-ब्लड बैंकों में कंप्यूटर पर हो सभी काम

-कंप्यूट्राइजेशन से कम होगी गलतियां

LUCKNOW: न्यूक्लि एसिड टेस्ट (नैट) टेस्टेड ब्लड ही सबसे सुरक्षित है और यह संक्रमण को रोकने में सबसे अधिक विश्वसनीय है। इसलिए सभी ब्लड बैंकों द्वारा मरीजों को खून दिए जाने से पहले नैट जांच जरूर होनी चाहिए। शुक्रवार को होटल ताज में केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की ओर से आयोजित 'ट्रांसमेडकॉन 2017' में डॉ। तूलिका चंद्रा ने दी।

सभी ब्लड बैंक नैट सुविधा

डॉ। तूलिका चंद्रा ने बताया कि कई बार एलाइजा व दूसरी तकनीक से टेस्टेड ब्लड में बैक्टीरिया और वायरस पकड़ में नहीं आते हैं, लेकिन नैट टेस्टेड ब्लड में संक्रमण का खतरा बहुत कम रहता है। खासतौर से एचआईवी और हेपेटाइटिस बी का संक्रमण का खतरा बहुत कम हो जाता है। कॉन्फ्रेंस में सभी राज्यों से आए एक्सप‌र्ट्स ने अपनी उपलब्धियां बताते हुए उड़ीसा के प्रतिनिधियों ने कहा कि उनके राज्य में सभी सरकारी ब्लड बैंकों से नैट टेस्टेड ब्लड ही सप्लाई किया जाता है। जिलें में एक ब्लड बैंक में सभी बैंकों से ब्लड लाकर उसकी जांच की जाती है और फिर उसे सभी ब्लड बैंकों में भेज दिया जाता है। इसके लिए उड़ीसा सरकार ने सुविधा उपलब्ध कराई है।

यूपी ने दिखाई राह

डॉ। तूलिका चंद्रा ने बताया कि सबसे पहले केजीएमयू ने ब्लड डोनेशन वैन चलाई थी। जिसके बाद यूपी सरकार ने सभी जिलों में वैन उपलब्ध कराई। वालंटरी ब्लड डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए देश भर में इस सुविधा को लागू करना चाहिए। देश के विभिन्न प्रदेशों से आए एक्सप‌र्ट्स ने केजीएमयू और यूपी के इस कदम की सराहना की।

बेड साइड ही उपलब्ध हो ब्लड

कार्यक्रम में चंडीगढ़ से आए डॉ। हर्ष अग्रवाल ने बताया कि हमें ब्लड की आवश्यक्ता को कम करने के तरीकों के बारे में सोचना चाहिए। सर्जरी से पहले दवाओं के बारे में सोचना होगा और ब्लीडिंग को कम करना होगा। जिससे ब्लड की आवश्यक्ता कम हो। कार्यक्रम में इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ। आरइन मकरू ने मरीजों को बेड साइड ब्लड उपलब्ध कराने पर जोर दिया।

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ब्लड डोनेशन को मिले बढ़ावा

कार्यक्रम में केजीएमयू के वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट ने कहा कहा कि मरीज की जान बचाने के लिए खून सबसे अहम है। इसका कोई विकल्प नहीं है और इसे बनाया नहीं जा सकता। इसलिए लोगों को सुरक्षित ब्लड मिले इसके लिए सभी को जागरुक रहना होगा और लोगों को वालंटरी डोनेशन के लिए आगे आना चािहए।

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पैरेंट्स के बोनमैरो से थैलीसीमिया का इलाज

जयपुर की डॉ। रचना नारायण ने कहा कि अब पैरेंट्स के बोन मैरो से थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों का इलाज संभव है। पैरेंट्स की रीढ़ की हड्डी से लिए गए बोन मैरो से अब तक 68 थैलसीमिया पीडि़त बच्चों का इलाज किया जा चुका है। डॉ। रचना ने बताया कि बहुत से ऐसे बच्चे होते हैं जिनका कोई भाई बहन नहीं होता तो उनमें पैरेंट्स की बोनमैरो नई किरण के रूप में सामने आया है।

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सभी ब्लड बैंक होंगी डिजिटलाइज

कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोश टंडन ने कहा कि रक्तदान महादान है। स्वैच्छिक रक्तदान के लिए समाज को जागरुक करना होगा। साथ ही सभी ब्लड बैंकों को डिजिटलाइज करना हेागा। ताकि मरीजों को और अधिक सुरक्षित खून दिया जा सके.इस अवसर पर डॉ। विनोद जैन, डॉ। शादाब मोहम्मद, डॉ। आशुतोष कुमार, डॉ। राजीव अग्रवाल सहित अन्य डॉक्टर्स मौजूद रहे।