- वर्षो से खराब पड़ी हैं राप्ती किनारे खड़ीं आपदा प्रबंधन की दो बोट्स

- 13 अक्टूबर को बोट की खराबी के चलते नहीं बचाया जा सका था डूब रहा युवक

GORAKHPUR: राप्ती नदी के किनारे खड़ीं आपदा प्रबंधन की दो बोट्स कहने को तो डूब रहे लोगों को बचाने के लिए हैं लेकिन असल में किसी शोपीस से ज्यादा कुछ नहीं। कई साल से खराब पड़ीं इन बोट्स को बनवाने के लिए जिम्मेदारों ने कुछ नहीं किया। जिसका ही नतीजा है कि शनिवार को नदी में डूब रहे युवक चाहकर भी लोग नहीं बचा सके। नदी पर नहाने गए प्रॉपर्टी डीलर नरेन्द्र पासवान का संतुलन बिगड़ा और वह धारा के साथ बहने लगे। नदी किनारे मौजूद लोग उन्हें बचाने किनारे खड़ी आपदा प्रबंधन की बोट की ओर दौड़े तो कर्मचारी ने बताया कि दोनों बोट खराब हैं। मायूस होकर लौटे लोग जब तक कोई और विकल्प खोजते नरेन्द्र पानी में लापता हो चुके थे। एनडीआरएफ के दो दिन लगातार ढूंढने के बाद सोमवार को नरेन्द्र का शव मिला। नरेन्द्र को तो अब वापस नहीं लाया जा सकता लेकिन आसपास के एरिया में एक ही चर्चा है कि अगर आपदा प्रबंधन ने अपनी बोट ठीक रखी होती तो शायद इस दुर्घटना को टाला जा सकता था।

प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

राप्ती नदी के बहरामपुर किनारे पर खड़ी आपदा प्रबंधन की दोनों बोट्स वर्षो से खराब हैं। एक बोट तो पांच साल से अधिक जबकि दूसरी दो साल से बेकार पड़ी हुई है। विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि हर साल मानसून की आहट के साथ प्रशासन को मरम्मत कराने के लिए पत्र लिखा जाता है लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। बोट चालक के तौर पर तैनात कर्मचारी ने बताया कि 2016 से ही बोट्स में ईजन सर्विसिंग, बैट्री बदलने, ईजन बिगिग बदलने, साइड रबर बदलने, दो सीट बदलने और बॉडी मरम्मत की जरूरत है। लेकिन उपेक्षा के कारण इनकी हालत और खराब हो चुकी है।

बोट्स में यह है खराबी

दोनों बोट्स की हालत काफी ज्यादा खराब हो चुकी है। उन्हें किसी को बचाने के लिए तो दूर, चलाने के लिए भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। रिंग पिस्टन बदलना, इंजन बिगिग बदलना, वाल बदलना, साइड रबर बदलना, प्लग दो पीस, बैटरी चार्जर, कंप्लीट स्टेयरिंग रिपेयरिंग, वायरिंग, जंक्शन बाक्स रिपेयरिंग, शीशा फ्रेम, बैटरी नई 12 बोल्ट, फैविबांड, पेंटिंग, सीट रिपेयरिंग, ईजन रिपेयरिंग, ओवर हालिंग, बैटरी। इतनी सारी कमियों को दुरुस्त करने के बाद बोट को चलने लायक बनाया जा सकता है।

बॉक्स

तीन बोट पर एक चालक

आपदा प्रबंधन व शासन की ओर से 2013 में यहां पर तीन बोट पर एक चालक तैनात था। एक, दो कर गोदाम में रखी तीसरी बोट भी धीरे-धीरे खराब हो गई लेकिन चालक अभी भी एक ही है। इसके अलावा पांच बोट्स का ढांचा भी जर्जर अवस्था में गोदाम में पड़ा हुआ है। मानसून के समय में हर बार पत्र लिखकर बोट्स की दुर्दशा के बारे में अधिकारियों को अवगत कराया जाता है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। मई 2018 में बोट्स की मरम्मत के लिए आपदा प्रबंधन ने 7.60 लाख रुपए के बजट की मांग शासन को भेजी है, जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

वर्जन

बोट्स की मरम्मत के लिए 7.6 लाख का प्रस्ताव मई में ही भेजा गया था। शासन से जैसे ही बजट पास हो जाएगा, बोट्स की मरम्मत का काम शुरू हो जाएगा।

- विधान जायसवाल, एडीएम एफआर