- एडीएम फाइनेंस ने भट्ठा मालिकों को हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश दिए

- भट्ठा मालिकों ने एडीएम फाइनेंस को दिए अपने तर्क

Meerut : भट्ठा मालिकों को स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं कि अगर भट्ठा चलाना है तो उन्हें हाईकोर्ट के नियमों के तहत काम करना होगा। वरना इसे कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट माना जाएगा। शुक्रवार को एडीएम फाइनेंस ने अपने कार्यालय में इस संबंध को लेकर भट्ठा मालिकों के साथ बैठक की थी। वहीं भट्ठा मालिकों का कहना है कि प्रशासन हाईकोर्ट का डर दिखाकर हम पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है, क्योंकि प्रशासन जिन डॉक्यूमेंट को रखने की बात कह रहा है, उससे हमें पहले ही छूट मिली हुई है। साथ ही भट्ठा मालिकों का तर्क है कि हाईकोर्ट से ऑर्डर जो हुआ है वो प्रशासनिक अधिकारियों के पास शासन के थ्रू नहीं आया है। जब तक शासन से लेटर नहीं आ जाता तब से पहले प्रशासन हम पर दबाव क्यों बना रहा है।

एनओसी लेनी होगी

हाईकोर्ट के ऑर्डर होने के बाद एडीएम फाइनेंस गौरव वर्मा ने मंगलवार को भट्टा मालिकों से बातचीत की। उन्होंने भट्टा मालिकों से कहा कि अब उन्हें माइनिंग करने से पहले एसईआईएए (स्टेट इनवायरनमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी) से एनओसी लेनी होगी। कोर्ट के ऑर्डर के अनुसार क्0 से क्ख् शर्ते दी हुई हैं। उन्हीं शर्तो को पूरा करने के बाद ही उन्हें एनओसी दी जाएगी। ताकि कोई भी मानक से ज्यादा माइनिंग कर जमीन के पोषक तत्वों को नुकसान न पहुंचा सके। एडीएम सिटी ने नियम को फॉलो करने के लिए तत्काल प्रभाव से आदेश दिए।

आखिर इतनी जल्दी क्या है?

वहीं भट्ठा मालिकों ने अपने तर्क एडीएम फाइनेंस के सामने रखते हुए कहा कि क्या प्रशासनिक अधिकारी हाईकोर्ट के सभी ऑर्डर को इतनी जल्दी लागू करते हैं? अगर हां, तो क्यों गन्ना भुगतान में इतना डिले हो रहा है? मिल मलिकों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? इस बात की क्या गारंटी है कि विभाग से प्रमाण पत्र हमें जल्द से जल्द मिल जाएगा? एडीएम फाइनेंस ने सभी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने को कहा है। साथ प्रमाण जल्दी दिलवाने की भी बात कही है।

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ये भी हैं भट्ठा मालिकों के तर्क

- सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से ख्7 जून ख्0क्ख् को ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया था। जिसमें पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र लेने का जिक्र किया था।

- यूपी गर्वनमेंट ने मई ख्0क्फ् में अपने फ्भ्वें संशोधन में ख् मीटर तक गहरी खुदाई करने की इजाजत दे रखी है। जिसके लिए कोई प्रमाण पत्र लेने का जिक्र नहीं है।

- फ् नवंबर ख्0क्ब् को भी यूपी खनिज विभाग की ओर से भी इस तरह के ऑर्डर हुए थे।

फैक्ट एंड फिगर

- मेरठ जिले में क्म्0 भट्ठे हैं।

- एक भट्ठे का सालाना टर्नओवर करीब ख् करोड़ रुपए है।

- क्म्0 भट्ठों का सालाना टर्नओवर करीब फ्ख्0 करोड़ रुपए है।

- सालाना मेरठ में ब्0 लाख से ज्यादा ईटों का निर्माण हो जाता है।

- प्रत्येक वर्ष हर भट्टा मालिक म्-7 लाख रुपए टैक्स देता है।

- सालाना प्रत्येक भट्ठा मालिक 80 हजार रुपए एडीएम फाइनेंस के ऑफिस में रॉयल्टी जमा कराता है।

- सालाना प्रत्येक भट्ठा मालिक जिला पंचायत क्फ् हजार रुपए टैक्स देते हैं।

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हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार अब सभी भट्ठा मालिकों को एसईआईएए से एनओसी लेनी होगी। हाईकोर्ट की शर्तो की भी उन्हें जानकारी दे दी गई है।

- गौरव वर्मा, एडीएम फाइनेंस, मेरठ

हाईकोर्ट का ये ऑर्डर जिला प्रशासन के पास शासन की ओर से आना चाहिए था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। जब शासन की ओर से कोई निर्देश आएगा तो इस बारे में विचार करेंगे।

- केपी सिंह, अध्यक्ष, मेरठ जनपद ईट निर्माता समिति