पटना (ब्यूरो)। मुख्यमंत्री और राज्यपाल हाउस से महज 300 मीटर की दूरी पर स्थित इको पार्क के सामने वाली सड़की भी बिकती है। चौंक गए न, लेकिन यह सच है। जिस व्यक्ति को पार्किंग का ठेका दिया गया है वह सड़क का भी ठेकेदार बन गया है। इको पार्क के सामने की सड़क को पार्किंग के नाम पर बेच दिया गया है। इस जगह पर गोलगप्पे और चाट समोसे के ठेले लगाए जा रहे हैं। जिसके एवज में ठेकेदार 100 रुपए प्रति ठेले के हिसाब से वसूली करता है। शिकायत मिलने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने पड़ताल किया तो पता चला कि ईको पार्क के पास 12 ठेले पर खाद्य पदार्थ बेचे जा रहे हैं इस हिसाब से एक दिन में 1200 रुपए तो एक माह में 36000 हजार रुपए कमाई हो रही है। बताते चलें कि ईको पार्क में अपने परिवार के साथ इंज्वाय करने के लिए पटना ही नहीं आसपास के जिलों से भी लोग आते हैं। ऐसे में ईको पार्क के पास चल रहे ये कारोबार ने शासन प्रशासन पर सवाल खड़ा कर दिया है। पढि़ए विस्तृत रिपोर्ट

यहां ठेला लगाने की अनुमति नहीं
नाम न छापने की शर्त पर वन्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ईको पार्क के सामने ठेला लगाने की अनुमति किसी को नहीं है। जो भी यह कारोबार कर रहा है वह किसी के सहयोग से ही कर रहा है। मजे की बता तो ये है कि पटना नगर निगम की ओर से अभी स्टैंड का टेंडर हुआ ही नहीं तो ठेकेदार कहां से आ गया। जबकि ठेले लगाने वाले कारोबारियों ने बताया कि ठेकेदार के सहयोग से ही हम लोग दुकान संचालित कर रहे हैं।


खाद्य पदार्थ पर करते हैं ओवरचार्ज
सामान्यतया ठेले पर गोलगप्पा 10 रुपए में छह पीस मिलता है। और 25 रुपए में चाट जबकि यहां पर चाट के लिए 30 से 40 रुपए प्रति प्लेट और गोल गप्पा 10 रुपए में चार पीस ही देते हैं। दुकानदार की मानें तो 100 रुपए प्रतिदिन ठेकेदार को चला जाता है। इसलिए महंगे सामान बेचना हम लोगों के लिए मजबूरी है। इस संबंध में जब रिपोर्टर ने स्टैंड में मौजूद कर्मी से बात करने की कोशिश की तो किसी ने उत्तर नहीं दिया।

ईको पार्क के सामने दुकान संचालित करने वाले दुकानदार और रिपोर्टर के बीच हुई बातचीत के अंश
रिपोर्टर - भाई साहब गोलगप्पा कैसे दे रहे हैं?
दुकानदार - 10 के चार।
रिपोर्टर - ज्यादा मंहगा है।
दुकानदार - यहां दुकान लगाने के लिए पैसे देने होते है, इसलिए महंगा है।
रिपोर्टर - कितना लगता है।
कर्मचारी - एक दिन का 100 रुपए लगता है।
रिपोर्टर - पैसा कौन लेता है।
कर्मचारी - मालिक के माध्यम से ठेकेदार को पैसा जाता है।
रिपोर्टर - कौन है ठेकेदार?
कर्मचारी - पार्किंग वाले।

एक नजर में
अस्थाई दुकान - 12
वसूली प्रति दिन - 1200 रुपए
वसूली 30 दिन में - 36000 रुपए
एक साल में - 4,32000 रुपए

ईको पार्क के सामने अगर इस तरह का खेल चल रहा है तो हम इसकी जांच करवाते हैं। क्योंकि वहां पर इस तरह ठेले लगने की अनुमति किसी को नहीं है।
- नीरज कुमार सिंह, मंत्री पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार सरकार