पटना (ब्यूरो)। प्लास्टिक वेस्ट की समस्या पटना में विकराल हो रही है। दस लाख से अधिक आबादी वाले प्रमुख स्मार्ट सिटी में पटना सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के स्तर पर पिछड़ रहा है। पटना बिहार की राजधानी है और यहां हर दिन स्थायी आबादी के अलावा कम से कम पांच लाख लोग अन्य शहरों से आते हैं और प्लास्टिक वेस्ट जेनरेट होता है। दूसरी ओर, स्थानीय आबादी से जेनरेट हुए प्लास्टिक वेस्ट का निपटारा समुचित रूप से नहीं हो रहा है। पटना नगर निगम के मुताबिक पटना में अधिकतम 15 टन तक प्लास्टिक वेस्ट का रिसाइकिल हो रहा है। जबकि हर दिन 35 से 40 टन कचरा उत्पन्न हो रहा है। इन सभी मामलों को देखते हुए प्लास्टिक बैन एक स्ट्रैटिजिक स्टेप कहा जाना चाहिए। लेकिन सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिहाज से पटना इसके 'थ्री आरÓ- रिड्यूस, रीयूज और रिसाइकल के मामले में पिछड़ रहा है। पेश है रिपोर्ट।

अब तक संचालन नहीं
पटना नगर निगम की महत्वकांक्षी परियोयोजनाओं में से एक सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए रामाचक बैरिया में पांच एकड़ लैंड में प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट का संचालन शुरू किया जाना था। यह काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। इसके संचालन से 35 टन प्लास्टिक वेस्ट का प्रोसेसिंग होना शुरू हो जाता। इसके निर्माण का पूरा खर्च नगर निगम के द्वारा वहन किया गया है। जबकि सीपैट के द्वारा जरूरी मशीनरी और रिसाइकिल के लिए सुविधा दिया जाना है। यहां प्लास्टिक वेस्ट के लिए कलेक्शन, स्टोरेज और इसके वेस्ट मैनेजमेंट के लिए अलग-अलग मशीन का प्रयोग करने की व्यवस्था होगी।

पटना नगर निगम का प्लान
पटना नगर निगम की ओर से प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए इंटीग्रेटेड अप्रोच अपने का संकल्प है। इसके तहत तीन कंपोनेंट बनाए गए हैं। इनमें प्रोजेक्ट के मुताबिक पहला कंपोनेंट है- बेसलाइन, मॉडल डिजाइन और एडजस्टमेंट, दूसरा, स्वच्छता केन्द्र सर्पोट और तीसरा कंपोनेंट है, - इम्प्रूव्ड लिविंग और रिस्पेक्टफुल लाइफ। इसमें एजुकेशन और अवेयरनेस को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। लेकिन प्लास्टिक वेस्ट का निपटारा के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी मौजूद है।

इसलिए समस्या हो रही विकराल
- 35 से 40 टन प्रतिदिन प्लास्टिक वेस्ट हो रहा जेनरेट
- 15 टन- अधिकतम हो रहा है रिसाइकिल
- 25 टन हर दिन बिना रिसाइकिल रह जाता है प्लास्टिक वेस्ट
- 26 लाख की है राजधानी पटना की आबादी
- 70 प्रतिशत तक सेगरीगेशन और कलेक्शन काम नहीं हो रहा।
- 750 टन अधिकतम प्लास्टिक वेस्ट का नहीं रहा है निपटना
- 100 माइक्रोन से कम थिकनेस वाले प्लास्टिक पर है बैन
- 19 प्रकार के प्लास्टिक को एक जुलाई से बैन किया गया है।

समस्या की मुख्य वजह
- सेगरीगेशन और कलेक्शन का काम संतोषजनक नहीं
- बैन के बावजूद शुरू से ही पटना में सिंगल यूज प्लास्टिक का धड़ल्ले से हो रहा है यूज
- प्लास्टिक कैरी बैग की बजाय अल्टरनेट मैटेरियल जैसे कपड़े या जूट के थैले का प्रयोग बहुत कम।
-अधिक समय तक प्लास्टिक वेस्ट पड़े रहने से माइक्रो और नैनो प्लास्टिक से फैल रहा है प्रदूषण
- कचरे में प्लास्टिक की बहुलता के कारण मवेशियों के पेट में जा रहा है प्लास्टिक
- माइक्रो और नैनो प्लास्टिक के जरिये शरीर में जा रहा है प्लास्टिक वेस्ट