बुआ हीरा चढ्ढा के घर दर्जनों बार आएं थे ओम पुरी

ALLAHABAD: कला-साहित्य की कुंभ नगरी लीजेंड्री कलाकार ओमपुरी के दिल में बसती थी। इससे उनका गहरा रिश्ता था। इसीलिए यहां उनका अक्सर आना जाना लगा रहता था। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की पहले बैच की छात्रा हीरा चढ्ढा प्रख्यात अभिनेता ओम पुरी की बुआ थीं। वह पैलेस सिनेमा के सामने एक बंगले में रहती थीं और आकाशवाणी में प्रोग्राम ऑफिसर थी। 1970 से लेकर 1980 के बीच ओम पुरी अपनी बुआ से मिलने दर्जनों बार शहर आया करते थे। लेकिन उनके आने या जाने की जानकारी किसी को नहीं रहती थी।

दस साल में बीस बार आए

वरिष्ठ रंगकर्मी अभिलाष नारायण ने बताया कि दस साल में ओम पुरी कम से कम 20 बार अपनी बुआ से मिलने आएं थे। सिविल लाइंस में बिना किसी को बताए कई शाम गुजारते थे। 1980 के करीब हीरा चढ्ढा का तबादला वाराणसी हो गया। वहां पर ओम पुरी से मिलने का अवसर मिला। जबकि दूसरा मौका तब मिला जब रोड टू संगम की शूटिंग के दौरान ओम पुरी के साथ फिल्म में काम करने का मौका मिला। हीरा चढ्ढा के निधन पर भी ओम पुरी इलाहाबाद आए थे।

2015 में अंतिम बार आए

जेड एंड जेड मीडिया की ओर से फरवरी 2015 में पहली बार प्रयाग अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। तब आखिरी बार सिनेप्रेमियों को उनसे मिलने का अवसर मिला। मीडिया के अध्यक्ष हसन हैदर ने फिल्म इंडस्ट्री में उल्लेखनीय कार्य के लिए ओम पुरी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया था। प्रख्यात निर्माता-निर्देशक तिग्मांशु धुलिया भी उस पल के गवाह बने थे।

पहचान खो रहा इलाहाबाद

इलाहाबाद से करीबी रिश्ते का ही असर था कि प्रयाग अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में पहुंचे ओम पुरी का दर्द छलक उठा था। अवार्ड लेने के बाद पत्रकारों को दिए इंटरव्यू में उन्होंने साफ कहा कि अब इलाहाबाद अपनी पहचान खोता जा रहा है। जहां बंगला कल्चर और हरे-भरे पेड़ पौधे समाप्त होते जा रहे हैं। और उनकी जगह ऊंची-ऊंची इमारतों ने ले लिया। जैसा मुम्बई में दिखता है।

ओम पुरी जमीन से जुड़े अभिनेता थे। उनका जाना इलाहाबाद के लिए बहुत बड़ी क्षति है। दो बार की मुलाकात में उन्होंने यह एहसास ही नहीं होने दिया कि वह बॉलीवुड के बड़े अभिनेता हैं।

अभिलाष नारायण, वरिष्ठ रंगकर्मी

1982 में इलाहाबाद आने पर एक इंटरव्यू करने का मौका मिला। रंगमंच की दुनिया पर ओम पुरी ने बहुत ही सरल स्वभाव के साथ आधा घंटे तक हमसे बात की। उनकी सज्जनता का कोई जवाब नहीं है।

अजामिल जी, वरिष्ठ रंगकर्मी

रोड टू संगम फिल्म में ओम पुरी जी के साथ अभिनय करने का मौका मिला। इतने बड़े आर्टिस्ट होने के बावजूद भी वे लगातार शूटिंग के दौरान मेरा उत्साहवर्धन करते रहे। बात-बात में 'बरखुरदार' संबोधन कभी नहीं भूल सकूंगा।

सनी गुप्ता, युवा रंगकर्मी

असाधारण इंसान के रुप में ओम पुरी हमेशा दिल में रहेंगे। हर किसी से सरल शब्दों में बात करने की कला उन्हें अन्य कलाकारों से अलग करती थी। मेरा सौभाग्य था कि मैंने उन्हें इलाहाबाद में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया।

हसन हैदर, जेड एंड जेड मीडिया