इशरत जहाँ फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में अभियुक्त शाह ज़मानत पर हैं और अक्टूबर में सीबीआई ने उनसे पूछताछ भी की थी.

और अब गुजरात के पूर्व गृहमंत्री शाह की मुश्किलें एक स्टिंग ऑपरेशन को लेकर बढ़ गई हैं जिसमें कहा गया है कि उन्होंने वर्ष 2009 में एक महिला के फ़ोन को ग़ैर-कानूनी ढंग से टैप करने का आदेश दिया था.

हालांकि इस महिला के पिता ने एक वक्तव्य में यह कहा है कि उनके ही कहने पर उनकी बेटी के फ़ोन को टैप किया गया था.

इस प्रकरण से अमित शाह की छवि को एक और झटका लगा है.

उनके उत्तर प्रदेश के प्रभारी होने के कारण विपक्षी दलों को आशा है कि इस नए आरोप का असर 2014 के लोक सभा चुनावों में देखने को मिल सकता है. विपक्ष के नेताओं का मानना है कि आने वाले समय में अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में एक बोझ बन सकते हैं.

'घटिया राजनीति'

क्या बीजेपी पर बोझ बनते जा रहे हैं अमित शाह?अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रभारी हैं

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता परोक्ष रूप से तो शाह के साथ हैं, लेकिन दबी ज़बान से वे भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस नए आरोप में भले ही कोई तथ्य न हो, लेकिन पार्टी को कुछ नुकसान हो सकता है.

एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ता अभी निष्क्रिय हैं और ये नहीं लगता कि पार्टी के लिए निष्क्रियता के चलते 50 सीटें आसानी से मिल पाएंगी और अगर अमित शाह के खिलाफ लगे इन नए आरोपों ने तूल पकड़ा तो उस लक्ष्य को प्राप्त करना और भी मुश्किल हो जाएगा.

उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी से निरंतर आवागमन करने वाले कल्याण सिंह कहते हैं कि कांग्रेस के पास बात करने के लिए कोई मुद्दा नहीं है इसीलिए वह ऐसे मुद्दों को उछाल रही है.

वो कहते हैं, "इस सबसे कुछ नहीं होने वाला. भारतीय जनता पार्टी की स्थिति काफी मज़बूत हो गई है. इस घटिया किस्म की राजनीति का कुछ असर नहीं होगा."

फैज़ाबाद से तीन बार सांसद चुने जा चुके विनय कटियार कहते हैं कि "जब लड़की के पिता ने स्वयं बयान दिया है कि उन्हीं के आग्रह पर उसका फ़ोन टैप किया गया था तो फिर अमित शाह का दोष कैसा?"

वे कहते हैं कि इस तरह के आरोप भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में अग्रणी रहने से नहीं रोक पाएंगे.

धूमिल छवि

क्या बीजेपी पर बोझ बनते जा रहे हैं अमित शाह?अमित शाह नरेंद्र मोदी के बेहद नज़दीकी माने जाते हैं

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का विश्वास है कि देश में नरेंद्र मोदी की हवा चल रही है और वे कांग्रेस के लिए सरदर्द बन गए हैं.

इसीलिए वे समझते हैं कि शाह की छवि भले ही धूमिल हो और उनके ऊपर एक और गंभीर आरोप लग गया हो, इसके बावजूद कांग्रेस को बहुत ज़्यादा राजनीतिक फायदा नहीं मिलेगा. जनता वोट अमित शाह को नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी को देगी.

इसके विपरीत उत्तर प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने कहा है, “इशरत जहाँ के एनकाउंटर ने पैंडोरा बॉक्स खोला है और उत्तर प्रदेश जो राजनीतिक रूप से सजग प्रदेश है वहाँ अमित शाह के इस कृत्य की चर्चा अवश्य होगी.”

उनका कहना है कि “जब लोगों को आभास होगा कि मोदी और शाह न केवल साम्प्रदायिकता की राजनीति करते हैं बल्कि वे तानाशाह भी हैं और उन्हें संविधान और व्यक्तियों की स्वतंत्रता की भी परवाह नहीं है, तो इस मुद्दे का असर अवश्य होगा.”

पार्टी को 'चोट'

बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी को इसकी महंगी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

भारतीय जनता पार्टी के एक नेता भी कुछ ऐसा ही सोचते हैं. उनका कहना है कि “मोदी भले ही प्रधानमंत्री पद के सबसे सशक्त उम्मीदवार हैं और उन्हें जनता भी अब स्वीकार करने को तत्पर हैं किन्तु अमित शाह की छवि पार्टी को चोट पहुंचा सकती है. अच्छा ही है कि शाह का अधिक समय दिल्ली में बीतता है.”

भारतीय जनता पार्टी ने अमित शाह को उत्तर प्रदेश में पार्टी को उबारने की ज़िम्मेदारी सौंपी है. नेतृत्व की समस्या से जूझ रहे दल को एक सूत्र में पिरोना वैसे ही कठिन था और अब ऊपर से शाह पर लग गया एक नया आरोप.

देखना है कि जनता इसे कांग्रेसी षड़यंत्र मानती है या शाह का एक और ग़लत काम.

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