पटना (ब्यूरो)। अगर आपसे ये कहें कि शहर में जितनी गाडिय़ां महिलाओं के नाम रजिस्टर्ड हैं उसका 10 फीसदी भी ड्राइविंग लाइसेंस महिलाओं के नाम नहीं है तो सुनकर आश्चर्य होगा। मगर ये हकीकत है। पटना की सड़कों पर महिलाएं कार और दोपहिया पर फर्राटा भरती खूब दिखाई दे जाएंगी लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में बहुत पीछे हैं। कई बार वाहन चेकिंग के दौरान महिलाएं बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाते हुए पकड़ी गई हैं, लेकिन बार-बार हिदायत के बाद भी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में महिलाएं रूचि नहीं दिखा रही हैं। परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हर साल पंजीकृत होने वाली लगभग 30 फीसदी गाडिय़ां महिलाओं के नाम दर्ज हैं। ऐसे में माना जाता है कि महिलाओं में गाड़ी चलाने का क्रेज बढ़ा है, लेकिन पिछले एक साल में महिलाओं के नाम से रजिस्टर्ड गाडिय़ों के अनुपात में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाली महिलाओं की संख्या काफी कम है। हालांकि सड़क पर गाड़ी चलाने वालों में महिलाओं की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। लाइसेंस के मामले में महिलाओं की इतनी कम संख्या होने पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब पड़ताल किया तो पता चला कि रोड सेफ्टी अभियान के दौरान चेकिंग मेंं महिलाओं को पुरुष के अपेक्षा कम रोका जाता है। जानकारों की मानें तो अगर गाड़ी चलाने वाली महिलाओं के ड्राइविंग लाइसेंस की जांच हो तो महिलाओं में लाइसेंस बनवाने को लेकर अवेयरनेस बढ़ेगी।

37,351 लाइसेंस बने, 10 फीसदी से भी नीचे महिलाएं
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले एक साल में 37,351 वाहन स्वामियों ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया है। जिसमें पुरुषों की संख्या 33,896 जबकि महिलाओं की संख्या महज 3448 है। इस तरह 90.7 फीसदी पुरुष तो 9.3 फीसदी महिलाओं ने लाइसेंस बनवाया है।

ट्रांसजेंडर भी हुए अवेयर
यातायात नियम को लेकर अब पुरुष, महिला के अलावा ट्रांसजेंडर भी अवेयर हो रहे हैं। विभाग के अधिकारियों की मानें तो पिछले एक साल में 7 ट्रांसजेंडर ने लाइसेंस निर्गत कराया है। लाइसेंस बनाने वाले एक टं्रासजेंडर ने बताया कि समाज के लोग ट्रांसजेंडर को गलत निगाह से देखते हैं। मगर पटना ड्राइविंग लाइसेंस व यातायात नियम को पालन करने के लिए हम लोग लगातार आपस में चर्चा करते रहते हैं।

दुर्घटना पर बीमा क्लेम नहीं मिलेगा
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ड्राइविंग लाइसेंस हर वाहन चालक के लिए जरूरी है। बगैर लाइसेंस के वाहन चलाने पर अधिकतम पांच हजार रुपए का जुर्माना है। यदि चालक के पास डीएल नहीं है तो दुर्घटना होने की स्थिति में बीमा क्लेम भी नहीं मिलता। इसलिए हर चालक को ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है। चाहे महिला हो या पुरुष।
डीटीओ ऑफिस के रिकॉर्ड के मुताबिक पटना में हर साल कुल खरीदे गए वाहनों में 30 फीसदी से अधिक वाहन महिलाओं के नाम रजिस्टर्ड होते हैं। दोपहिया वाहन, कारें, यहां तक व्यावसायिक वाहन भी महिलाओं के नाम दर्ज हैं।

कम रोक-टोक से बढ़ी लापरवाही
रिपोर्टर द्वारा पूछने पर नाम न छापने की शर्त पर ट्रैफिक पुलिस के एक सिपाही ने बताया कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं के साथ कम रोक-टोक किया जाता है। खासकर जहां महिला सिपाही मौजूद नहीं है वहां वाहन चलाने वाली महिला आसानी बच जाती है। इसलिए पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कम लाइसेंस बनवा रही है। रही बात कोरोना काल में तो लॉकडाउन की वजह से अधिकांश महिला चालक घर में थी इसलिए इस बार संख्या में कमी देखी गई है।

टेस्ट में भी महिला फेल
नियमानुसार ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत करने से पूर्व हर जिला में वाहन चालकों को ड्राइविंग टेस्ट से गुजरना पड़ता है। टेस्ट में पास होने के बाद ही उन्हें लाइसेंस निर्गत किया जाता है। सूत्रों की माने तो कुल आवेदन के 30 फीसदी महिला ड्राइविंग टेस्ट में भी फेल हो रही है। इस वजह से भी महिलाओं की संख्या कम हो रहा है।


पिछले एक साल कुल 37,351 ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत हुए हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या कम हैं। जो ड्राइविंग टेस्ट में पास होती हैं, उन्हें तुरंत लाइसेंस निर्गत कर दिया जाता है।
श्रीप्रकाश, जिला परिवहन पदाधिकारी, पटना