- श्रद्धांजलि सभा में हरियाणा की खट्टर और पीएम नरेंद्र मोदी पर साधा निशाना

Meerut : हरियाणा में जाट आंदोलन के बहाने रालोद ने मंगलवार को मेरठ समेत वेस्ट यूपी में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की पूरी कोशिश की।

यहां हरियाणा में मारे गए जाटों और कश्मीर में शहीदों को श्रद्धाजंलि देने के लिए आयोजित पार्टी की सभा में जयंत ने अपना भाषण ज्यादातर समय बीजेपी को कोसने पर ही केंद्रित रखा। हालांकि वह प्रदेश सरकार या सपा के खिलाफ कुछ बोलने से बचे।

मोदी पर निशाना

एनएच 58 पर वेदव्यासपुरी में एक स्कूल के मैदान में हुई सभा में जयंत ने कहा, कुछ लोग दिल्ली में बैठकर खुद को देशभक्ति का प्रमाणपत्र दे रहे हैं, असली देशभक्त तो वे हैं जो देश की सीमाओं की सुरक्षा में शहीद हो रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार चुनने का क्या फायदा जो सुप्रीम कोर्ट में 'हमारी' अच्छी वकील भी साबित नहीं हो सकी।

लोकतंत्र की खामियां वजह

रालोद नेता ने कहा कि लोकतंत्र की खामियों का नतीजा हरियाणा में जाट आंदोलन है। विधानसभा चुनाव में जाट और गैर जाट की लड़ाई लड़ाकर भाजपा सत्ता में आई, जीत गए तो कुछ लोगों (गैर जाट) को ये लगा कि वे ही सरकार हैं। हरियाणा में जाट घर से आंदोलन के लिए नहीं अपने हक के लिए निकला था, जो युवा मारे गए, क्या वे मारे जाने चाहिए थे? जाट आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रख पाई।

करनी होगी क्षतिपूर्ति

जयंत ने कहा कि हरियाणा में हुई क्षति की पूर्ति करनी होगी। उन्होंने अपने ही समुदाय में ऐसे लोगों को चेताया, जो इन घटनाओं का श्रेय लेने की होड़ में हैं। साथ ही अफवाहों से दूर रहने की अपील की। इस दौरान जुटे वेस्ट यूपी के रालोद नेताओं में सादाबाद के पूर्व विधायक डॉ। अनिल चौधरी, रालोद नेता ताराचंद्र शास्त्री, छपरौली विधायक वीरपाल राठी, उप्र महिला विंग की अध्यक्ष मालती चौधरी, पूर्व एमएलसी जगत सिंह, पश्चिमी यूपी अध्यक्ष मुंशीराम पाल आदि ने सभा को संबोधित किया। जिलाध्यक्ष यशवीर सिंह, सुनील रोहटा, आगरा से आए रालोद नेता महेंद्र सिंह रावत, मानव चौधरी, जयपाल खिरवार, निरंजन पौनिया, राजू, इंद्रपाल सिंह आदि मौजूद थे।

खाप, भाकियू ने किया किनारा

रालोद ने इस श्रद्धांजलि सभा को आम रखने के लिए बैनर तक पर पार्टी का जिक्र नहीं किया था, लेकिन वेस्ट की खाप पंचायतों और भाकियू नेताओं ने खुद को इसमें शामिल होने से दूर रखा, जिससे उन पर रालोद का टैग न लग जाए।