इसके अतिरिक्त अंडरपास और फ्लाईओवर भी बने हैं। बहुत से मामले इस तरह के हैं कि लोग उल्टी दिशा में काफी तेज गति में वाहन चला रहे हैं। दुर्घटना को रोकने के लिए स्पीड गन लग जाने से उन वाहन चालकों पर नजर रखी जा सकेगी जो गति के तय मानक का उल्लंघन कर रहे। परंतु ऐसा नहीं हो पा रहा है।

ऐसे करता है स्पीड गनर काम
ब्लूटूथ तथा वाई-फाई से लैस स्पीड रडार गन को ट्रैफिक पुलिस के जवान कहीं भी ले जा सकेंगे। स्पीड से आने वाले वाहनों का इस गन के माध्यम से वीडियो और फोटो बनाया जाता है, जिसमें वाहनों की गति सीमा आ जाती है। ट्रैफिक पुलिस के जवान वाई-फाई के माध्यम से वीडियो, फोटो को आइटीएमएस के सर्वर रूम में सीधे अपलोड कर देते है। जहां से वाहन नंबर के आधार पर उसके मालिक का पता लगाकर चालान भेजा जाता है।

एक्सीडेंट का रहता है खतरा
किसी भी हाईवे पर तेज रफ्तार वाहन को अचानक रोकने पर एक्सीडेंट का खतरा रहता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए पुलिस मुख्यालय ने वाहन को रोके जाने के बजाय कार्रवाई कर चालान सीधे वाहन मालिक को भेजने के लिए स्पीड रडार गन खरीदा गया है।


सड़क सुरक्षा नजरअंदाज करने वालों का कटा चालान
26 बिना ड्राइविंग लाइसेंस वालों से : 130000 रुपये
9 ड्राइविंग के दौरान फोन का प्रयोग करने वालों से: 45000 रुपये
1002 बिना हेलमेट वालों से : 1002000 रुपये
96 तेज गति वाहन चलाने वालो से : 192000
1529 पर सीसीटीवी कैमरा के माध्यम से: 1860600
क्र(यह आंकड़ा 14 फरवरी 2003 का है)

स्पीड से वाहन चलाने वालों पर अंकुश लगाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। प्रतिदिन तेज रफ्तार में वाहन चलाने वालों के उपर भी कार्रवाई हो रही है उनका चालान भी कांटा जा रहा है। अटल पथ पर भी तेज रफ्तार वाहन चलाने वालों में काफी कमी आई है। अटल पथ पर गश्ती भी बढ़ा दी गई है।
- अशोक कुमार चौधरी, एसपी ट्रैफिक, पटना