पटना ब्‍यूरो । 35 वर्षीय मरीज के यूरेकल शिष्ट को लेप्रोस्कोपी से निकालकर बड़ी बीमारी से उबार दिया। महिला को पेट में दर्द रहता था। यह दर्द लगातार बढ़ता ही जा रहा था। असहनीय पीड़ा झेल रही महिला ने कई जगह इस परेशानी को बताया मगर कोई ठोस निदान नहीं निकला। थक हारकर वह फोर्ड हॉस्पिटल पहुंची। यहां हॉस्पिटल के निदेशक सह जेनरल सर्जन डॉ। संतोष कुमार ने उसकी समस्या को देखा। उसकी जांच करायी गयी तो पता चला कि उसे यूरेकल शिष्ट था। समस्या यह थी कि उसकी पेशाब की थैली सटी हुई थी, बच्चेदानी आगे की तरफ था और ओवरी में गोला था। ये सभी चीजें एक दूसरे से सट गयी थीं। इतनी समस्याओं को ठीक करने के लिए अमूमन बड़ा चीरा लगाकर उसे ठीक किया जाता है। मगर डॉ। संतोष और उनकी टीम ने लेप्रोस्कोपी विधि से इसे ठीक करने का फैसला किया। इसके बाद डॉ। संतोष कुमार की देखरेख में डॉ। नितेश, डॉ। तन्वी राज, डॉ। आलोक और डॉ। प्रभात की टीम ने दूरबीन से यह ऑपरेशन किया। कुछ महीन छेद के जरिए दूरबीन की मदद से मरीज के शिष्ट, बच्चेदानी और ओबरी को निकाल दिया गया और बिना क्षति पहुंचाए पेशाब की थैली को बचा लिया गया। ऑपरेशन के कुछ दिनों के बाद ही मरीज अच्छा महसूस करने लगी। डॉ। संतोष कुमार ने बताया कि मरीज बहुत जल्द पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि फोर्ड हॉस्पिटल में इस तरह की कई गंभीर बीमारियों के ऑपरेशन बिना चीरा लगाए लेप्रोस्कोपी से किए गए हैं और बेहद सफल रहे हैं। यहां बवासीर (पाइल्स), भगंदर (फिस्टुला), फिशर, पाइलोजाइडल साइनस, वेरिकोज वेन्स और महिलाओं की कई तरह की बीमारियों का इलाज लेप्रोस्कोपी से किया जाता है। वे कहते हैं कि आजकल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी काफी कारगर साबित हो रहा है। इसके कई फायदे हैं जैसे-कम चीरा लगना, कम खून बहना, जल्दी ठीक होना, कम संक्रमण, कम दर्द और इससे शरीर पर कोई निशान भी नहीं आता है।