RANCHI: अब रांची में शवों का अंतिम संस्कार गैस से चलने वाली मशीनों से किया जाएगा। झारखंड मारवाड़ी सहायक समिति के द्वारा हरमू मुक्ति धाम में शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए गैस पर आधारित मशीन लगाई जाएगी। इसके लिए एजेंसी से कोटेशन भी मंगा लिया गया है। जल्द ही कंपनी का चयन कर मशीन लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

समिति को मिला है संचालन का अधिकार

रांची नगर निगम द्वारा हरमू मुक्ति धाम में बने इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का संचालन करने की जिम्मेवारी मारवाड़ी सहायक समिति को दिया गया है। जुलाई 2019 में नगर निगम बोर्ड ने समिति को संचालन करने की जिम्मेवारी दी थी। अब समिति ने अपनी तरफ से सारी तैयारी पूरी कर ली है। गैस मशीन लगते ही अंतिम संस्कार शुरू हो जाएगा।

बिजली के कारण परेशानी

मारवाड़ी सहायक समिति के सुरेश चंद्र अग्रवाल ने बताया कि मुक्ति धाम में बना इलेक्ट्रिक शवादाह गृह का मशीन खराब हो चुका है। इसे बनाने में बहुत खर्च होगा। इसके अलावा रांची में बिजली की स्थिति ठीक नहीं है। बिजली से चलाने के लिए जेनरेटर लगाना होगा, उसका खर्च भी बहुत अधिक आएगा। इसलिए गैस से चलने वाली मशीन लगाने का विचार किया जा रहा है। इसके लिए कोटेशन भी मंगवा लिया गया है। इससे शव को जलाने में खर्च भी कम आएगा।

सिर्फ लावारिश लाशें ही जलीं

आरआरडीए द्वारा हरमू में विद्युत शवदाह गृह का निर्माण वर्ष 2008 में पूरा किया गया था। निर्माण व मशीनों के लगाए जाने में 1.43 करोड़ की राशि खर्च हुई थी। वर्ष 2010 में यहां पहली बार लाश जली। शवदाह गृह के उद्घाटन के लिए भी नगर निगम को काफ मशक्कत करनी पड़ी थी। किसी भी व्यक्ति द्वारा यहां लाश नहीं लाए जाने के कारण रिम्स से छह लावारिस लाशों को यहां लाया गया था। इन लाशों को जला कर ही मशीन का उद्घाटन किया गया था।

12 साल, छह लाशें, खर्च डेढ़ करोड़

अपको भले ही यह सुनने में अजीब लगे, लेकिन यह सच है। रांची में छह लाश जलाने का खर्च डेढ़ करोड़ रुपए आया है। जी हां हरमू मुक्तिधाम में बना इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में 11 साल में अभी तक सिर्फ छह लाशें ही जल पाई हैं। इसके लिए डेढ़ करोड़ की जो मशीन लगाई गई थी, वह पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। अब इसे चलाने में भी काफी खर्च आने वाला है। करीब आठ साल से इस शवदाह गृह में एक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। कुछ महीने पहले कानपुर से शवदाहगृह की मशीन का निरीक्षण करने के लिए सर्विस इंजीनियरों का एक दल आया था। इंजीनियरों ने अपनी रिपोर्ट में मशीन पूरी तरह से बर्बाद बताई है। टीम के सदस्यों ने निरीक्षण के बाद जो रिपोर्ट दी, उसमें कहा गया है कि विद्युत शवदाह गृह की मशीन की मरम्मत के बजाय नई मशीन लगा लेना ही बेहतर है। पांच साल से अनुपयोगी होने के कारण मशीन पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। इसकी मरम्मत में लाखों रुपए खर्च तो होंगे लेकिन ये मशीन कितने दिनों तक काम करेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इसलिए सबसे बेहतर उपाय यह होगा कि इस पुरानी मशीन को हटा कर नई मशीन ही लगा ली जाए।