नंबर गेम

600 मीट्रिक टन कचरा पर-डे पूरे शहर से निकल रहा

7.5 मीट्रिक टन कचरा करीब-करीब एक वार्ड से पर-डे जेनरेट हो रहा

60 प्रतिशत ही कचरा पर-डे वार्डो से उठ रहा है।

40 प्रतिशत कचरा वार्ड में ही पड़ा रह जा रहा है

03 मीट्रिक टन कचरा पर-डे मोहल्लों में पड़ा रहता है

(यह वो कचरा है, जिसे डस्टबिन में नहीं, बल्कि सड़क पर और गलियों में फेंका जा रहा है.)

-पब्लिक का कहना है कि डस्टबिन न होने से फैल रहा है कचरा

-नगर निगम का कहना है कि हर घर के बाहर नहीं लगाई जा सकती है डस्टबिन

prayagraj@inext.co.in

PRAYAGRAJ: शहर में फैली गंदगी पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के कैंपेन ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। यह बहस छिड़ी है शहर की जनता और नगर निगम अफसरों के बीच। सड़कों और गलियों में बिखरे कचरे को लेकर जब सवाल उठा तो पब्लिक ने नगर निगम से डस्टबिन लगाने की बात कही। लोगों का कहना है कि अगर जगह-जगह डस्टबिन लग जाएंगे तो कूड़ा सड़कों पर नहीं बिखरेगा। वहीं नगर निगम ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि अगर डस्टबिन लगाई जाएगी तो पब्लिक को उसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।

घर के बाहर ही चाहिए डस्टबिन

शहर की पब्लिक स्मार्ट तो बनना चाहती है। कचरे को घर के बाहर यहां-वहां नहीं फेंकना चाहती है। लेकिन समस्या यह है कि लोग ज्यादा मेहनत नहीं करना चाहते हैं। घर से थोड़ी दूर स्थित डीपी या फिर कचरा डिपो तक जाकर कचरा फेंकने के बजाय अपने घर के बाहर ही डस्टबिन चाहते हैं। लेकिन मुश्किल इस बात की है कि डस्टबिन गायब न होने पाए, इसकी जिम्मेदारी भी नहीं उठाना चाहते हैं। ऐसे में अब नगर निगम क्या करे, यह अधिकारियों की समझ में नहीं आ रहा है।

कचरा निस्तारण बड़ी समस्या

पब्लिक द्वारा मोहल्लों में डस्टबिन लगवाने और पर-डे डस्टबिन को साफ कराने की मांग को नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा नकारा जा रहा है। लेकिन नगर निगम इस व्यवस्था को ठीक करने का ऑप्शन भी पब्लिक को नहीं दे पा रहा है। हरी-भरी ने डीटीडीसी करीब-करीब बंद कर दिया है। नगर निगम कर्मचारी भी रोजाना मोहल्लों में जाकर कचरा नहीं ले रहे हैं। ऐसे में पब्लिक कचरा कहां फेंके, यह सवाल बरकरार है।

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लगातार आ रही है कम्प्लेन

शिकायत-1

खाली पड़े मैदान को बना दिया डम्पिंग स्टेशन

लूकरगंज में कई प्रतिष्ठित फैमिलीज रहती हैं। लेकिन इस वार्ड में भी सफाई व्यवस्था बद से बदतर है। पूरे वार्ड में रोजाना झाड़ू तो लगता है, लेकिन कचरा वार्ड से बाहर नहीं जाता। इसे डीएसए ग्राउण्ड के पीछे स्थित खाली स्थान पर डंप कर दिया जाता है। यह कचरा वहां सड़ता रहता है और इसकी दुर्गध हवा चलने पर लोगों के घरों तक पहुंचती है।

-क्षितिज नंदन रस्तोगी

निवासी, लूकरगंज

शिकायत-2

डस्टबिन नहीं, नाली में ही फेंक देते हैं कचरा

गंदगी और दु‌र्व्यवस्था के लिए केवल सिस्टम ही नहीं, बल्कि पब्लिक भी जिम्मेदार है। लोग पूरी तरह से मनमानी करते हैं और सिस्टम को कोसते हैं। गोविंदपुर स्थित हमारे मोहल्ले भुलई का पूरा को ही ले लीजिए। यहां मोहल्ले में एक भी डस्टबिन नहीं है। लोग घरों का कचरा लोग दूर फेंकने के बजाय सड़क किनारे या फिर नाली में ही फेंक देते हैं। लोगों को भी जिम्मेदारी समझनी चाहिए,

-सुजीत कुमार

भुलई का पूरा, गोविंदपुर

शिकायत-3

कचरा उठाने नहीं आते सफाई कर्मचारी

रसूलपुर पुलिस चौकी के पास स्थित लाल कॉलोनी में सफाई व्यवस्था काफी बदहाल है। यहां एक भी डस्टबिन नहीं है। वहीं नगर निगम का कोई भी कर्मचारी कभी कचरा उठाने नहीं आता है। इस वजह से लोगों के घरों का कचरा कॉलोनी में ही सड़क पर फेंका जा रहा है। यही नहीं, नाला और नाली की भी सफाई नहीं होती है, जिसकी वजह से ओवरफ्लो नालों का पानी रोड पर बहता रहता है।

-मो। अदीब अली खान

वर्जन-

लोग डस्टबिन लगवाने की मांग तो करते हैं, लेकिन क्या डस्टबिन लगने के बाद उसके सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे? डस्टबिन गायब हो जाते हैं, जानवर भी उन्हें तोड़कर कचरा बाहर फेंक देते हैं। इसलिए हम डस्टबिन का कांसेप्ट ही खत्म कर रहे हैं। नगर निगम के कर्मचारी वार्डो में बढ़ाए जा रहे हैं। निगम कर्मचारी घरों से कचरा ले रहे हैं। लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वे कचरा सड़क पर या फिर कहीं भी फेंकने के बजाय नगर निगम कर्मचारी को ही दें।

-उत्तम कुमार वर्मा

पर्यावरण अभियंता

नगर निगम, प्रयागराज