RANCHI: चंद्रयान-2 की अंतरिक्ष में सफल लांचिंग को लेकर जहां पूरी दुनिया चकित है। देशभर में लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। वहीं, रांची में यह खुशी दोगुनी बढ़ गई है। एक ओर हिन्दुस्तान के इतिहास रचने की खुशी तो दूसरी ओर इसमें बीआईटी मेसरा से पढ़ चुके पांच स्टूडेंट्स के योगदान ने रांची का नाम देश-दुनिया में रौशन कर दिया है। जी हां, बीआईटी मेसरा के स्पेश एंड रॉकेटरी ब्रांच से पासआउट स्टूडेंट प्रियांशु मिश्रा समेत कुल पांच स्टूडेंट्स ने चंद्रयान-2 जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में काम किया और और टीम के अहम हिस्सा भी रहे हैं।

लांच व्हीकल पैड किया डिजाइन

बीआईटी मेसरा के 2007-09 बैच के स्टूडेंट रहे प्रियांशु मिश्रा का चंद्रयान-2 की सफ लता में महत्वपूर्ण योगदान है। युवा वैज्ञानिक प्रियांशु मिश्रा चंद्रयान-2 के सफ ल प्रक्षेपण करने वाले लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी एमके-3 का निर्माण करने वाली टीम में शामिल थे। लांच व्हीकल का जो ट्रीजीट्री होता है, उसे प्रियांशु मिश्रा ने ही डिजाइन किया है। वहीं, जो रॉकेट भेजा जाता है वो एक पार्टिकुलर पार्ट में जाता है, उसकी डिजाइन भी प्रियांशु ने ही तैयार की है। फिलहाल वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र तिरुवनंतपुरम केरल में पदस्थ हैं। प्रियांशु मिश्रा इसके पहले चंद्रयान-1 के लिए भी काम कर चुके हैं।

बीआईटी मेसरा से किया है एमटेक

प्रियांशु मिश्रा ने बीआईटी मेसरा के स्पेश एंड रॉकेटरी ब्रांच से मास्टर की डिग्री ली है। उन्होंने बीटेक एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई देहरादून से की है और एमटेक की पढ़ाई बीआईटी मेसरा से की है।

इनका भी रहा योगदान

-अमिताभ मंडल ने 2002 में बीआईटी मेसरा के स्पेश एंड रॉकेटरी ब्रांच से मास्टर डिग्री ली है।

-जे श्री निवासलू ने 2009 में बीआईटी मेसरा के स्पेश एंड रॉकेटरी ब्रांच से मास्टर डिग्री ली है।

-एन प्रसाद ने 2006 में बीआईटी मेसरा के स्पेश एंड रॉकेटरी ब्रांच से मास्टर हासिल की है।

-एसएलएन बेसिक ने 2002 में बीआईटी मेसरा के स्पेश एंड रॉकेटरी ब्रांच से मास्टर डिग्री ली है।

रांची में डीजे आईनेक्स्ट का पाठक रहा: प्रियांशु मिश्रा

प्रियांशु मिश्रा ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बात करते हुए बताया कि मैं दो साल रांची में रहा। उस दौरान दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का भी पाठक रहा। कैंपस में जब बीटोत्सव या अन्य प्रोग्राम होते थे, उसमें भी रहता था। दो साल रांची में रहने के दौरान हजारीबाग, रामगढ़ सहित कई जगहों पर गया और हमारे दोस्त भी अभी वहीं हैं।

सवाल: कैसा लग रहा है चंद्रयान -2 का हिस्सा बनकर

जवाब: धन्यवाद, चंद्रयान टू की लांचिंग के लिए हमलोग काफी समय से काम कर रहे थे। इसमें लांच व्हीकल का जो ट्रीजीट्री होता है, उसे मैंने डिजाइन किया है। वहीं, रॉकेट जो भेजा जाता है वो एक पार्टिकुलर पार्ट में जाता है, उसे भी हमने डिजाइन किया है।

सवाल: रांची से आपकी क्या यादें हैं?

जवाब: रांची में मैं 2007-2009 बैच में बीआईटी मेसरा का स्टूडेंट रहा। स्पेश एंड रॉकेटरी ब्रांच से मास्टर की डिग्री ली है। मैं मेसरा के हॉस्टल नंबर 5 बी के कमरा नंबर 49 में रहता था.रांची का लिट्टी-चोखा हमलोग खूब खाते थे। मैं आज भी रांची का लिट्टी-चोखा मिस करता हूं।

वर्जन

बीआईटी मेसरा के लिए यह गर्व का पल है कि हमारे पांच पुराने स्टूडेंट्स, जो मेसरा के स्पेश एंड रॉकेटरी ब्रांच से पास आउट हैं, उनका चंद्रयान -2 के सफल लांचिंग में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

-डॉ सुदीप दास, एचओडी, स्पेश एंड रॉकेटरी डिपार्टमेंट, बीआईटी मेसरा, रांची