PATNA : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी (एनआईटी),पटना में सत्र ख्0क्म्-क्7 की एडमिशन प्रॉसेस पूरी होने के बाद कुल 70म् सीटों में 9ख् सीटें खाली रह गई हैं। म्क्ब् पर ही दाखिला हो पाया है, हालांकि ऐसा नहीं है कि एनआईटी पटना में ही ऐसी स्थिति है। देश के सभी एनआईटीज में सीटें खाली रह गई हैं। यही नहीं, देश के ख्ख् आईआईटी में छह में ही सभी सीटें भर पाई हैं।

अन्य में कुल मिलाकर 7फ् सीटें रिक्तरह गई। आईआईटी पटना में भी एक सीट खाली है। इस वर्ष भी सेंट्रल सीट अलोकेशन बोर्ड (सीसैब-ख्0क्म्) के अध्यक्ष एनआइटी पटना के निदेशक प्रो। अशोक डे थे। एनआईटी पटना को सभी आईआईटी, एनआईटी एवं सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त इंजीनिय¨रग संस्थानों में दाखिले के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया के संचालन की जिम्मेदारी मिली थी।

एमएससी में ज्यादा सीटें खाली

ज्वॉइंट सीट अलोकेशन अथॉरिटी-ख्0क्म् के क्षेत्रीय समन्वयक एवं एनआइटी पटना के कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट के सहायक प्राध्यापक डॉ। एमपी सिंह ने बताया कि एनआइटी पटना में कुल 9ख् खाली सीटों में सबसे ज्यादा इंटीग्रेटेड एमएससी कोर्स में हैं। एमएससी-भौतिकी, एमएससी- रसायन शास्त्र और एमएससी-गणित में फ्0-फ्0 सीटें हैं। इनमें क्रमश: क्8, ख्ख् और क्7 सीटें नहीं भर पाई। बैचलर इन आर्किटेक्चर कोर्स की म्फ् में क्भ् सीटें खाली रह गई हैं। छात्रों में काफी लोकप्रिय बीटेक-कंप्यूटर साइंस कोर्स की भी एक सीट खाली रह गई। इस तरह से सीटें खाली रहने से कई सवाल उठने लगे हैं।

शुल्क बढ़ोतरी का खामियाजा

सीटें खाली रहने के बारे में डॉ। एमपी सिंह ने कहा कि एमएससी इंटीग्रेटेड कोर्स के संदर्भ में फीस भी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। भले ही क्ख्वीं के बाद इस कोर्स में एडमिशन लेने पर चार साल में एमएससी की डिग्री मिल जाती हो पर एनआईटी में इस कोर्स की सालाना फीस करीब क्.ख्भ् लाख रुपए है। वहीं बगल में स्थित साइंस कॉलेज परिसर में चल रहे एमएससी कोर्स की कुल फीस क्0 हजार से भी कम है। फैकल्टी का स्तर भी उतना ही अच्छा है। ऐसे में संभवत: छात्रों को लगता है कि साइंस कॉलेज किफायती विकल्प है।

पूर्वोतर में अंतिम विकल्प

डॉ। एमपी सिंह के मुताबिक छात्र यह भी देखते हैं कि चार साल में इंटीग्रेटेड एमएससी कोर्स पूरा करने के बाद प्लेसमेंट की क्या संभावनाएं हैं। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सभी एनआईटी के इंटीग्रेटेड कोर्स की लगभग यही स्थिति है। सीटें खाली रहने का अन्य प्रमुख कारण यह भी है कि संस्थान किस राज्य में हैं। देश के अन्य भागों के छात्र सामान्यत: पूर्वोत्तर राज्यों के संस्थानों में दाखिले को अंतिम विकल्प के रूप में रखते हैं। यही कारण है कि अन्य राज्यों के संस्थानों की तुलना पूर्वोतर के राज्यों में अपेक्षाकृत ज्यादा सीटें खाली रह जाती हैं। डॉ। सिंह ने हालांकि स्पष्ट किया कि काउंसिलिंग की प्रक्रिया बंद हो चुकी है। अब किसी भी संस्थान में स्पॉट राउंड से एडमिशन नहीं होगा।