पटना(ब्यूरो)। कूल्हे की कटोरी के फ्रैक्चर के उपचार में थोड़ी सी लापरवाही हमेशा के लिए चाल बिगाड़ सकती है। हड्डी रोग विशेषज्ञों को कूल्हे की सर्जरी की बारिकियां सिखाने के लिए रविवार को बिहार आर्थोपेडिक एसोसिएशन ने पटना एसिटाबुलर कांफ्रेंस 2023 का आयोजन किया। डॉ। जान मुखोपाध्याय, हैदराबाद के डॉ। अशोक राजू, मुंबई के डॉ। प्रदीप नेमाडे, जयपुर के डॉ। उमेश मीणा और रांची के डॉ। राकेश अग्रवाल ने कूल्हे की कटोरी की सर्जरी की नई तकनीकों और उनकी बारीकियों पर प्रकाश डाला।

किसी उम्र में हो सकता है फ्रैक्चर
कोलकाता से आए डॉ। राकेश राजपूत ने कहा कि जांघ की हड्डी और उसके ऊपरी सिरे से बनकर कूल्हे का जोड़ बनाता है। यह फ्रैक्चर किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन हड्डियों के कमजोर होने से वृद्धावस्था में ज्यादा होता है। सड़क हादसे या ऊंचाई से गिरने पर किसी को हो होता है। एसिटाबुलर एक जटिल फ़्रैक्चर है। इलाज में कई दृष्टिकोण का ध्यान रखना पड़ता है। सर्जनों को अन्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर रोगी का उपचार करना चाहिए। डॉ। अशोक राजू ने कहा कि इसकी बारीकियों से सर्जनों व छात्रों को अवगत कराना जरूरी है तभी रोगियों की सर्वोत्तम देखभाल हो सकेगी। आयोजन के अध्यक्ष डॉ। राजीव आनंद और सचिव डॉ। अश्विनी गौरव ने कहा कि कार्यक्रम सर्जनों को विभिन्न तकनीकों की जानकारी देने के लिए किया गया है। इस मौके पर बिहार आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ। रणजीत कुमार ङ्क्षसह, सचिव डॉ। महेश प्रसाद ने कहा कि इस कार्यक्रम शैक्षणिक सम्मेलनों की श्रृंखला का हिस्सा है। डॉ। जसङ्क्षवदर समेत प्रदेश के करीब 150 डाक्टरों ने इसमें हिस्सा लिया।