क्या है न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर

न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर एक रेयर बीमारी है जो हर किसी को नहीं होती। यह शरीर के किसी एक हिस्से में नहीं बल्िक कहीं भी हो सकती है। हमारे शरीर में उम्र बढ़ने के साथ-साथ हार्मोन्स में बदलाव आता है। न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर भी हार्मोंस से जुड़ा है। बॉडी में जब एंडोक्राइन हार्मोंस का बैलेंस बिगड़ जाता है तो यह कोशिकाओं पर असर डालता है। कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं और आखिर में यह ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। अगर वक्त रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो यह कैंसर भी बन सकता है।

कहां-कहां डालता है ज्यादा असर

न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर वैसे तो पूरे शरीर में फैलता है। मगर इसका सबसे ज्यादा असर दिमाग, फेफड़े, पेट पेनक्रियाज और आंतों पर पड़ता है।

तीन स्टेज का होता है यह ट्यूमर

न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर की तीन स्टेज होती है। जिसमें पहली और दूसरी स्टेज तो नॉर्मल होती है, मगर तीसरी स्टेज जानलेवा मानी जाती है। अगर मरीज तीसरी स्टेज पर पहुंच गया है तो उसका इलाज लगभग असंभव सा हो जाता है।

पहली स्टेज के लक्षण :

हाई ब्लड प्रेशर, घबराहट और बेचैनी, बुखार, सिर दर्द, पसीना आना, जी मचलाना, उल्टी आना, पल्स रेट बढ़ जाना।

दूसरी स्टेज के लक्षण :

पूरे शरीर में दर्द उठना, स्किन पर लाल, पिंक और नीले रंग के चकत्ते पड़ना।

तीसरी स्टेज के लक्षण :

शुगर बढ़ना, खून में शर्करा की कमी होना, डायरिया, अचानक वजन घटना-बढ़ना, आंतों और ब्लैडर में सूजन, सोते वक्त पसीना आना, सिर दर्द, स्किन पर रैशेज। यह अंतिम स्टेज होता है, यहां तक पहुंचते ही न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर का रूप ले लेता है। ऐसे में सिर्फ कीमोथेरेपी ही इसका अंतिम इलाज होता है।

किस वजह से होता है न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर :

- आनुवंशिक बीमारी

- कमजोर इम्यून सिस्टम

- धूप में ज्यादा समय बिताना

- स्मोकिंग

- बढ़ती उम्र (हार्मोंस में बदलाव)

कैसे होता है इसका इलाज :

1. सर्जरी :

पहली और दूसरी स्टेज की बीमारी का एकमात्र इलाज सर्जरी ही है। डॉक्टर ऑपरेशन करके ट्यूमर को बाहर निकाल देते हैं।

2. कीमोथेरेपी :

तीसरे स्टेज में पहुंचते ही यह ट्यूमर कैंसर का रूप ले लेता है और उसका एकमात्र उपचार कीमोथेरेपी है।

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