- आज है व‌र्ल्ड ओस्टियोपोरोसिस डे

- मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हड्डियां कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है

- कैल्यिम सप्लिमेंट लेकर ओस्टियोपोरोसिस की बीमारी में लायी जा सकती है कमी

PATNA : आज व‌र्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे है। देश भर में करीब छह करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। बिहार में इस संबंध में कोई सुनियोजित अध्ययन नहीं है लेकिन पोषण की कमी और तेज शहरीकरण के कारण इसके केसेज खूब मिल रहे हैं। इसी कन्सर्न को लेकर इंडियन मेनोपॉज सोसाइटी और ग्लोबल ऑर्थोपेडिक सोसाइटी की ओर से लोगों को अवेयर किया जा रहा है। सोमवार को इस बारे में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सोसाइटी की ज्वाइंट सेक्रेटरी उषा डिडवानिया ने कहा कि 30-35 साल की उम्र आते-आते तक बोन डेनसिटी में कमी का दौर शुरू होने लगता है। उन्होंने बताया कि सोसाइटी की ओर से पटना में सीएमई व जागरूकता कार्यक्रम कर मेनोपॉज की समस्याओं से अवेयर किया जा रहा है।

क्या आप जानते हैं कि

ऑस्टियोपोरोसिस एक अवस्था है जिसमें हड्डियों का घनत्व (बोन डेनसिटी) कम होने लगता है। ह्डडी रोग विशेषज्ञ एवं ग्लोबल ऑर्थोपेडिक फोरम के सेक्रेटरी डॉ अमूल्य कुमार सिंह ने बताया कि 20 से 30 साल की अवधि में हड्डियों का घनत्व स्थिर रहता है। इसके बाद धीरे-धीरे कम होने लगता है। अगर यह माइनस एक से जीरो है तो यह सामान्य है। अगर 1.0 से -2.5 है तो ऑस्टोपीनिया कहा जाता है। यह शुरुआती अवस्था है। इसके बाद -2.5 से कम होने की स्थिति ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है।

महिलाओं की स्थिति संवेदनशील

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा दस गुना अधिक हो जाता है 40 की उम्र के बाद। डॉ अमूल्य ने बताया कि मेनोपॉज के कारण यह बड़ा अंतर है। यह बात एक अध्ययन में भी सामने आया है। 45 के बाद जहां पुरुषों में प्रति वर्ष इसकी डेनसिटी में 0.3 से 0.5 प्रतिशत की कमी आती है। जबकि महिलाओं में यह प्रतिशत 3 से 5 प्रतिशत होता है। इसलिए 30 के बाद बोन डेनसिटी की जांच जरूर करानी चाहिए।

मेनोपॉज का समय कठिन

इंडियन मेमोपॉज सोसाइटी की ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ उषा डिडवानिया ने बताया कि 40 साल के बाद यह महिलाओं में होता है। इस दौरान ओवरी से हॉरमोन का श्राव कम हो जाता है। इससे हड्डी, हार्ट की बीमारियां बढ़ने लगती है। अनिंद्रा, यादाश्त की कमी आदि समस्याएं होने लगती है। इसके फलस्वरूप यूटरस और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ता है। इसलिए इस दौरान खान-पान पर विशेष ध्यान देने और शारीरिक अभ्यास करने की जरूरत है। इस अवसर पर सोसाइटी की सेक्रेटरी डॉ कुसुम गोपाल कपूर, और ट्रेजरर डॉ प्रतिमा गुप्ता भी मौजूद थीं

ग्रामीण और शहरी महिलाओं में अंतर

अगर बात करें ऑस्टियोपोरोसिस की करें तो ग्रामीण महिलाओं की तुलना में शहरी महिलाओं में इसका खतरा अपेक्षाकृत अधिक होता है। ग्रामीण महिलाओं में इसके प्रभावी होने का कारण खराब पोषण है। जबकि शहरी महिलाओं में पोषण अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में हैं लेकिन विटामिन डी की कमी और हेक्टिक लाइफ स्टाइल की वजह से हड्डी संबंधित बीमारी देखी जाती है। इस बात को बीएचयू के अध्ययन में भी पुष्ट किया गया है।

ओस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज

- ओस्टियोपोरोसिस के लक्षण -शरीर में दर्द, ऐंठन, आलस, कमजोरी

- महिलाओं में मेनोपॉज जब अनियमित होने लगता है तब इसका प्रभाव शुरू होता है। कुल केसेज का 80 परसेंट महिलाओं का।

- महिलाओं में 40 के बाद स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बढ़ जाती है। मेनोपॉज के कारण हारमोनल समस्या हो जाती है। यूटरस कैंसर, ओवरी कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और आंत का कैंसर (कोलोनियल कैंसर) बढ़ जाता है। साथ ही अलजाइमर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।

For your help

- खुले बदन सूर्य की रोशनी में रहे

- हर दिन फिजिकल एक्सरसाइज करें, विशेष तौर पर जो बैठकर काम करते हैं

- तीस साल के बाद हड्डियों की स्क्रीनिंग जरूर कराएं

- जांच में अपने बोन डेनसिटी के मुताबिक जरूर लें कैल्सियम

- महिलाएं मेनोपॉज के बाद के समय की स्थिति में हड्यिों की करें विशेष देखभाल, शारीरिक कमजोरी और क्रोनिक बीमारियों के बढ़ने के आसार होते हैं

- अगर ख्.भ् से कम हो बोन डेनसिटी तो है हड्डियों को है खतरा

- खाने में ये सभी बनाएंगे हड्डियों को मजबूत -दूध, मेथी, फूलगोभी, रेहू मछली, चुकंदर आदि।