पटना(ब्यूरो)। पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया-चकिया पथ पर कैथवलिया-बहुआरा में विराट रामायण मंदिर का निर्माण 20 जून से प्रारंभ हो जाएगा। यह मंदिर अयोध्या में बन रहे राम मंदिर से भी बड़ा होगा। विराट रामायण मंदिर तीन मंजिला होगा और विश्व का सबसे बड़ा मंदिर के रूप में जाना जाएगा। महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने मंगलवार को इस बात की यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि साल 2025 के दिसंबर तक विराट रामायण मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर के कुल 12 शिखरों की साज-सज्जा में और दो वर्ष लगेंगे। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मंदिर में प्रवेश के बाद प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश के दर्शन होंगे। वहां से बढ़ते ही काले ग्रेनाइट की चट्टान से बने विशाल शिवलिंग के दर्शन होंगे। पढि़ए रिपोर्ट

मुख्य शिवलिंग के साथ बनाया जा रहा है सहस्रलिंगम
महाबलिपुरम में 250 टन वजन के ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम भी बनाया जा रहा है। आठवीं शताब्दी के बाद सहस्रलिंगम का निर्माण भारत में नहीं हुआ है। शिवलिंग का वजन 210 टन, ऊंचाई 33 फीट और गोलाई 33 फीट होगी।

अयोध्या के मंदिर से भी होगा बड़ा
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मंदिर का क्षेत्रफल 3.67 लाख वर्गफुट होगा। विराट रामायण मंदिर का सबसे ऊंचा शिखर 270 फीट का होगा। 198 फीट का एक शिखर होगा.जबकि 180 फीट के चार शिखर रहेंगे। 135 फीट का एक शिखर और 108 फीट ऊंचाई के 5 शिखर होंगे। विराट रामायण मंदिर की लंबाई 280 फीट और चौड़ाई 540 फीट है। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या में बन रहे रामलला मंदिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट है। जबकि सबसे ऊंचा शिखर 135 फीट का है। विराट रामायण मंदिर में शैव और वैष्णव देवी-देवताओं के कुल 22 मंदिर होंगे। मंदिर निर्माण के लिए 120 एकड़ जमीन उपलब्ध है। इसे जानकी नगर के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां कई आश्रम, गुरुकुल, धर्मशाला आदि होंगे।


कंबोडिया सरकार की आपत्ति से पांच साल रूकावट

विराट रामायण मंदिर का नाम पहले विराट अंकोरवाट मंदिर रखा गया था। कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर से मिलते नाम के कारण कंबोडिया सरकार ने वर्ष 2012 में अपनी आपत्ति दर्ज की। उसी वर्ष मंदिर का भूमि पूजन हुआ था। महावीर मंदिर न्यास ने कंबोडिया की आपत्ति के बाद मंदिर का नाम विराट रामायण मंदिर कर दिया। 5 साल तक विभिन्न पत्राचार और कवायद के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की उस रिपोर्ट के बाद मामला सुलझा, जिसमें विराट रामायण मंदिर को अंकोरवाट मंदिर से अलग बताया गया। विराट रामायण मंदिर के निर्माण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी अपनी अनापत्ति दी है।