आप की अनुशासन समिति ने रविवार देर रात बिन्नी को पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से पार्टी से निष्कासित कर उनकी प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी थी.

बिन्नी ने अपने निष्कासन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा था कि इससे दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता कि जो व्यक्ति दिल्ली की समस्याएं उठा रहा हो, उसे ही निकाल दो.

उनके निष्कासन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि  बिन्नी अगर भाजपा में आते हैं तो उनका स्वागत है.

"आम आदमी पार्टी अपने किसी भी चुनावी वादे को पूरा करने को तैयार नहीं है. जब हमने लोगों से एक तय समय सीमा में अपने वादों को पूरा करने का वादा किया है, तो उन्हें पूरा करना हमारी ज़िम्मेदारी है."

भाजपा नेता प्रोफ़ेसर विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि अगर बिन्नी भाजपा में आते हैं, तो पार्टी उनका स्वागत करेगी.

बिन्नी ने अपनी पार्टी पर मूल मुद्दों से भटकने और चुनाव में किए गए वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया है.

आरोप

लेकिन पार्टी नेताओं का कहना है कि बिन्नी मंत्री न बनाए जाने और लोकसभा चुनाव का टिकट न दिए जाने से नाराज होकर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं. मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल ने उन्हें लालची तक कह दिया था.

जंतर-मंतर पर अनशन शुरू करने से पहले बिन्नी का उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलने का कार्यक्रम है.

बिन्नी ने धरने की घोषणा करते हुए कहा था, ''आम आदमी पार्टी अपने किसी भी चुनावी वादे को पूरा करने को तैयार नहीं है. जब हमने लोगों से एक तय समय सीमा में अपने वादों को पूरा करने का वादा किया है, तो उन्हें पूरा करना हमारी ज़िम्मेदारी है. मैं अपनी मांगे पूरी होने तक अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठूंगा. सरकार काम करने से अनिच्छा दिखा रही है, इससे लोग और हमारे कार्यकर्ता ठगे हुए महसूस कर रहे हैं.''

दिल्ली के लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक विनोद कुमार बिन्नी आप में शामिल होने वाले पहले जनप्रतिनिधि थे. वे दिल्ली नगर निगम में पार्षद थे. वो 2009 से 2011 तक कांग्रेस में भी रहे हैं.

बिन्नी पहली बार विवादों में तब आए थे, जब वो आप विधायकों की बैठक बीच में छोड़कर बाहर निकल आए थे. बैठक में अरविंद  केजरीवाल मंत्रिमंडल के सदस्यों के नाम तय किए जा रहे थे.

नाराज़

'आप' के बाग़ी बिन्नी का जंतर-मंतर पर अनशनबिन्नी ने केजरीवाल की कार्यप्रणाली पर निशाना साधते हुए उन्हें तानाशाह बताया था.

उस समय माना गया था कि मंत्री न बनाए जाने से वो नाराज़ हुए हैं. लेकिन उनसे मुलाक़ात के बाद पार्टी नेताओं से इस तरह की किसी भी बात से इनकार किया था.

बिन्नी ने मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल की कार्यप्रणाली पर निशाना साधते हुए उन्हें तानाशाह बताया था. उनका कहना है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है.

दिल्ली पुलिस के चार अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर रेल भवन के पास दो दिन तक दिए अरविंद केजरीवाल के  धरने का भी बिन्नी ने विरोध किया था.

उनका कहना था कि केजरीवाल प्रदेश के क़ानून मंत्री सोमनाथ भारती को बचाने के लिए धरना दे रहे हैं. उन्होंने भारती को बर्ख़ास्त करने की मांग की थी.

बिन्नी के इन आरोपों को पार्टी में बग़ावत के रूप में देखा गया. इसके बाद आप के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता के नेतृत्व में 19 जनवरी को एक अनुशासन समिति का गठन किया गया था. इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही बिन्नी को पार्टी से निष्कासित किया गया है.

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