पटना(ब्यूरो)। राज्य भर में शिक्षा(बीएड) की पढ़ाई में अग्रणी पटना वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज की छात्राएं आज जर्जर भवन में पढऩे को मजबूर हैं। वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज की छात्राएं राज्य स्तर पर होने वाले एंट्रेंस टेस्ट की टॉपर्स होती हैं। यहां की छात्राएं पूरे देश में शिक्षा की अलख जगा रही हैं, लेकिन वर्तमान में यहां की छात्राओं को सुविधाओं के अभाव में खतरा मोल लेकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। ऐसा ही हाल पटना ट्रेनिंग कॉलेज का भी है। कॉलेज के छात्रों के पास न तो रहने को छात्रावास हैं और न बुनियादी सुविधाएं कॉलेज से मिल रही हैं। दैनिक जागरण आई नेकस्ट अपने अभियान ये सवाल फ्यूचर का है के तहत इन दोनों कॉलेजों के हालात का जायजा लिया। पढ़े यह रिपोर्ट।

जर्जर हालत में है बिल्डिंग

पटना वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज की छत जगह-जगह से टूटकर गिर रही है। इसी में कक्षाएं आयोजित होती रहती हैं। खतरा लेकर पढऩा छात्रों की मजबूरी है। कॉलेज का अपना एक छोटा सभागार सह क्लास रूम है, लेकिन उसकी हालत भी जर्जर है। दूसरी तरफ दरियापुर में लड़कों की शिक्षा की पढ़ाई कराने वाले पटना ट्रेनिंग कॉलेज के हालात कमोवेश ऐसे ही है। इस कॉलेज को नैक की मान्यता प्राप्त है।

नियमित शिक्षकों के पद खाली

पटना ट्रेनिंग कॉलेज की बात करें तो प्राचार्य के अलावा यहां आठ शिक्षकों के पद हैं, लेकिन पांच पद खाली हैं। जो खाली पद हैं उन पर गेस्ट फैकल्टी की बहाली कर अस्थायी तौर पर काम चलाया जा रहा है। यही स्थिति पटना वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज की भी है जहां नौ पद है लेकिन इन पदों पर गेस्ट फैकल्टी से काम लिया जा रहा है। दोनों ही कॉलेजों में 15-15 गेस्ट फैकल्टी बहाल हुए थे लेकिन पटना कॉलेज में दस शिक्षक छोड़कर चले गए और पटना वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज के पांच शिक्षकों ने पद छोड़ दिया।

कई फैकल्टी अब भी खाली

पहले एक वर्षीय बीएड प्रोग्राम चलता था। पिछले कुछ वर्षों से एनसीटीई ने एक की जगह दो वर्षीय बीएड कोर्स स्ट्रक्चर को लागू कर दिया। इस तरह अब कॉलेज में एक साथ दो बैच बीएड के चलते हैं। शिक्षकों की सीट उतनी ही है जबकि अब सौ कि जगह दो सौ छात्र एक समय में कॉलेज में क्लास करते हैं। न जगह बढ़ी है और न ही शिक्षकों की संख्या। इन कॉलेजों में दोनों ही प्राचार्य किसी तरह से सभी कक्षाओं को मैनेज करते हैं। एनसीटीई के अनुसार दोनों ही कॉलेजों में प्राचार्य को छोड़कर 15-15 शिक्षक होने चाहिए। कॉलेज में सीट सैंक्शन को लेकर सरकार को लिखा गया है। इस पर दोनों ट्रेनिंग कॉलेजों को तीन-तीन स्थायी शिक्षक हाल में मिले हैं वह भी साइंस स्ट्रीम के है। कॉलेज को अब भी इंग्लिश, भूगोल, होम साइंस आदि विषयों के शिक्षकों की जरूरत है। पटना ट्रेनिंग कॉलेज में सोशल साइंस के स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। ऐसे में लैग्वेज के छात्रों को ज्यादा दिक्कतें हो रही है।

वर्षों से नहीं कराया गया रंगरोगन

कॉलेज का एक छोटा स्पोटर्स ग्राउंड है लेकिन वहां जंगल-झाड़ हैं। वहीं ऐसा लगता है कि वर्षों से कॉलेज का रंगरोगन नहीं हुआ है। इस ग्राउंड के रिनोवेशन के लिए भी यूनिवर्सिटी इंजीनियर के द्वारा इस्टीमेट बनाकर दिया हुआ है लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। कॉलेज भवन का अधिकतम भाग जर्जर हो चुका है। जगह से जगह से छत के प्लास्टर टूटकर गिरते हैं। कुछ एक जगह जो ज्यादा खतरनाक थे, उसे मरम्मती कराया गया है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है।

डे केयर सेंटर बना पर कर्मचारी नहीं

वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज में पढऩे व पढ़ाने आने वाली मां बन चुकी छात्राएं हो या शिक्षिका उनके बच्चों की देखभाल के लिए काफी सुंदर डे केयर सेंटर बनवाया गया लेकिन कर्मचारी की नियुक्ति नहीं होने के कारण इसमें ताला लगा रहता है। वहीं स्पोटर्स रूम में रखे सामान व जिम के इक्यूपमेंट खराब हो रहे है। लाइब्रेरी में किताबें तो है लेकिन लाइब्रेरियन के न होने से किताबों पर मोटी परत धूल की पर गई है। लैब की छत जहां टूट कर गिर रही है। वहीं यहां रखें सारे सामान खराब हो रहे हैं।

जर्जर हॉस्टल में रहने को छात्र विवश

एक ओर जहां वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज में बिहार के अन्य जिलों से पढऩे आने वाली छाएं हॉस्टल न होने की वजह से परेशान है। अपना नामांकन यहां नहीं करा रही है। वहीं ब्वायज ट्रेनिंग कॉलेज के छात्र खंडर में तब्दील हो रहे छात्रावास में रहने को विवश है। दरियापुर स्थित छात्रावास के सभी कमरे जर्जर स्थिति में है। कई कमरों में छत व दीवारों से पेड़ पौधों के जड़ तक निकल आए है। छात्र सिलिंग में कागज चिपका कर रह रहे हैं।

गंदगी का लगा है अंबार

दोनों कॉलेज में स्वीपर के नहीं आने के कारण हर तरफ गंदगी फैली हुई है। वीमेंस कॉलेज में फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों के कई पद खाली हैं। जो एक दो हंै भी वे सेवानिवृत होने जा रहे हैं। इतना ही नहीं इन कॉलेजों में न तो माली है और नाइट गार्ड।

हॉस्टल के टॉयलेट में दरवाजा नहीं

पटना ट्रेनिंग कॉलेज के छात्रावास में रहने वाले लड़कों की मानें तो कॉलेज में 60 छात्रों की व्यवस्था है लेकिन करीब 200 स्टूडेंट रह रहे हैं। दोनों तल्लों पर टॉयलेट की स्थिति दयनीय है। कई में तो दरवाजा ही नहीं है।

16 लाख रुपये बिजली बकाया

पटना ट्रेनिंग कॉलेज के छात्रावास में रहने वाले छात्रों को इस तेज गर्मी के मौसम में बिना पंखे और लाइट के अंधेरे में रहना पड़ रहा है। इसकी मुख्य वजह हॉस्टल पर 16 लाख रुपये का बकाया। बकाया होने की वजह से लाइन काट दिया जाता है। ऐसे में कई कई दिनों तक हॉस्टल में अंधेरा फैला रहता है।

अराजक तत्वों का कैंपस में जमावड़ा

पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य हों या स्टूडेंट सबके सामने सबसे बड़ी समस्या कॉलेज परिसर में अराजक तत्वों के जमावड़े से होती है। सुरक्षा गार्ड के न होने की वजह से अपराधी किस्म के लड़के या नशेबाज कैंपस में बेधड़क प्रवेश कर जाते है। खासकर शाम के समय तो इनकी संख्या ज्यादा होती है। इतना ही नहीं कई बार छात्रावास के छात्रों के साथ मारपीट भी हो जाती है। वहीं नए भवन की तरफ मोहल्ले के लोगों ने कचरा फेक कर गंदगी का अंबार लगा दिया है। ऐसे में कचरे से उठती सड़ाध की वजह से नए भवन परिसर में ठहरना मुश्किल हो जाता है।

जिम्नेजियम कभी खुला ही नहीं

पटना ट्रेनिंग कॉलेज के कॉमन रूम में दो-दो एसी लगे हैं। लेकिन हालात देखकर लगता ही नहीं की कभी कॉमन रूम का दरवाजा खुला हो ओर एसी चली हो। एसी में जंग लग चुके हैं। वहीं हॉस्टल में बने जिम्नेजियम का दरवाजा भी नहीं खुला। कैंटीन स्टूडेंटस के लिए है ही नहीं। वाटर कूलर से आने वाला पानी भी पीने योग्य नहीं होता।

कॉलेज के टीचर्स की छुट्टी हुई रद

कॉलेज प्रशासन की तरफ से विश्वविद्यालय ने सभी शिक्षकों की गर्मी की छ़ुट्टी रद कर दी है। वहीं गेस्ट टीचरों के सामने भविष्य की चिंता सताने लगी है। क्योंकि जीरो सेशन जून से शुरू हो रही है। ऐसे में उनका कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में कई विभागीय काम है जो स्थायी शिक्षकों के कंधे पर आ जाएगा। ऐसे में सबसे समस्या नए सत्र के स्टूडेंटस के सामने आ जाएगी। तीन शिक्षक कैसे क्लास लेंगे। गेस्ट टीचर की नियुक्ति में भी एक से दो माह का समय लगेगा।