- इलेक्ट्रिक सेफ्टी के तहत मिला बजट

- कई बार मेडिकल कॉलेज में हो चुकी आग लगने की घटनाएं

- ऑक्सीजन कांड से जुड़े फाइलों को जलाने की हुई थी कोशिश

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अब आग बुझाने के जरूरी इंतजाम होंगे। शॉर्ट सर्किट की संभावनाएं कम होंगी और हर वार्ड फायर प्रूफ होगा। मेडिकल कॉलेज को फायर फाइटिंग के लिए तैयार करने के लिए शासन ने 88 लाख रुपए का बजट जारी किया है। इस बजट से न सिर्फ मेडिकल कॉलेज में फायर एक्सटिंग्यूशर्स लगाए जाएंगे, बल्कि वायरिंग से जुड़े प्रॉब्लम को भी दुरुस्त कराया जाएगा, जिससे कि शॉर्ट सर्किट न हो तथा आग लगने की संभावनाओं को भी कम किया जा सके। यह अमाउंट इलेक्ट्रिकल सेफ्टी वर्क के तहत दिया गया है।

पहले ही अप्रूव है 13 करोड़ का बजट

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलेक्ट्रिक सेफ्टी वर्क के लिए फाइनेंस कमेटी ने करीब प्रपोजल भेजा था। इससे मेडिकल कॉलेज में इलेक्ट्रिक सेफ्टी वर्क कराए जाने थे। शासन ने इसके लिए अप्रूवल दिया और पहली किस्त के तौर पर करीब 498 लाख रुपए की किस्त जारी कर दी। इसके बाद सितंबर 2018 में 13.39 करोड़ रुपए का रिवाइज एस्टीमेट भेजा गया, जिसे भी शासन से अप्रूवल मिल गया। मार्च 2019 में शासन ने 1 करोड़ 62 लाख रुपए की किस्त जारी की। जून में ही लगभग 5.2 करोड़ रुपए की धनराशि अलॉट की गई। यानि ओवर ऑल करीब 11.83 करोड़ रुपए अवमुक्त किए जा चुके हैं। अब शासन ने इस मद में बचे बजट से 88 लाख रुपए और जारी कर दिए हैं, जिससे कि जो काम रुकने न पाए और मेडिकल कॉलेज जल्द से जल्द फायर एक्सटिंग्यूशर्स से लैस हो जाए।

दूसरे मद में नहीं खर्च कर पाएंगे बजट

अक्सर ऐसा होता है कि कुछ जिम्मेदार इस मद की राशि दूसरे मद में खर्च कर लेते हैं और जब उस मद में बजट मिलता है, तो उसका बजट ट्रांसफर कर लेते हैं। मगर इस बजट को अप्रूव करने के साथ ही जिम्मेदारों ने साफ किया है कि अप्रूव धनराशि सिर्फ उसी मद में खर्च की जाएगी, जिस मद में दी गई है। वहीं काम को डेडलाइन के अंदर ही पूरा किया जाना भी जरूरी है। इसके साथ ही महानिदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है, काम की क्वालिटी और मानकों की जांच करेगी। अगर कोई खामियां होती है, तो इसके लिए महानिदेशक के साथ ही प्रिंसिपल और कार्यदायी संस्था की भी जिम्मेदारी तय होगी।

मिलेगा फायदा

फायर एक्सटिंग्यूशर्स लगने और प्रॉपर वायरिंग होने के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज को इसका काफी फायदा मिलेगा। ऐसा इसलिए कि अभी भी कई बिल्डिंग्स में पुरानी वायरिंग हैं, जिनकी वजह से कई बार आग लग चुकी है। एक बार ट्रॉमा सेंटर के अंदर शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी। यहां एंप्लाइज ने किसी तरह आग बुझाई थी, इसके लिए इन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। वहीं एक बार एनएनयू के वेंटिलेटर में आग लग गई थी। जिसे बुझाने में भी जिम्मेदारों को नाकों चने चबाने पड़े थे। इसके साथ ही ऑक्सीजन कांड के बाद प्रिंसिपल ऑफिस में भी आग लगी थी, जहां इस कांड से जुड़े दस्तावेज रखे हुए थे। चर्चा यह थी कि आग दस्तावेजों को जलाने के लिए ही लगाई गई थी, जबकि वहां के जिम्मेदार इसे महज शॉर्ट सर्किट बता रहे थे।