- जिला अस्पताल का मामला, केंद्र व राज्य सरकार की टीम ने किया था निरीक्षण

- 40 बिंदुओं पर उठाई थी आपत्ति, व्यवस्था दुरुस्त नहीं कर पाए हैं जिम्मेदार

GORAKHPUR: जिला अस्पताल के जिम्मेदारों ने बिना मानक पूरे हुए ही ब्लड बैंक खुलवा दिया है। लापरवाही और मनमानी का आलम ये कि केंद्र व राज्य सरकार की टीम द्वारा दर्ज कराई गई 40 बिंदुओं की आपत्ति में से एक भी खामी को दूर नहीं किया जा सका है। जबकि पिछले दिनों हुए निरीक्षण में विभिन्न बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। टीम ने हर मानक पूरा करने के लिए कहा था लेकिन जिला अस्पताल प्रशासन ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। ये हालात सामने आए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में। टीम ने अस्पताल के ब्लड बैंक की व्यवस्थाओं का जायजा लिया तो सिर्फ मानकों की अनदेखी ही होती मिली।

पिछले दिनों जिला अस्पताल के ब्लड बैंक का केंद्र व राज्य सरकार की टीम ने निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने 40 बिंदुओं पर आपत्ति उठाई थी। जिला अस्पताल प्रशासन ने दावा किया था कि जल्द से जल्द मानकों को पूरा कर लाइसेंस का रिन्युअल करा लिया जाएगा। लेकिन बिना मानक पूरे हुए ही ड्रग विभाग की ओर से लाइसेंस जारी कर दिया गया है। इसकी जानकारी होने पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम हकीकत परखने शुक्रवार को जिला अस्पताल पहुंची। मानक के मुताबिक कई व्यवस्थाएं नदारद मिलीं। ब्लड बैंक के जिम्मेदारों से बात की गई तो कोई कुछ बोलने को तैयार ही नहीं था। मगर एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बात की गई थी वह अभी तक ठीक नहीं हो सकी हैं। वहीं, इस मामले में जिला अस्पताल के जिम्मेदारों और ड्रग विभाग अजीब ही तर्क देने में लगे हैं। अस्पताल प्रशासन जहां ये कह रहा है कि लाइसेंस जारी हो गया है और जो काम बचे हैं उन्हें जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। वहीं, ड्रग विभाग का कहना है कि अस्पताल प्रशासन ने सभी मानक पूरे कर लिए हैं इसीलिए लाइसेंस का रिन्युअल कर दिया गया है। जबकि हकीकत में ब्लड बैंक का एसी खराब है, लकड़ी की फर्नीचर पड़े हुए हैं। साथ ही ब्लड बैंक का सीपेज एरिया ठीक नहीं हुआ है। वहीं, पुराने माइक्रोस्कोप से ही काम चलाया जा रहा है। ऑक्सीजन सिलेंडर की भी व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि टीम ने इस पर आपत्ति उठाते हुए जल्द से जल्द व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा था।

इन पर उठी थी आपत्ति, न सुधरी व्यवस्था

- ब्लड बैंक के सभी लकड़ी के फर्नीचर हटाए जाएं जो ब्लड को कंटेंिमनेट कर रहे हैं।

- खराब एसी बदला जाए।

- सीपेज एरिया को ठीक किया जाए।

- पुराना माइक्रोस्कोप बदला जाए।

- ऑक्सीजन सिलेंडर रखा जाए

वर्जन

ब्लड बैंक का लाइसेंस जारी कर दिया गया है। निरीक्षण में जो आपत्ति उठाई गई थी उसे पूरा करवा लिया गया है।

- संदीप चौधरी, ड्रग इंस्पेक्टर