-पटना में गंगा के घाटों पर उमड़े लोग, आज खरना कर व्रती लेंगे 36 घंटे निर्जला उपवास का संकल्प

PATNA: महापर्व छठ का चार दिवसीय महाअनुष्ठान बुधवार को रवियोग में नहाय-खाय से आरंभ हो गया। छठ व्रतियों ने जलाशयों, कुआं, तालाब, नदी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, लौकी की सब्जी, आंवले की चासनी का प्रसाद ग्रहण कर व्रत की शरुआत की। गुरुवार को लोहंडा या खरना में व्रती पूरे दिन उपवास कर शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी। गुरुवार को ही खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ व्रती 36 घंटे का निर्जला अनुष्ठान का संकल्प लेंगी। जबकि शुक्रवार 20 नवंबर की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाएगा। छठ महापर्व के चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के अंतिम दिन सप्तमी शनिवार 21 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का आशीर्वाद लिया जाएगा। शनिवार को ही व्रती अपना व्रत पूर्ण कर पारण करेंगी।

बरसती है छठी मैया की कृपा

ज्योतिष आचार्य राकेश झा ने बताया कि छठ महापर्व खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार श्रद्धापूर्वक व्रत-उपासना करने वाले व्रतियों और श्रद्धालुओं पर खरना से लेकर छठ के पारण तक छठी माता की कृपा बरसती है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अ‌र्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है। सूर्य को आरोग्य का देवता माना गया है। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता है।

खरना से दूर होते कष्ट

छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की स?जी और अरवा चावल के सेवन का खास महत्व है। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है। खरना के प्रसाद में गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा समाप्त हो जाते हैं। ज्योतिषी झा ने कहा कि लोक आस्था का महापर्व छठ का व्रत आरोग्य प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत किया था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था, भगवान भास्कर से इस रोग से मुक्ति के लिए राजा ने छठ व्रत किया था। स्कन्द पुराण और वर्षकृतम में भी इस प्रतिहार षष्ठी का वर्णन है।

स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है छठ

ज्योतिष आचार्य राकेश झा ने कहा कि इस मौसम में शरीर में फॉस्फोरस की कमी होने के कारण शरीर में रोग (कफ, सर्दी, जुकाम) के लक्षण परिलक्षित होने लगते हैं। प्रकृति में फॉस्फोरस सबसे ज्यादा गुड़ में पाया जाता है। जिस दिन से छठ शुरू होता है उसी दिन से गुड़ वाले पदार्थ का सेवन शुरू हो जाता है, खरना में चीनी की जगह गुड़ का ही प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही ईख और अन्य मौसमी फल प्रसाद के रूप प्रयोग किया जाता है।