PATNA :

शारदीय नवरात्र के आठवें दिन शनिवार को भक्तों ने भगवती के आठवें स्वरूप महागौरी की उपासना की। शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी में अष्टमी पर दर्शन पूजन को भक्तों की लंबी कतार लगी। बड़ी पटनदेवी मंदिर के महंत विजय शंकर गिरी ने बताया कि शुक्रवार की मध्य रात भोलू गिरि की देखरेख में निशा पूजा हुई। मंगला आरती के साथ सुबह साढ़े चार बजे मां भगवती का द्वार भक्तों के लिए खोला गया। देर शाम तक दर्शन पूजन के लिए मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटी रही। रविवार को भक्त देवी के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्रि की उपासना करेंगे। रविवार को कन्या पूजन भी होगा। नवें स्वरूप के पूजन के साथ शारदीय नवरात्र का अनुष्ठान पूरा हो जाएगा।

मंदिरों में जुटी रही भीड़

छोटी पटनदेवी में महंत अभिषेक अनंत द्विवेदी, विवेक द्विवेदी, सीताराम पांडे, अगमकुआं शीतला माता मंदिर में पुजारी जयप्रकाश पुजारी, पंकज पुजारी, सुनील कुमार, मनोज श्रीमाली उर्फ छोटू पुजारी, अमरनाथ बबलू, सर्व मंगला देवी मंदिर गुलजारबाग प्यारे लाल के बाग स्थित शीतला मंदिर में पुजारी महंत विजय कुमार, काली मंदिर खाजेकलां व मंगल तालाब व श्मशान काली खाजेकलां, पीताम्बरा मंदिर गुड़ की मंडी समेत अन्य देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ दर्शन पूजन के लिए जुटी रही। काले हनुमान मंदिर में पुजारी राजेश मिश्र की देखरेख में भक्तों ने पूजा अर्चना किया।

मारूफगंज बड़ी देवी में संधि पूजा

मारूफगंज बड़ी देवी में शनिवार की सुबह 11:14 बजे से दोपहर 12:02 बजे तक संधि पूजा हुई। प्रबंधक समिति के अध्यक्ष अनिल कुमार, उपाध्यक्ष संत कुमार गोलवारा व मुख्य पूजा प्रबंधक अलिप्तों साहा ने बताया कि दुर्गा देवी कल्पारंभ के साथ महाअष्टमी विहित पूजा हुई। रविवार को महानवमी पूजा के बाद हवन होगा। उधर, दलहट्टा बड़ी देवी व नंदगोला बड़ी देवी जी में भी संधि पूजा हुई। उधर तारणी प्रसाद लेन स्थित मुक्तेश्वरनाथ देवी मंदिर, नया गांव पूजा समिति, चैलीटाड़ मनोरंजन पूजा समिति, मदरसा गली पूजा समिति,बं गाली समुदाय की ओर से गायघाट स्थित सांस्कृतिक परिषद गुलजारबाग, गुरहट्टा स्थित देवी स्थान समेत अन्य स्थानों पर धार्मिक आयोजन हुआ।

पूजन से सर्वसिद्धि की होगी प्राप्ति

ज्योतिíवद आचार्य राकेश झा ने देवी पुराण के हवाले से बताया कि जगत जननी के नौ रूपों में सबसे अंतिम देवी माता सिद्धिदात्री की उपासना करने से सर्वसिद्धि की प्राप्त होती हैं। इनकी साधना करने से लौकिक और परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूíत होती है। भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। देवी का स्मरण, ध्यान, पूजन से माता के भक्तों को सांसारिक असारता का बोध तथा अमृत पद की प्राप्ति होती हैं।

कन्या में साक्षात भगवती का वास

ज्योतिषी झा ने भगवती पुराण के हवाले से बताया कि नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्र में छोटी कन्याओं में माता का स्वरूप बताया जाता है। तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है। छल और कपट से दूर ये कन्याएं पवित्र बताई जाती हैं और कहा जाता है कि जब नवरात्रों में माता पृथ्वी लोक पर आती हैं तो सबसे पहले कन्याओं में ही विराजित होती है। भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा देनी चाहिए। इस प्रकार महामाया भगवती प्रसन्न होकर मनोरथ पूर्ण करती हैं।

कन्या पूजन से मनोकामना पूíत

पंडित झा के अनुसार शास्त्रों में दो साल की कन्या कुमारी, तीन साल की त्रिमूíत, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छ: साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा मानी जाती हैं। एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो कन्या की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन कन्याओं की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ कन्याओं की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।

राशि के अनुसार करें मां की आराधना

मेष : रक्त चंदन, लाल पुष्प और सफेद मिष्ठान्न अर्पण करें।

वृष : पंचमेवा, सुपाड़ी, सफेद चंदन, पुष्प चढ़ाएं।

मिथुन : केला, पुष्प, धूप से पूजा करें।

कर्क : बताशा, चावल, दही का अर्पण करें।

सिंह : तांबे के पात्र में रोली, चंदन, केसर, कर्पूर के साथ आरती करें।

कन्या : फल, पान पत्ता, गंगाजल मां को अíपत करें।

तुला : दूध, चावल, चुनरी चढ़ाएं और घी के दीपक से आरती करें।

वृश्चिक : लाल फूल, गुड़, चावल और चंदन के साथ पूजा करें।

धनु : हल्दी, केसर, तिल का तेल, पीत पुष्प अíपत करें।

मकर : सरसों तेल का दीया, पुष्प, चावल, कुमकुम और हलवा मां को अर्पण करें।

कुंभ : पुष्प, कुमकुम, तेल का दीपक और फल अíपत करें।

मीन : हल्दी, चावल, पीले फूल और केले के साथ पूजन करें।