-मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने की सुनवाई

PATNA: पटना हाई कोर्ट ने राज्यपाल कोटे से मनोनीत 12 एमएलसी के मनोनयन को दी गई चुनौती वाली याचिका पर ट्यूजडे को सुनवाई की। खंडपीठ ने कहा कि अदालत इन मामलों पर पुन: समीक्षा कर सुनवाई करने में सक्षम है। वरीय अधिवक्ता वसंत चौधरी के साथ दो अन्य याचिका पर मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि मनोनीत किए गए राजनीतिज्ञों को समाजसेवी माना जाए या नहीं, इस मामले पर अगली सुनवाई में फैसला लिया जाएगा।

हुई है पहलुओं की अनदेखी

एक अन्य याचिकाकर्ता के अधिवक्ता निर्भय प्रशांत और अधिवक्ता प्रभा शंकर मिश्रा ने बताया कि इस तरह के मामले में भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत साहित्य, कलाकार, वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता व सहकारिता आंदोलन से जुड़े हुए विशिष्ट लोगों का मनोनयन हो सकता है। एक सामाजिक कार्यकर्ता को काम का अनुभव, व्यवहारिक ज्ञान और विशिष्ट योग्यता होनी चाहिए, लेकिन इन सभी पहलुओं की अनदेखी की गई है। कोर्ट को बताया गया कि मनोनीत एमएलसी में कोई पार्टी का अधिकारी है, तो कोई अध्यक्ष। जिन्हें मनोनीत किया गया है वे साहित्य, विज्ञान व कला से जुड़े नहीं रहे। यह संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।

अगली सुनवाई 13 को होगी

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता से पूछा था कि मनोनीत विधान पार्षद क्या मंत्री भी हैं? अशोक चौधरी, जनक राम, उपेंद्र कुशवाहा, डा। राम वचन राय, संजय कुमार सिंह, ललन कुमार सर्राफ, डा। राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, संजय सिंह, देवेश कुमार, प्रमोद कुमार, घनश्याम ठाकुर और निवेदिता सिंह मनोनीत विधान पार्षद हैं। अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी।