पटना (ब्यूरो)।वेंडर छोटे स्टाम्प पेपर की आपूर्ति नहीं होने का हवाला देकर अधिक कीमत में स्टाम्प बेच रहे हैं। हालांकि लोगों के लिए ई-स्टाम्प की सुविधा भी उपलब्ध है, पर बैंक चालान व अन्य झंझट से बचने के लिए वे महंगे दामों में स्टाम्प खरीद रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास स्टाम्प पेपर की कालाबाजारी को लेकर लगातार शिकायतें आ रही थीं। जिसके बाद सोमवार को जब इसकी पड़ताल की गई तो हकीकत सामने आई। पढिय़े पूरी रिपोर्ट
नहीं मिल रहा 10 का स्टाम्प
गौरव कुमार नालंदा जिला का रहने वाला है और पटना में रह कर पढ़ाई करता है। सोमवार को वह सिविल कोर्ट में स्टाम्प के लिए पहुंचा। आर्मी भर्ती में 10 रुपये के स्टाम्प की जरूरत उसे थी। लेकिन यह दस रुपये का स्टाम्प वेंडरों के पास नहीं था। गौरव ने बताया कि किसी भी वेंडर ने दस रुपये के स्टाम्प होने से मना कर दिया है। वहीं आरटीआई कार्यकर्ता मिथिलेश सिंह भी दस रुपये के स्टाम्प के लिए पहुंचे थे। उन्हें आरटीआई फीस के तौर पर दस रुपये का स्टाम्प लगाना होता है। लेकिन यह फिलहाल किसी भी वेंडर के पास उपलब्ध नहीं है। वेंडरों की ओर से उन्हें बताया गया है कि दस रुपये का स्टाम्प आना बंद हो गया है।
स्टाम्प की कृत्रिम कमी
वेंडरों की ओर से जहां साफ तौर पर पांच और दस रुपये के स्टाम्प होने से मना कर दिया गया। वहीं सिविल कोर्ट में कमिशन एजेंटों के पास यह उपलब्ध है। लेकिन दस का स्टाम्प के लिए आपको सौ रुपये का भुगतान करना होगा। वहीं 20 रुपये का स्टाम्प के लिए दो सौ रुपये का चार्ज देना पड़ सकता है। सिविल कोर्ट में स्टाम्प निर्धारित दर से काफी अधिक पर बेची जाती है। फिर ज्यादातर इसके लिए कमिशन एजेंटों को तय कर उन्हीं के माध्यम से बेची जाती है। ताकि वेंडर संभावित कानूनी कार्रवाई के दायरे में भी नहीं आए और उनके मुनाफा का धंधा भी चलते रहे। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक वेंडर ने बताया कि जानबुझकर ट्रेजरी से छोटे स्टाम्प नहीं जारी किए जाते हैं। जिसकी वजह से इसकी जबर्दस्त कमी हो गई है। रवि नाम के एक कमिशन एजेंट ने बताया कि जो भी स्टाम्प आता है उसके लिए ट्रेजरी के लोगों को पैसा देना पड़ता है। यहीं कारण है कि वेंडरों की ओर से निर्धारित दर से अधिक की राशि ली जाती है।
पटना में स्टाम्प के 37 अधिकृत वेंडर
पूरे पटना में 37 अधिकृत वेंडरों के जरिए स्टाम्प की बिक्री की जाती है। प्रत्येक स्टाम्प पर वेंडरों के लिए छह प्रतिशत कमिशन निर्धारित है। यानी एक हजार का स्टाम्प अगर वेंडर ट्रेजरी से खरीदतें हैं तब इसके लिए उन्हें छह प्रतिशत का शुल्क काटकर ही भुगतान करना होता है। इसके बाद भी वेंडरों की ओर से मनमानी दर पर स्टाम्प बेची जाती है।
नासिक से मंगाई गई है स्टाम्प
बिहार में नासिक से स्टाम्प मंगाई गई है। इससे छह माह पहले भी स्टाम्प को लेकर क्राइसिस की स्थिति पैदा हो गई थी। जिसका मेन वजह स्टाम्प का ट्रेजरी से सप्लाई बंद होना था। तब अधिकारियों की ओर से बताया गया था कि स्टाम्प की केंद्र से आपूर्ति ठप हो गई है। लेकिन इसके बाद नासिक से स्टाम्प की आपूर्ति सुनिश्चित होने के बाद इसकी किल्लत खत्म हो गई थी।
स्टाम्प की यहां पड़ती है जरूरत
दो पक्षों के बीच होने वाले समझौता के लिए भी एग्रीमेंट की जरूरत होती है। किसी भी प्रकार के एग्रिमेंट एक हजार के स्टाम्प पर ही हो सकता है। इसके अलावा छात्रों को भी यदा-कदा शपथ पत्र से लेकर अन्य जरूरी चीजों में स्टाम्प की जरूरत होती है। कोर्ट में न्यायिक कॉपी, बेल बांड, हाजिरी देने, अग्रिम या नियमित जमानत, शपथ पत्र, उपभोक्ता फोरम, राजस्व न्यायलय आदि कार्य में स्टाम्प की जरूरत होती है। इससे सरकार को करोड़ो का राजस्व आता है।
स्टाम्प का विकल्प ई-स्टाम्प
अगर आप स्टाम्प की कालाबाजारी से परेशान हैं और आपसे ज्यादा कीमतें वसूली जा रही है। तब ई-स्टाम्प का विकल्प भी मौजूद है। लेकिन पटना में यह केवल रजिस्ट्री ऑफिस में ही उपलब्ध है। वहीं लोग बैंक की प्रक्रिया से बचने के लिए भी ई-स्टाम्प नहीं खरीदते हैं.
वर्जन
पटना में स्टाम्प की कोई किल्लत नहीं है। यहां पर सभी वेंडरों के पास पर्याप्त मात्रा में स्टाम्प उपलब्ध है। नासिक से स्टाम्प की आपूर्ति के बाद फिलहाल कोई कमी नहीं है। एक से लेकर एक हजार तक का स्टाम्प सभी वेंडरों को उपलब्ध कराया गया है। इसलिए वे देने से मना नहीं कर सकते हैं। ऐसे वेंडरों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी जो स्टाम्प नहीं होने की बात करते हैं या फिर स्टाम्प फी से अधिक की राशि लेते हैं।
अरूण कुमार
जिला कोषागार पदाधिकारी, पटना