-दीपावली आज, प्रीति योग में गोवर्धन व चित्रगुप्त पूजा कल, आयुष्मान योग में भैया दूज 29 अक्टूबर को

PATNA: दीपावली कार्तिक कृष्ण अमावस्या रविवार को चित्रा नक्षत्र में मनाई जाएगी। धन, वैभव तथा सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह खास दिन है। प्रदोष काल के स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी की पूजा अतिफलदायी होती है। श्रद्धालु शुभ के देवता गणेश, लाभ की देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा-अर्चना करेंगे। कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि दीपावली के दिन चित्रा नक्षत्र में माता लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। इस योग में माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, समृद्धि,

धन-संपदा, ऐश्वर्य और साम‌र्थ्य में वृद्धि होगी और इसका सकारात्मक असर लंबी अवधि तक रहेगा। माता लक्ष्मी के साथ प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की भी असीम कृपा प्राप्त होगी। लक्ष्मी पूजा में माता को सुगंधित इत्र, कमल पुष्प, कौड़ी, कमलगट्टा अर्पण करने से माता प्रसन्न होती हैं और मनचाहा वरदान देती हैं।

12 वषरें के बाद विशेष संयोग

पंडित झा के मुताबिक आज दीपावली पर पूरे बारह वर्षों के बाद युग्म योग का संयोग बन रहा है । दीपावली पर चतुर्दशी एवं अमावस्या दोनों तिथि मौजूद होने से युग्म योग का भाव बना है। सुबह चतुर्दशी और संध्या में अमावस्या तिथि रहेगी। गुरु वृश्चिक राशि में तथा सूर्य व चंद्र तुला राशि में विद्यमान होंगे। बारह वर्ष पूर्व 08 नवंबर 2007 को भी ऐसा ही योग बना था। उस समय शनि व केतु की युति थी। लेकिन ये ग्रह सिंह राशि में स्थित थे। 23 अक्टूबर 1995 को भी गुरु वृश्चिक राशि में थे और तब भी चतुर्दशी युक्त अमावस्या पर दीपोत्सव मनाया गया था।

मिलेगी समृद्धि

ज्योतिषी पंडित झा ने बताया कि दीपावली पूजा वृष लग्न में करना उत्तम माना गया है। इससे आर्थिक समृद्धि के साथ शांति व आनंद की प्राप्ति होती है। वृष लग्न संध्या 06.21 बजे से 08.18 बजे तक है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर लक्ष्मी व्यक्ति के पास ही निवास करती हैं। 'ब्रह्मपुराण' के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है। आज के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी का स्थिर लग्न में पूजा करने का खास महत्व है। इस दिन स्वास्थ्यवृद्धि कारक योग भी बन रहा है।

अन्य धर्म वाले भी मनाते हैं दीपोत्सव

कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन प्रभु श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर सीता, लक्ष्मण, हनुमान व अन्य साथियों के साथ आकाश मार्ग से अयोध्या पधारे थे। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर तथा अहिंसा की प्रतिमूर्ति भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण भी इसी दिन हुआ था। जैन धर्मावलंबी भी दीपोत्सव मनाते हैं।

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा कल

दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को स्वाति नक्षत्र व प्रीति योग में गोवर्धन पूजा मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को छत्र की तरह अपनी अंगुली पर उठा कर वनस्पति तथा लोगों की रक्षा की थी । इससे इंद्र क्त्रोधित हो उठे, बारिश और तेज कर दी। उस गोवर्धन के नीचे सभी ब्रजवासी सुरक्षित थे। तब से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नूकट मनाया जाता है। इस दिन चहुंमुखी विकास व वृद्धि की कामना से दीप जलाए जाते हैं। 28 अक्टूबर दिन सोमवार को प्रात: 09.44 बजे तक प्रतिपदा तिथि है। इसी दिन कायस्थ समुदाय के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा करेंगे।