शहर के ब्लैक स्पॉट

जीरो माइल

लालकुर्ती

बेगमपुल

बच्चा पार्क

हापुड़ अड्डा

दिल्ली रोड

रिठानी

परतापुर तिराहा

बीते पांच साल में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 19 फीसदी तक बढ़ी

2019 में सबसे ज्यादा सड़क हादसों के दौरान हुई मौत, बीते पांच साल के मुकाबले

57 फीसदी लोगों की मौत हुई है साल 2019 की सड़क दुर्घटनाओं में

408 लोगों की मौत हुई है साल 2019 में अब तक

38 फीसदी लोगों की मौत हुई थी साल 2015 में सड़क हादसों में

40 फीसदी तकरीबन लोगों की मौत हुई थी साल 2016 में हुए सड़क हादसों में

Meerut। शहर में एक ओर जाम सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है तो वहीं दूसरी ओर सड़क हादसों के कारण थमतीं सांसे भी ट्रैफिक सिस्टम पर सवाल उठा रही हैं। हालत यह है कि बीते पांच साल के आंकड़ों को देखे तो इस बार सबसे ज्यादा मौत सड़क हादसों के कारण हुई हैं। पुलिस अधिकारियों की मानें तो लोग वाहन चलाते समय यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं जिस कारण सड़क हादसों के शिकार हो जाते हैं।

ट्रैफिक पुलिस भी जिम्मेदार

शहर में बढ़ते सड़क हादसों के लिए वाहन चालक के साथ ट्रैफिक पुलिस भी जिम्मेदार है। यातायात पुलिस की हीलाहवाली के कारण वाहन चालक न तो हेलमेट और न सीट बेल्ट लगा कर चलते हैं। जिससे हर रोज सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है।

बढ़ रहे आंकड़े

सड़क हादसों में होने वाली मौते कई सवाल खड़े कर रही हैं। हालत यह है कि साल 2019 में अब तक 710 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जिनमें से करीब 408 लोगों की इन हादसों में मौत हो चुकी है। वहीं साल 2015 में 663 में सड़क दुर्घटनाएं होंगी, साथ ही 254 लोगों की मौत इन हादसों में हुई थी। साथ ही 2016 में 711 सड़क हादसे हुए और इनमें 284 लोग काल के गाल में समा गए। इसके अलावा साल 2017 में 736 सड़क हादसे और इन हादसों में मृतकों की संख्या 302 तक पहुंच गई। वहीं साल 2018 में 698 सड़क हादसे और मृतकों की संख्या 294 रही।

नाबालिग के हाथों में स्टेरिंग

बीते दिनों अभी कैंट में दो बहनों की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। यदि ट्रैफिक नियमों को फॉलो किया होता तो शायद दोनो बहनों की जान बच सकती थी। हालत यह है कि शहर में इन दिनों नाबालिग बच्चे फर्राटे के साथ वाहन दौड़ाते नजर आते हैं जिससे अक्सर हादसे हो जाते हैं। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इसके लिए पेरेंट्स को भी जागरूक होना पड़ेगा।

सिंतबर में सुधरे, लेकिन फिर भटके

गौरतलब है कि सितंबर में नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू की गई थी। जिसके तहत पुलिस ने भी सख्त कार्रवाई शुरू कर दी थी। तब ट्रैफिक पुलिस ने दावा किया था कि ट्रैफिक नियम फालो होने से सड़क हादसों की संख्या में गिरावट आई है, लेकिन यहां पर नए रेट लागू नहीं हुए तो वाहन चालकों ने फिर से लापरवाही शुरू कर दी। लिहाजा सड़क हादसों में भी फिर से इजाफा होने लगा।

जान के दुश्मन बने ब्लैक स्पॉट

गौरतलब है कि शहर में कुछ जगहें ऐसी हैं जो सड़क हादसों के लिए ब्लैक स्पॉट बन चुकी हैं। इनके सुधार के लिए न तो ट्रैफिक पुलिस कदम उठा रही है और न ही पीडब्लूडी-आरटीओ विभाग, लिहाजा सड़कें लगातार खून से लाल हो रही है। शहर में बेगमपुल, जीरो माइल, हापुड़ अड्डा, बच्चा पार्क, दिल्ली रोड, परतापुर तिराहा, लालकुर्ती, बाउंड्री रोड समेत कई ऐसे एरिया है जहां पर लगातार सड़क हादसों से मौत हो रही है।

पांच साल का चौंकाने वाला आंकड़ा

सड़क दुर्घटनाएं मृतकों की संख्या

2015 663 254

2016 711 284

2017 736 302

2018 698 294

2019 अब तक 710 408

सड़क हादसों की संख्या बढ़ने के पीछे वजह है कि ट्रैफिक नियमों को लोग अभी भी पूरी तरीके से फॉलो नहीं कर पा रहे है। पुलिस लगातार जागरूकता अभियान चलाती है। लोगों को यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

संजीव वाजपेयी, एसपी ट्रैफिक

सिर्फ 15 दिनों तक दिखा असर

गौरतलब है कि बीते दिनों ट्रैफिक नियम तोड़ने पर जुर्माने के नए रेट आने की वजह से पुलिस की सक्रियता दिखी थी, जिसका असर भी देखने को मिला। बीते पांच साल के एक से 15 सितंबर तक के सड़क हादसों में गिरावट देखी गई थी। इस साल इस अवधि में सबसे कम एक्सीडेंट और मौत हुई है।

सड़क हादसे मृतकों की संख्या

2015 40 19

2016 36 19

2017 38 18

2018 44 12

2019 32 8

एक से 15 सिंतबर तक के आंकड़े