नई दिल्ली. प्रख्यात गजल गायक जगजीत सिंह कहते हैं कि वह बॉलीवुड से दूरी बनाकर रखते हैं. उन्हें लगता है कि हिंदी फिल्मकार पैसे के पीछे भागने वाले हैं और उन्हें गजलों से कोई लगाव नहीं है.

वह कहते हैं, "फिल्मकारों में गजलों को लेकर कोई लगाव नहीं है. इन दिनों ज्यादातर युवा सुरीले गीत पसंद कर रहे हैं लेकिन बॉलीवुड की गजलों में रुचि नहीं है.. फिल्मोद्योग केवल पैसा बनाने में लगा हुआ है. सब पैसे के पीछे भागते हैं."

जगजीत ने फिल्मों में 'बड़ी नाजुक है', 'होशवालों को खबर क्या', 'किसका चेहरा' और 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो' जैसी गजलें गाई हैं. उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कहता कि हाल के समय में बॉलीवुड व्यवसायिक हो गया है. यह हमेशा से पैसा बनाने वाला उद्योग रहा है लेकिन शुरुआत में इसका मिजाज कुछ अलग था."

जगजीत ने कहा, "सिनेमा साहित्य का हिस्सा हुआ करता था लेकिन आजकल के सिनेमा का साहित्य से कोई लेनादेना नहीं है. वह बात आज गायब हो गई है और अब फिल्में केवल मनोरंजन बनकर रह गई हैं."

जगजीत पिछले चार दशकों से गजल गायकी कर रहे हैं. उनकी अब तक 50 एलबम निकल चुकी हैं. वह पंजाबी, हिंदी, उर्दू, बांग्ला, गुजराती, सिंधी और नेपाली में गाते हैं. वह 24 अप्रैल को गुड़गांव में 30 संगीतकारों के साथ प्रस्तुति देंगे.

वह कहते हैं, "मैं करीब 20 गजलें गाऊंगा. इनमें से सभी मेरे पुराने गीत होंगे लेकिन उनकी संगीत व्यवस्था कुछ अलग होगी. कार्यक्रम में वायलिन, बांसुरी, तबला और गिटार जैसे वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल होगा, इसलिए मेरे पुराने गीत नए जैसे लगेंगे."

जगजीत इन दिनों गजलों और भजनों की एक-एक एलबम पर काम कर रहे हैं.