पटना (ब्यूरो)। अगर आप फल खाने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए , क्योंकि बाजार में बिकने वाले चमकदार फलों को खाने से आपको लीवर कैंसर, गुर्दे तथा बड़ी आंत का कैंसर हो सकता है। बाजार में इस समय फलों के राजा आम, केला, पपीता तथा अमरूद की भरमार है, जिन्हें बेहद नुकसानदायक तथा जहरीले रसायन कैल्शियम कार्बाइड से पकाए जा रहा है उधर, इन व्यापारियों पर फूड सेफ्टी विभाग का कोई लगाम नहीं है। जांच के लिए नमूने तो लिए जाते हैं मगर सैंपल का रिपोर्ट नहीं आता है जिस वजह से व्यापारियों का मनोबल दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। पढि़ए रिपोर्ट

बैन के बावजूद हो रहा है उपयोग
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स आथॉरिटी ऑफ इंडिया ने फलों को कैल्सियम कार्बाइड से पकाने के लिए पूरी तरह से बैन किया है। मगर पटना के बाजारों में कैल्सियम कार्बाइड से पके आम, केला बेचे जा रहे हैं। मौसम में आ रहे बदलाव के कारण बीमार हुए लोगों को मौसमी फल खाने की सलाह डॉक्टर देते हैं। जिस वजह से लोग आम सहित अन्य फल खरीदकर खार रहे हैं। लेकिन ठीक होने की वजाय ये और बीमार हो जा रहे हैं।

एसिटिलीन की ताप से पकता फल
एक्सपर्ट की माने तो फलों का पकना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके जरिये फल अपने वांछित स्वाद, गुणवत्ता, रंग और प्रकृति और अन्य गुणों को प्राप्त करते हैं। फलों को पकाने के लगभग सभी तरीके या तो पारंपरिक हैं या आधुनिक रासायनिक तरीके हैं। जिसके अपने गुण और अवगुण हैं। प्राकृतिक परिस्थितियों में, एथिलीन, पौधे द्वारा उत्पादित एक पकने वाला हार्मोन है जो पकने की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करने के लिए घरों में प्रचलित एक सरल तकनीक है। कैल्सियम काबाईड को पानी में डालने के बाद जो गैस निकलता है उसे एसिटिलीन कहते है। एसिटिलीन के ताप से कोई भी फल आसानी पक जाता है।

लीवर कैंसर की संभावना
डॉक्टरों ने बताया कि आम को पकाने में उपयोग होने वाला कैल्सियम काबाईड वेल्डिंग के दौरान निकलता है। जिससे लोहा का वेल्डिंग किया जाता है उसी गैस से बाजार में आम को पकाया जा रहा है। इस तरह के पके आम को लगातार खाने से लीवर कैंसर, गुर्दे तथा बड़ी आंत का कैंसर हो सकता है। इतना ही नहीं शुरुआती में डायरिया, अल्सर, उल्टी, आंख दर्द, सांस में परेशानी, नींद कम आना आम बात है। जो बाद में भयावह रूप ले लेता है।

24 घंटे में पक जाता है आम
कैल्सियम काबाईड से निकलने वाले एसिटिलीन गैस की ताप इतना ज्यादा होता है कि आम को पकने में 24 घंटे भी नहीं नहीं लगता है। बताते चलें कि नेचुरल तरीके से अगर आम को पकाया जाए तो सात से आठ दिन का वक्त लग जाएगा। इतने दिनों तक व्यापारी फलों के पकने का इंतजार नहीं करते। रासायनिक तरीके से पकाकर लोगों को बेच देते हैं। इस तरीके से पके फल में एक समान रंग और स्वाद नहीं होता है।
इस तरह हुआ खुलासा
दीघा आम पटना ही नहीं दूसरे प्रदेश भेजे जाते हैं। नाम न छापने के शर्त पर व्यापारी ने बताया कि टोकरी में एसिटिलीन डाल कर पैक कर देते हैं। 24 घंटे के बाद जब आम दूसरे प्रदेश पहुंचती है तो पका हुआ मिलता है। अगर आम को इस तरह नहीं पकाया जाए तो आधे से अधिक आम सड़ जाते हैं जिससे व्यापारियों को काफी नुकसान भी होता है।