पटना(ब्यूरो)। पटना के जाने माने समाजसेवी एवं कारोबारी श्रीचंद सेठिया जैन का निधन सात मई को हो गया। वे 92 वर्ष के थे। उन्होंने अपनी मृत्यु से पूर्व ही परिवार को यह बता दिया था कि वे संपूर्ण देहदान करने की इच्छा रखते हैं। उनकी इस इच्छा को परिवार के सदस्यों ने सम्मान देते हुए सोमवार की सुबह 10.30 बजे आईजीआईएमएस को सौंप दिया। आईजीआईएमएस प्रशासन ने बिना किसी देरी के उनकी दोनों आंखों की कार्निया को सुरक्षित रख लिया। अब श्रीचंद सेठिया जैन की आंखों से कोई जरूरतमंद यह दुनिया देख सकेगा। संपूर्ण देहदान कर श्रीचंद सेठिया जैन ने समाज के समक्ष एक सकारात्मक एवं प्रेरक संदेश दिया है। जैन परिवार के इन निर्णय को आईजीआईएमएस ने भी सराहना की है।

समिति से मिली प्रेरणा

इस बारे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने बातचीत करते हुए श्रीचंद सेठिया जैन के पुत्र मनोज सेठिया एवं मनीष सेठिया ने बताया कि संपूर्ण देहदान करने की प्रेरणा दधीचि देहदान समिति, बिहार से मिली। संस्था के महासचिव विमल जैन से भी इस बारे में बातचीत हुई थी। मनोज ने कहा कि शरीर तो नश्वर है और मृत्यु के बाद यदि एक व्यक्ति का शरीर किसी के काम आ सके तो इससे बड़ी बात और क्या होगी, क्योंकि इससे मानव हित का कार्य हो सकता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर संपूर्ण देहदान का निर्णय लिया। उन्होंने अपने जीवन काल में ही यह बता दिया था कि मेरी मृत्यु के बाद संपूर्ण देहदान कर दिया जाए।

जैन समाज में लोकप्रिय रहे

श्रीचंद सेठिया न केवल कारोबारी रहे, बल्कि वे अपने समाज में बड़े ही लोकप्रिय व्यक्तित्व रहे हैं। इस बारे में उनके बेटे मनोज एवं मनीष ने बताया कि जैन समाज का एक बड़ा तीर्थ है झारखंड में पारसनाथ। यहां करीब 32 वर्षों तक धार्मिक कार्य में उनके पिता ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहां जैन श्ववेतांबर सोसाइटी है। सेठिया जी के नाम से वहां भी बहुत फेमस रहे हैं। मानव हित के लिए उन्हें अपनी सामथ्र्य से जो बन पड़ा, सब कुछ करने में अग्रणी रहे। अपने पूरे जीवन काल में एक बहुत ही सज्जन इंसान रहे। मनोज ने बताया कि अंत समय में उनकी किडनी और यूरीन की समस्या रही थी।

कैडेवरिक डोनेशन रहा

जानकारी हो कि डोनेशन दो प्रकार के होते हैं। एक आर्गन डोनेशन और दूसरा बॉडी डोनेशन। जब व्यक्ति मरने के बाद बॉडी डोनेट करता है तो इसे कैडेवरिक डोनेशन कहा जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति की बॉडी से कॉर्निया सुरक्षित रखी जा सकती है ,जिससे जरूरतमंद देख सके। इसके अलावा बॉडी को सुरक्षित रखते हुए इसे मेडिकल स्टूडेंट्स अभ्यास के लिए प्रयोग कर सकेंगे। श्री चंद जैन के संपूर्ण देहदान के अवसर पर आईजीआईएमएस के एनॉटोमी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। अविनाश कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। बिनोद कुमार और डिप्टी डायरेक्टर डॉ। मनीष मंडल एवं अन्य उपस्थित रहे। दधीचि देहदान समिति बिहार के महासचिव पद्मश्री विमल जैन भी उपस्थित रहे।

मुहिम जारी है

देहदान के बाद दधीचि देहदान समिति बिहार के महासचिव पद्मश्री विमल जैन ने कहा कि अंगदान की मुहिम बिहार में बीते चार-पांच सालों से जारी है। इसके कुछ अच्छे परिणाम भी मिले हैं। सरकार की ओर से मेडिकल कॉलेजों में आई बैंक खोल दिया गया है। लेकिन डोनेशन की प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभी भी समाज में देहदान को लेकर भ्रांति है। कई लोग इसे पुनर्जन्म से जोड़ते हैं। व्यक्ति के अगले जन्म को लेकर मन में दुविधा में रहते हैं। लेकिन यह भ्रम मात्र है। यदि एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद समाज को उसके शरीर का लाभ मिल सकता है, तो देहदान जरूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार में प्रतिवर्ष 12 हजार लोगों को कार्निया की जरूरत होती है, लेकिन बीते तीन -चार साल में महज एक हजार डोनेशन ही कार्निया डोनेट हो पाया है।
-----------