पटना (ब्यूरो)। सिख पंथ के छठे गुरु हरगोङ्क्षवद एक परोपकारी योद्धा थे। उनका जीवन दर्शन जन-साधरण के कल्याण से जुड़ा हुआ था। उन्होंने अकाल तख्त का निर्माण कराया। मीरी पीरी तथा कीरतपुर साहिब की स्थापनाएं की थी। उन्होंने रोहिला, कीरतपुर, हरगोङ्क्षवदपुर, करतारपुर समेत अन्य लड़ाईयों प्रमुखता से भागीदारी निभाई थी। उन्होंने सिखों को युद्ध कलाएं सिखाने तथा सैन्य परीक्षण के लिए भी प्रेरित किया था। यह बात रविवार को सिख पंथ के छठे गुरु हरगोङ्क्षवद ङ्क्षसह महाराज के ज्योतिजोत पर्व पर तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के सजे विशेष दीवान में कथावाचक ज्ञानी गगनदीप ङ्क्षसह व दलजीत ङ्क्षसह ने कहा। इससे पहले दो दिनों से मुख्य ग्रंथी भाई दिलीप ङ्क्षसह की देखरेख में चल रहे श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ का समापन हुआ।

विश्व शांति के लिए अरदास
रागी जत्थों में भाई अरङ्क्षवद ङ्क्षसह ,नङ्क्षवदर ङ्क्षसह, जगत ङ्क्षसह,हरभजन ङ्क्षसह,भाई कङ्क्षवद्र ङ्क्षसह ने वैराग्यमय कीर्तन किया। कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी बलदेव ङ्क्षसह ने शस्त्र दर्शन के बाद विश्व शांति व भाईचारे के लिए अरदास किया। विशेष दीवान की समाप्ति के बाद संगतों ने पंगत में बैठकर गुरु का लंगर छके। उधर गुरुवाणी प्रचार सेवा केंद्र में बेबी कुमारी की अध्यक्षता व छोटू तिवारी के संचालन में संगोष्ठी हुई। इस दौरान प्रो। लाल मोहर उपाध्याय द्वारा लिखी पुस्तक मीरी पीरी के मालिक बंदी छोड़ दाता का विमोचन प्रबंधक समिति के पूर्व महासचिव सह सदस्य महेंद्रपाल ङ्क्षसह ढिल्लन ने किया।