- पूर्वाचल में पहली बार लगने जा रही बायो फीडबैक मशीन

- जिला अस्पताल में इसी महीने शुरू होगी जांच, जारी होगा हेल्प लाइन नंबर

GORAKHPUR: स्टूडेंट्स को पढ़ाई की टेंशन, बिजनेसमैन को घाटे की टेंशन, पेशेंट्स को हल्थ की टेंशन। टेंशन यानि तनाव की बात आज सभी करते हैं। बच्चे भी बोलने लगे हैं कि बहुत टेंशन में हूं लेकिन जब इलाज की बात होती है तो कोई खुद को टेंशन में मानने को तैयार नहीं होता। डॉक्टर भी एल्प्राजोलाम जैसी कुछ दवाएं लिखकर टेंशन न लेने की सलाह देकर वापस कर देते हैं। लेकिन अब टेंशन का लेवल भी पता चल जाएगा और इलाज की दिशा भी पता चल सकेगी। यह पॉसिबल होगा बायो फीडबैक मशीन के जरिए जो जिला अस्पताल में लगने जा रही है। डिप्रेशन, टेंशन, उदासी समेत अन्य मानसिक रोगों के लिए भारत सरकार राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चला रही है। इसी के तहत यहां ये मशीन लगाई जाएगी। इसी महीने जांच भी शुरू हो जाएगी और साथ ही इसके लिए हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया जाएगा।

मानसिक रोग विभाग में होगी जांच

जिला अस्पताल कैंपस मे बायो फीडबैक मशीन के लिए मानसिक विभाग में मन कक्ष बनाया जा रहा है। इस मन कक्ष में मशीन लगेगी। डॉक्टर इसी कक्ष में मशीन से मरीज के तनाव का लेवल देखेंगे। मशीन अस्पताल में आ गई है। इसी महीने इस मशीन से टेंशन का लेवल पता करना शुरू किया जाएगा।

वर्जन

पूर्वाचल के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। आज नींद न आना, अवसाद, तनाव आदि मानसिक रोग बढ़ रहे हैं। समय से इनका इलाज हो जाए तो लोग सामान्य जीवन जी सकेंगे और देश की प्रगति में अपना योगदान कर सकेंगे। बच्चों के इलाज में भी यह मशीन कारगर रहेगी। जल्द ही मरीजों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाएगा।

डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ

बायो फीडबैक मशीन से मरीज को पहले रिलेक्स किया जाता है। फिर उनके दिमाग में पहुंचने वाली तरंगों से उनकी प्रतिक्रिया देखी जाती है। दिमाग से मिलने वाले संकेतों को समझा जाता है।

- डॉ। अमित शाही, मनोचिकित्सक जिला अस्पताल